Mughal History: मुगल इतिहास में भारत पर सबसे ज्यादा समय तक राज करने और लंबी उम्र तक सुख भोगने के मामले में औरंगजेब (Mughal emperor Aurangzeb) भाग्यशाली रहा. सत्ता के मद में जिंदगीभर अकड़ में रहने वाला बादशाह आखिरी वक्त में टूट चुका था. मरने से ठीक पहले उसे कौन सी चिंता खाए जा रही थी, आइए आपको सबकुछ बताते हैं.
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Chhavva and Aurangzeb's last words: पीएम मोदी भी मान चुके हैं कि 'इन दिनों छावा की धूम (PM Modi praised chhavva) मची है.' बॉलीवुड और बॉक्स ऑफिस में छावा की कामयाबी के बीच लोग एक बार इतिहास की किताबों में औरंगजेब को खंगाल रहे हैं. औरगंजेब ने हिंदुओं पर जिस तरह के अत्याचार किए थे उस पर तो एक नया महाकाव्य लिख जाएगा. छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) और शंभाजी (Chhatrapati Sambhaji Maharaj) जैसे मां भवानी के सपूतों की वीरता और मात्रभूमि पर मर मिटने का जज्बा जानकर करोड़ों भारतीय हिंदू युवाओं को भारत माता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देने की प्रेरणा मिलेगी. सवाल ये है कि छावा के साथ औरंगजेब क्यों ट्रेंड कर रहा है, मरते समय उसके दिमाग में क्या चल रहा था? कैसी थी उसकी हालत और क्या थे औरंगजेब के आखिरी शब्द (Aurangzeb's last words) आइए बताते हैं.
दुनियाभर में छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज का डंका एक बार फिर बज रहा है. बात बॉलीवुड फिल्म छावा की जिसने कलेक्शन और दर्शकों का प्यार लूटने की मुहिम में गदर काट रखी है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों रुपयों का बिजनेस कर चुकी है. मुगलों ने भारत में करीब 300 साल तक राज किया. बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब होते हुए मुगलों का शासन ढलान पर पहुंचा. छावा एक बायोपिक फिल्म है जिसकी कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी महाराज और मराठा समाज के लिए उनके बलिदान पर आधारित है.
'छावा' में विक्की कौशल ने छत्रपति संभाजी का किरदार निभाया है. वहीं रश्मिका मंदाना येसूबाई भोंसले का और अक्षय खन्ना ने औरंगजेब का किरदार प्ले किया है. इनके अलावा इसमें आशुतोश राणा, दिव्या दत्ता, विनीत कुमार सिंह जैसे बेहतरीन कलाकारों ने बड़ा जबरदस्त काम किया है. फिल्म डायरेक्टर लक्ष्मण उटेकर ने अपना पूरा टैलेंट उड़ेल दिया तो प्रोड्यूसर दिनेश विजान ने भी छावा को बनाने में बहुत कुछ दांव पर लगा दिया था. सोशल मीडिया पर लोगों के पॉजिटिव रिस्पॉन्स के साथ-साथ छावा को माउथ पब्लिसिटी का भी भरपूर फायदा मिल रहा है.
औरगंजेब के अत्याचार
'छावा' वर्ल्डवाइड ₹ 300 करोड़ का रिकॉर्ड पार कर चुकी है. औरगंजेब के अत्याचारों की चर्चा एक बार फिर जोर शोर से हो रही है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि अत्याचारी औरगंजेब जब मरा तो उसके आखिरी शब्द क्या थे?
इतिहास में अकबर को उदार और औरंगजेब को मुगल इतिहास का सबसे कट्टरपंथी और क्रूर बादशाह बताया गया है. आज बात औरंगजेब की जो लंबी उम्र और सबसे ज्यादा समय तक राज करने के मामलों में सबसे आगे रहा. कहा जाता है कि आखिरी समय में उसकी हेकड़ी निकल गई थी. कैसा था औरगंजेब की जिंदगी का आखिरी दिन, उसके आखिरी शब्द क्या थे, आखिरात में उसके दिमाग में क्या चल रहा था और उसे कौन सी चिंता खाए जा रही थी, आइए बताते हैं.
