हाल ही में सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर मुद्दा गर्माया हुआ है. इसको लेकर सरकार भी तैयारी में लग गई है. बताया जा रहा है कि इस संबंध में सरकार ने कानूनों की समीक्षा करनी शुरू कर दी है. इस संबंध में अगली मीटिंग 25 फरवरी को होने वाली है.
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील और हिंसक कंटेंट को लेकर नए कानूनों की जरूरत पर गौर कर रहा है. मंत्रालय ने संसद की एक कमेटी को बताया कि समाज में इस बात की चिंता बढ़ रही है कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का गलत इसतेमाल कर आपत्तिजनक कंटेंट प्रसारित किया जा रहा है. नए डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की वजह से मौजूदा कानून कमजोर पड़ रहे हैं और इस पर संशोधन या नया कानून लाने की मांग की जा रही है.
हाल ही में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर अलाहाबादिया के अश्लील बयानों को लेकर काफी गुस्सा देखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अलाहाबादिया को गिरफ्तारी से राहत दी, लेकिन उनके बयानों की कड़ी आलोचना भी की. इसके अलावा कई हाई कोर्ट, सांसदों और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी संस्थाओं ने भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ती अश्लीलता और हिंसा पर चिंता जताई है.
वर्तमान में अखबारों और टीवी चैनलों के लिए सख्त नियम हैं लेकिन ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म, यूट्यूब (YouTube) और सोशल मीडिया पर कंटेंट को कंट्रोल करने के लिए कोई खास कानून नहीं है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी समिति को बताया कि वह इस विषय पर मौजूदा कानूनों की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही एक रिपोर्ट पेश करेगा. इस रिपोर्ट की बुनियाद पर यह तय किया जाएगा कि मौजूदा कानूनों में बदलाव किया जाए या नया कानूनी ढांचा तैयार किया जाए.
आने वाले समय में सरकार इस मुद्दे पर गंभीर फैसले ले सकती है ताकि डिजिटल मीडिया पर अनुशासन बना रहे और दर्शकों को क्वॉलिटी कंटेंट मिले. संसद की समिति 25 फरवरी को इस मुद्दे पर अगली मीटिंग करेगी. सरकार यह यकीनी बनाएगी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बना रहे.
(इनपुट-भाषा)