Jammu Kashmir News: हाल में ही तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन कश्मीर पर टिप्पणी की थी. राष्ट्रपति ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. उनकी इस टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने फटकार लगाई है.
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Jammu Kashmir News: बीते दिन तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कश्मीर पर टिप्पणी की थी. राष्ट्रपति ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. उनकी इस टिप्पणी के बाद विदेश मंत्रालय ने फटकार लगाते हुए कड़ा विरोध किया और कहा कि हम भारत के आंतरिक मामलों पर इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों को खारिज करते हैं.
उनकी टिप्पणी पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हम भारत के लिए शाश्वत मुद्दों पर ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियों को खारिज करते हैं. हमने तुर्की के राजदूत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है. भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह के अनुचित बयान अस्वीकार्य हैं. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. बेहतर होता कि भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करने की पाकिस्तान की नीति, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है, पर रोक लगाई जाती.
क्या है पूरा मामला
बीते दिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बातचीत के बाद कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र से बातचीत का आह्वान किया था. इस दौरान एर्दोगन ने कहा, "कश्मीर मुद्दे को बातचीत के जरिए और कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार हल किया जाना चाहिए. हमारा राज्य और हमारा देश, अतीत की तरह, आज भी हमारे कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुटता में खड़ा है." अपने बयान में, राष्ट्रपति एर्दोआन ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई थी.
दोनों देशों के संबंधों में आई गिरावट
भारत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश देश का अभिन्न अंग थे, हैं और "हमेशा" रहेंगे. भारत इसे द्विपक्षीय मुद्दा मानता है और कश्मीर पर किसी भी तीसरे देश की टिप्पणी को अस्वीकार करता है. बता दें कि भारत द्वारा 5 अगस्त, 2019 को संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई है.