RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक जारी है. 6 दिसंबर को यानी आज फैसलों का ऐलान होगा. आरबीआई की बैठक की नतीजों पर सबकी निगाहें हैं. खास कर मिडिल क्लास को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से राहत की उम्मीद है.
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RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक जारी है. 6 दिसंबर को यानी आज फैसलों का ऐलान होगा. आरबीआई की बैठक की नतीजों पर सबकी निगाहें हैं. खास कर मिडिल क्लास को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से राहत की उम्मीद है. आज जब आरबीआई गवर्नर मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक के फैसलों का ऐलान करेंगे तो माना जा रहा है कि आम लोगों के चेहरे खिल सकते हैं. माना जा रहा है कि जब आज 10 बजे रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे तो ईएमआई भरने वालों के चेहरों पर मुस्कान आ सकती है.
ब्याज दरों में कटौती की कितनी उम्मीद
जहां अधिकांश जानकारों का मानना है कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा, तो दूसरी ओर मोमुरा इंडिया की उम्मीद बिल्कुल अलग है. नोमुरा को उम्मीद है कि दिसंबर पॉलिसी में रिजर्व बैंक रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है. अगर रिजर्व बैंक ऐसा करती है को ब्याज दरें 6.50 फीसदी से गिरकर 6.25 फीसदी पर पहुंच सकती है. रेपो रेट घटते ही आपके होम लोन, कार लोन जैसे कर्जों की EMI कम हो जाएगी.
RBI क्यों घटा सकता है रेपो रेट
नोमुरा ने रेपो रेट में कटौती को लेकर 75% संभावना जताई है. उसने दलील है कि GDP ग्रोथ में आई अचानक गिरावट और इंफ्लेशन को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. कमजोर बढ़ोतरी और महंगाई की संभावना को देखते हुए रेपो रेट में कटौती की जा सकती है. इतनी ही नहीं नोमुरा ने ये भी अनुमान जताया है कि मिड 2025 तक रेपो रेट को घटाकर 5.50% किया जा सकता है. यानी रेपो रेट को 100 बेसिस प्वाइंट घटा सकती है. नोमुरा की दलील के पीछे गिरते जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े हैं. उसने दलील दी है कि दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 5.4% पर गिर गई है, जो पहली तिमाही में 6.7% पर थी. जीडीपी में अचानक आई ये गिरावट दिखाते हैं कि लोगों की निजी मांग में कमी आ रही है. इस चुनौती से निपटने के लिए आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सबको सरप्राइज कर सकता है.
क्या होता है रेपो रेट
बैंकों को भी अपने कामों के लिए कभी-कभार बड़ी रकम की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए वो आरबीआई से अल्पावधि ऋण या कर्ज़ लेता है. इस तरह के ओवरनाइट कर्ज़ पर रिज़र्व बैंक ब्याज वसूलता है. जिसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं. इसी तरह से बैंकों के पास बड़ी रकम बची रहती है, जिसे वो रिज़र्व बैंक में जमा कर देता है, जिस पर उन्हें RBI से ब्याज़ हासिल होता है. उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.
रेपो रेट घटने से होम लोन पर कैसा असर
रेपो रेट घटने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज दर पर सस्ता लोन मिलेगा. जब बैंक को सस्ता लोन मिलेगा तो वो अपने ग्राहकों को भी सस्ती दरों पर लोन बांटेगा. यानी जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है तो बैंकों की ओर से होम लोन, कार लोन आदि की ब्याज दरों में कटौती कर दी जाती है.