Chhaava: बॉलीवुड फिल्म 'छावा' इन दिनों चर्चा में बनी हुई है और बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई कर रही है. छत्रपति सांभाजी के जीवन पर आधारित इस फिल्म के रिलीज के बाद से एक बार फिर औरंगजेब की चर्चा तेज हो गई है और फिर कई सवाल मन में उठने लगे हैं.
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Aurangzeb: हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'छावा' सुर्खियों में बनी हुई है. यह एक एतिहासिक फिल्म जो मराठा सम्राट छत्रपति संभाजी महाराज की जिंदगी पर बनी हुई है. लक्ष्मण उतेकर की डायरेक्शन में बनी 'छावा' में 'विक्की कौशल' लीड रोल में हैं. इनके अलावा फिल्म में रश्मिका मंदाना, अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा और दिव्या दत्ता ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं. इस फिल्म की रिलीज के बाद से एक बार फिर औरंगजेब की जिंदगी से जुड़ी कहानियां चर्चा का विषय बन गई हैं. आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि आखिर मराठों के सामने औरंगजेब की फौज क्यों पानी क्यों मांगने लगती थी?
मराठों के सामने औरंगजेब की एक ना चलने की कई वजहें हैं. औरंगजेब 26 साल तक दक्षिण में रहा और उसने पूरे की ताकत मराठों के खिलाफ लगा दी लेकिन फिर भी नाकाम रहा. हालांकि औरंगजेब दूरदर्शी और बेहद चालाक भी था फिर भी वो मराठों के खिलाफ हालात को समझने में पूरी तरह नाकाम रहा.
कहा जाता है कि औरंगजेब की दक्षिण नीति उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई. दक्षिण का भौगोलिक इलाका मुगल सेना के लिए अनुकूल नहीं था. वहां के पहाड़, संकरे दर्रे और दुर्गम इलाके विशाल सेनाओं के संचालन के लिए बेहद मुश्किल बने. भारी-भरकम मुगल सेना धीमी थी, जबकि मराठा सैनिक छापामार जंग में निपुण थे और तेजी से हमला कर सकते थे.
औरंगजेब ने दक्षिण को सीधे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश की, जबकि शाहजहां ने बीजापुर और गोलकुंडा को अधीनस्थ राज्य बनाकर मराठों को रोकने की नीति अपनाई थी. जब औरंगजेब ने इन राज्यों को खत्म कर दिया, तो मराठों को खुलकर बढ़ने का मौका मिल गया.
इसके अलावा मुगल सेनाएं लंबे जंग से थक चुकी थीं. औरंगजेब की संदेह करने की आदत की वजह से सेनापति खुलकर फैसले नहीं ले सका. वह मराठों को तोड़ने में लगा रहा, लेकिन किसी ठोस नीति नहीं बना पाया.
मराठा फौजी बहुत तेज और फुर्तीले थे. मुगलों की सेना बहुत बड़ी थी और उनके साथ सैनिकों के परिवार भी चलते थे. भारी भरकम सामान और धीमी चाल की वजह से मुगलों को लड़ाई में परेशानी होती थी. पहाड़ी इलाकों में उनकी तोपें नाकाम साबित हो जाती थीं.
जुल्फिकार खान को छोड़कर औरंगजेब के पास कोई योग्य सेनापति नहीं था. लंबी जंग की वजह से मुगल सैनिक थक गए और उन्हें लगने लगा कि यह लड़ाई बेकार है. धीरे-धीरे वे औरंगजेब की जिद को नजरअंदाज करने लगे और कुछ ने मराठों का साथ भी देना शुरू कर दिया.
26 वर्षों तक चली जंग में बेतहाशा पैसा और जनशक्ति का नुकसान हुआ. लाखों सैनिक, नागरिक और पशु मारे गए. अकाल और महामारी से मौजूद और भयावह हो गई. मराठों ने दक्षिण पर पूरी तरह कंट्रोल कर लिया. मुगलों की ताकत कमजोर पड़ गई और उत्तर भारत में प्रशासनिक अराजकता फैल गई, जिससे मुगल साम्राज्य के पतन की शुरुआत हो गई.
14 फरवरी को रिलीज हुई 'छावा' फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई कर रही है. फिल्म ने अपने पहले 9 दिनों में अच्छा प्रदर्शन किया और भारत में छावा ने लगभग 300 करोड़ की कमाई कर ली है. एक जानकारी के छावा ने पहले दिन 31 करोड़, दूसरे दिन 37 करोड़ और तीसरे दिन 48.5 करोड़ रुपये की कमाई की थी.