Railway Loco Pilot: रेलवे का कहना है कि होम्योपैथिक दवाओं, शीतल पेय (सॉफ्ट ड्रिंक), नारियल पानी, कफ सिरप और माउथवॉश के सेवन से ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट में अल्कोहल की मात्रा बढ़ी हुई पाई जा रही है.
Trending Photos
Indian Railway: दक्षिणी रेलवे के तिरुवनंतपुरम मंडल ने लोको पायलटों और अन्य ट्रेन संचालन कर्मचारियों के लिए एक नया फरमान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि ड्यूटी से पहले या ड्यूटी के दौरान कुछ विशेष चीजों के सेवन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है.
रेलवे का कहना है कि होम्योपैथिक दवाओं, शीतल पेय (सॉफ्ट ड्रिंक), नारियल पानी, कफ सिरप और माउथवॉश के सेवन से सांसों की जांच (ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट) में अल्कोहल की मात्रा बढ़ी हुई पाई जा रही है. इससे कर्मचारियों की तैनाती में दिक्कत आ रही है और ट्रेन संचालन प्रभावित हो रहा है.
रेलवे द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, जब इस तरह के मामलों में ड्राइवरों के रक्त के नमूने सरकारी लैब में जांचे गए, तो उनमें अल्कोहल की मात्रा शून्य पाई गई. यानी शरीर में नशे के कोई प्रमाण नहीं मिले, लेकिन ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट में अल्कोहल की उपस्थिति दर्ज हुई. रेलवे का मानना है कि यह समस्या कुछ विशेष पदार्थों के सेवन के कारण हो सकती है, जिससे ट्रेन संचालन बाधित होता है.
सेवन से पहले सूचित करना जरूरी
सर्कुलर के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी को विशेष परिस्थिति में इन प्रतिबंधित वस्तुओं का सेवन करना है, तो उसे पहले से ही इसकी जानकारी ड्यूटी पर मौजूद क्रू कंट्रोलर (CRC) को लिखित रूप में देनी होगी. इसके बाद CRC को यह जानकारी केंद्रीय नियंत्रण कक्ष में कार्यरत CCRC (लोको पायलट) और सहायक मंडल अभियंता (ADEE/OP) को तुरंत देनी होगी. यदि किसी को चिकित्सकीय कारणों से अल्कोहल युक्त दवा लेनी है, तो इसके लिए रेलवे मेडिकल ऑफिसर की लिखित अनुमति जरूरी होगी.
सर्कुलर में साफ कहा गया है कि यदि कोई कर्मचारी बिना उचित कारण के ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट में अल्कोहल की मौजूदगी के साथ पकड़ा जाता है, तो इसे ड्यूटी में जानबूझकर की गई लापरवाही माना जाएगा. ऐसे मामलों में कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई (DAR) की जाएगी, क्योंकि यह ट्रेन संचालन को प्रभावित करने की एक गंभीर गलती मानी जाएगी.
(इनपुट-PTI)