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Ropeway In Varanasi: आपने अक्सर रोपवे को पहाड़ों, नदी या पुलों को पार करने के लिए देखा होगा. यह अमूमन सवारी या सामान ढोने के यूज में लाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी बिजी सड़कों पर रोपवे का यूज होते हुए देखा है? अगर नहीं तो चलिए आपको हम बता दें कि दुनिया के सबसे पुराने शहरों में एक बनारस में ऐसा होने जा रहा है. वाराणसी में जल्द ही रोपवे का ट्रायल रन शुरू होने जा रहा है और इसके लिए केबल्स पर टेस्ट भी किया गया.
काशी में एक नई परिवहन सेवा की शुरुआत हो रही है, जो देश में पहली बार पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में पेश की जा रही है. बीते हफ्ते रोपवे के पहले गोंडोला और उसके रख-रखाव वाहन ने रथयात्रा और विद्यापीठ स्टेशनों के बीच केबल्स पर टेस्ट किया. इस टेस्ट के बाद अब यह संभावना बढ़ गई है कि तीन महीने के भीतर इस रोपवे सेवा का ट्रायल रन शुरू हो सकता है.
रोपवे का परीक्षण: 45 मीटर की ऊंचाई पर
राष्ट्रीय उच्चमार्ग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) की परियोजना निदेशक पूजा मिश्रा ने टीओआई से बातचीत में बताया कि गोंडोला और रख-रखाव वाहन का केबल पर रोलिंग टेस्ट किया गया. यह एक "एलाइनमेंट टेस्ट" था. इस टेस्ट में गोंडोला और वाहन को 45 मीटर की ऊंचाई पर 1.3 किलोमीटर के क्षेत्र में अलग-अलग गति से दो घंटे तक चलाया गया.
बनारस में दिनाकं 30 को रोपवे ट्रायल शुरू किया गया#cable #care #bharat pic.twitter.com/tAEjiwWbSf
— विश्व संवाद केन्द्र, लखनऊ (VSK Lucknow) (@vskawadh) January 31, 2025
पूजा मिश्रा ने बताया, “यह टेस्ट रथयात्रा और विद्यापीठ स्टेशनों के बीच किया गया. यह टेस्ट गोंडोला की सही दिशा में चलने की प्रक्रिया की जांच करने के लिए किया गया.” NHLML ने इस रोपवे परियोजना का काम तेजी से किया है और भूमि संबंधित आखिरी मुश्किलों के हल होने के बाद अब यह प्रोजेक्ट अंतिम चरण में है. पूजा मिश्रा ने कहा, “हमारी परियोजना के लिए जमीन वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) से हमें मिल चुकी है, लेकिन महाकुंभ के कारण भारी मशीनें ले जाने में दिक्कतें हैं. इसलिए, नागरिक निर्माण कार्य अगले महीने शुरू होंगे.”
लोगों के मजेदार रिएक्शन
इस वीडियो को एक्स पर @vskawadh ने शेयर किया और कैप्शन में लिखा, "बनारस में 30 को रोपवे ट्रायल शुरू किया गया." इस पर कई सारे लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी. एक यूजर ने लिखा, "गजबै होइ गवा भाई!" वहीं एक अन्य ने लिखा, "ट्रैफिक की टेंशन से दूर होकर अब हवा में सफर करेंगे बनारसी." एक तीसरे ने लिखा, "महाकाल की नगरी में, यह होना जरूरी है क्योंकि लोग भी भीड़-भाड़ वाले इलाके से दूर रहना पसंद करते हैं."