Turtles Nesting: ओडिशा के गंजाम जिले में रुशिकुल्या नदी के मुहाने पर यह नजारा देखने को मिला है. लाखों कछुए अंडे देने के लिए एक साथ इकट्ठा हैं. इस बार यह नजारा 16 फरवरी से शुरू हुआ और 25 फरवरी तक जारी रहने की उम्मीद है.
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Mass Nesting Odisha: सोचिए समुद्र की लहरों के बीच जब हजारों-लाखों कछुए एक साथ किनारे पर आ जाएं तो नजारा किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। ओडिशा के रुशिकुल्या बीच पर इन दिनों कुछ ऐसा ही अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा है जहां ऑलिव रिडले कछुए बड़े पैमाने पर अंडे देने पहुंचे हैं। इस घटना को 'Arribada' कहा जाता है. इसमें मादा कछुए एक साथ समुद्र तट पर आकर गड्ढे खोदती हैं और उनमें अंडे देती हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया साल में सिर्फ कुछ ही दिनों तक चलती है जिसे देखने के लिए शोधकर्ताओं और पर्यटकों की नजरें टिकी रहती हैं। इस साल रिकॉर्ड 6.82 लाख कछुए यहां पहुंचे हैं जिससे यह स्थान दुनिया के सबसे बड़े turtle nesting sites में से एक बन गया है।
6.82 लाख से ज्यादा कछुओं ने दिए अंडे, टूटा पिछला रिकॉर्ड
असल में रुशिकुल्या सी टर्टल प्रोटेक्शन ग्रुप के सचिव रवींद्रनाथ साहू के अनुसार अब तक 6.82 लाख से अधिक कछुए अंडे दे चुके हैं. यह आंकड़ा 2023 के 6.37 लाख के पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर गया है. 2022 में इसी स्थान पर 5.50 लाख कछुए अंडे देने आए थे. वन विभाग के अनुसार अभी और कछुओं के आने की संभावना है जिससे यह संख्या और बढ़ सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस साल अनुकूल जलवायु के कारण इतनी बड़ी संख्या में कछुए पहुंचे हैं.
रात के बजाय दिन में दिखा अद्भुत नज़ारा
आमतौर पर यह घटना रात में होती है लेकिन इस बार कछुए दिन के उजाले में अंडे दे रहे हैं जो अपने आप में दुर्लभ है. इससे वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं को इस प्राकृतिक घटना को करीब से देखने का अवसर मिला है. भारतीय वन सेवा अधिकारी प्रवीन कसवान ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया जिसे अब तक 40,000 से ज्यादा लोग देख चुके हैं. वहीं वरिष्ठ अधिकारी सुप्रिया साहू ने भी इस घटना की तस्वीरें साझा करते हुए बताया कि इस साल अब तक करीब 3 लाख कछुए ओडिशा के तटों पर देखे जा चुके हैं.
सरकार ने बढ़ाई सुरक्षा, ऑपरेशन ओलिविया जारी
वन विभाग और भारतीय तटरक्षक बल इस दौरान कछुओं और उनके अंडों की सुरक्षा के लिए सक्रिय हैं. खल्लीकोटे के रेंज ऑफिसर दिव्य शंकर बेहरा ने बताया कि 9 किलोमीटर लंबी बाड़ लगाई गई है. ताकि अंडों को शिकारियों और जानवरों से बचाया जा सके. साथ ही भारतीय तटरक्षक बल ने 1991 से चल रहे 'ऑपरेशन ओलिविया' के तहत सुरक्षा बढ़ा दी है. इस अभियान का मकसद कछुओं को सुरक्षित अंडे देने में मदद करना और उनके अंडों की रक्षा करना है.
प्राकृतिक चक्र का अहम हिस्सा हैं ऑलिव रिडले कछुए
ऑलिव रिडले कछुए अपने जैतूनी हरे रंग के कवच के कारण पहचाने जाते हैं और इन्हें वर्ल्ड कंजर्वेशन यूनियन द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार मादा कछुआ एक बार में 100 से ज्यादा अंडे देती है जो 45 से 50 दिनों में फूटते हैं. इस बार समय पर अंडे देने से यह उम्मीद की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा कछुए जन्म ले सकेंगे जिससे इनकी संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इन कछुओं की रक्षा करना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद जरूरी है.