उद्धव ठाकरे जापानियों से कर रहे अपनी तुलना, उनकी सबसे बड़ी सियासी कमजोरी का चल गया पता
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उद्धव ठाकरे जापानियों से कर रहे अपनी तुलना, उनकी सबसे बड़ी सियासी कमजोरी का चल गया पता

Uddhav Thackeray को अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा झटका 2022 में तब लगा जब एकनाथ शिंदे ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया और 39 विधायकों तथा 13 सांसदों ने इसमें शिंदे का साथ दिया. 

उद्धव ठाकरे जापानियों से कर रहे अपनी तुलना, उनकी सबसे बड़ी सियासी कमजोरी का चल गया पता

Shiv Sena and Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तीन माह बाद उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उबाठा) को कई नेताओं के पार्टी छोड़ने से झटका लगा है. कई पार्टी पदाधिकारी और यहां तक ​​कि पूर्व विधायक भी पार्टी छोड़ चुके हैं. हाल ही में राजन साल्वी ने पार्टी छोड़ी है. वह पार्टी में बड़े नेता माने जाते थे और तटीय कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरि जिले की राजापुर विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे हैं. ठाकरे परिवार के कट्टर समर्थक साल्वी इस महीने की शुरुआत में अपने समर्थकों के साथ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल हो गए. 

इसके कुछ दिनों बाद कोंकण के एक और पूर्व विधायक शिंदे की पार्टी में शामिल हो गए. उनके साथ कई पार्टी पदाधिकारियों ने भी पाला बदल लिया. पिछले सप्ताह पूर्व पार्षद एवं शिवसेना (उबाठा) की महिला शाखा की नेता और ठाकरे की करीबी राजुल पटेल ने पार्टी छोड़ दी थी. 

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ठाकरे परिवार के लिए पटेल और साल्वी जैसे नेताओं का पार्टी से जाना संगठनात्मक झटके से कहीं अधिक है. ठाकरे ने हाल ही में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दलबदल का जिक्र किया और खुद को विश्वासघात का शिकार बताया. उन्होंने अपनी स्थिति की तुलना जापानियों से की और कहा कि जब भूकंप के झटके नहीं आते तो वे ज्यादा हैरान होते हैं. 

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ठाकरे ने यह भी कहा कि उनके अपने लोगों का इस्तेमाल उन्हें निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. बाला साहेब ठाकरे द्वारा गठित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा झटका 2022 में तब लगा जब एकनाथ शिंदे ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया और 39 विधायकों तथा 13 सांसदों ने इसमें शिंदे का साथ दिया. 

कार्यकर्ताओं से दूरी
शिवसेना (उबाठा) के एक विधायक ने कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए पार्टी नेतृत्व को अधिक सुलभ होने की जरूरत है. शिवसेना (उबाठा) के एक विधायक ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘‘शिंदे की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उनसे आसानी से मिला जा सकता है इसके विपरीत उद्धव जी तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल है.’’ विधायक ने कहा, ‘‘उन तक पहुंच एक मुद्दा है और पार्टी नेतृत्व को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. वे जितना अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की शिकायतों को सुनेंगे, उतनी ही अधिक उन्हें सही जानकारी मिलेगी.’’ विधायक ने यह भी कहा कि पार्टी छोड़ने वालों को पता है कि उन्हें अगले पांच साल तक कुछ भी नहीं मिलेगा.

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