कहलाता था आलमगीर
औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा बादशाह था जिसने 31 जुलाई 1658 से 3 मार्च 1707 तक अपनी मृत्यु तक राज किया. औरंगजेब को मुगल काल का अंतिम प्रभावी बादशाह माना जाता है. औरगंजेब खुद को आलमगीर यानी विश्व विजेता कहलाना पसंद करता था. औरंगजेब ने सत्ता हासिल करने के लिए पिता शाहजहां को कैद किया. भाई दारा शिकोह की हत्या कराई. हिंदुस्तान में उत्तर भारत के बाद दक्कन का रुख किया और वहां जीते गए हिस्सों में शरिया और इस्लामी कानून को लागू किया. इसके साथ ही उसने अकबर द्वारा खत्म किया गया गैर-मुस्लिमों पर लगने वाला जजिया कर वसूलना शुरू कर दिया था.
औरंगजेब को था अफसोस
औरंगजेब दुनियावी चीजों से ज्यादा दीनी (मजहबी) बातों को पसंद करता था. यही वजह थी कि उसके हरम में सबसे कम महिलाएं थीं. इतिहासकारों के मुताबिक अपने आखिरी समय में औरंगजेब खुद से बातें कर रहा था. उसने कहा, 'अल्लाह ने मुझे जितनी सांसें बख़्शी थीं, उसका एक कतरा भी मैं अदा नहीं कर पाया. क्या मुंह दिखाऊंगा उन्हें?' ये कहते हुए उसने बोलना बंद कर दिया था, लेकिन होंठ कुछ बड़बड़ा रहे थे. उसके बेटे आज़म शाह ने जब गौर से पिता का चेहरा देखा तो हैरान रह गया. आजम ने झुककर अपने पिता की बात सुनने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा. उसने मुगल सल्तनत के सबसे ताकतवर और बूढ़े हाथों को अपने हथेलियों में जकड़ना चाहा, लेकिन औरंगजेब का शरीर ठंडा होने की वजह से वो ऐसा कर नहीं पाया.
मरते समय कहा था खुद को 'पापी'
रिपोर्ट्स के मुताबिक औरंगजेब ने उसी दौरान अपने छोटे बेटे कामबख़्श को बुलाकर अपनी चिंता जताई. उसने कहा, 'मेरे मरने के बाद मेरे लोगों से बुरा सलूक होगा. जो मैंने लोगों के साथ किया, वही मेरे अपनों के साथ होगा.' उसने अपने दूसरे और सबसे चहेते बेटे आजम शाह से कहा, 'बादशाह के तौर पर मैं नाकाम रहा. मेरा कीमती जीवन किसी काम नहीं आया. अल्लाह चारों ओर है, लेकिन मैं बदनसीब हूं कि जब उनसे मिलने की घड़ी आ रही है तब मैं उनकी मौजूदगी महसूस नहीं कर पा रहा. मैं पापी हूं. शायद मेरे गुनाह ऐसे नहीं, जिसे माफ किया जा सके.'
औरगंजेब का आखिरी दिन
मौत करीब आ रही थी वो परेशान था. बादशाह जिंदगी के आखिरी दिन बेबस था. वो दुआओं में सुकून ढूंढ रहा था. अपनी मौत के दिन भी उसने सुबह प्रार्थना की. वो बेटे आजम शाह को बुलाकर उससे बात करते-करते सो गया. कुछ समय बाद उसकी नींद टूटी, लेकिन आंखें सही से नहीं खुल पा रही थीं. मरणासन्न बादशाह औरंगजेब के आस-पास लोगों की भीड़ थी. उसका आखिरी वक्त आ गया था. एक आखिरी प्रार्थना हुई. उसकी आंखे बंद हो गईं और प्राण निकल गए.
औरंगजेब ने गद्दी हासिल करने के लिए अपनों का खून बहाया. 50 साल तक राज करने के दौरान वो ताउम्र लड़ता रहा. उसके गुनाह आखिरी वक्त में परछाई बनकर उसके सामने आ गए थे. बीजापुर फतह करने की सनक ने उसे 88 साल की उम्र में ऐसी जगह पहुंचा दिया था, जहां से उसने दिल्ली के लाल किले को दोबारा वापस देखने की उम्मीद छोड़ दी थी. यही वजह थी कि उसकी आखिरी इच्छा के मुताबिक (जहां मैं मरूं वहीं कहीं जगह देखकर दफना देना) उसे आज के महाराष्ट्र के औरंगाबाद में सुपुर्दे खाक कर दिया गया.