PM मोदी ने शरद पवार को मंच पर दिया सहारा, कुर्सी पर बिठाया और फिर... मुस्कुराने लगे फडणवीस
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PM मोदी ने शरद पवार को मंच पर दिया सहारा, कुर्सी पर बिठाया और फिर... मुस्कुराने लगे फडणवीस

PM Narendra Modi: राजधानी दिल्ली में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर सबका दिल जीत लिया. NCP चीफ शरद पवार जैसे ही मंच पर बैठने के लिए बढ़े तो पीएम ने ऐसा काम किया जिसके बाद तालियां बजने लगी.

PM मोदी ने शरद पवार को मंच पर दिया सहारा, कुर्सी पर बिठाया और फिर... मुस्कुराने लगे फडणवीस

PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कामों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. अक्सर पीएम की उदारता को देखा जाता है. एक बार फिर पीएम मोदी ने राजधानी दिल्ली में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में लोगों का दिल जीत लिया. इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए NCP चीफ शरद पवार जैसे ही मंच की तरफ बढ़े तो पीएम उनका हाथ पकड़कर कुर्सी पर बैठाया. जिसके बाद मंच के सामने बैठे लोग तालियां बजाने लगे. 

पीएम मोदी बने सहारा
इंटरनेट पर पीएम मोदी के इस काम की जमकर प्रसंशा हो रही है. वीडियो में देखा जा सकता है पीएम पहले शरद पवार का हाथ पकड़कर उनका सहारा बने और कुर्सी तक ले आए. इसके बाद खुद बोतल से पानी निकालकर उनसे पीने के लिए कहा. हालांकि शरद पवार ने पानी पीने से इनकार किया और गिलास को किनारे रख दिया. पीएम मोदी ने अपने इस काम की बदौलत लोगों का दिल एक बार फिर जीत लिया. वहां बैठे लोग इसे देखकर खुश हो गए और तालियां बजाने लगे. पीएम मोदी और शरद पवार की कुर्सी बगल- बगल लगाई गई थी. इस कार्यक्रम में शरद पवार के अलावा महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस भी थे. 

मंच पर जाने के पहले दीप प्रज्वलन के दौरान भी पीएम मोदी ने शरद पवार के साथ दीप प्रज्वलित किया. इस दौरान वहां खड़े महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस भी खुश नजर आए. 

 

क्या बोले पीएम मोदी
रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि 71 साल बाद राष्ट्रीय राजधानी में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन देश की 147 वर्षों की यात्रा का साक्षी रहा है. मैं देश-दुनिया के सभी मराठी प्रेमियों को इस आयोजन की बधाई देता हूं. साथ ही कहा मराठी एक संपूर्ण भाषा है. इसमें भक्ति भी है, शक्ति भी है और युक्ति भी है. भारतीय भाषाओं में कभी कोई आपसी वैर नहीं रहा. इन्होंने हमेशा एक दूसरे को अपनाया है, एक दूसरे को समृद्ध किया है.

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