Post Earthquake Anxiety: कई बार भूकंप के बाद व्यक्ति पोस्ट अर्थक्वेक एंजायटी महसूस करने लगता है. इस कंडीशन में व्यक्ति भूकंप की ताकत और उसके असर को लेकर सोचने लगता है. इसमें व्यक्ति अपनी जान को लेकर असुरक्षित महसूस करता है. साथ ही फ्यूचर में होने वाले भूकंप और उसके असर की कल्पना करता है.
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How To Treat Anxiety After Earthquake: पोस्ट अर्थक्वेक एंजायटी (Post Earthquake Anxiety), एक मेंटल कंडीशन है, जो भूकंप या किसी दूसरे नेचुरल डिजास्टर के बाद होने लगती है. ये एक नर्मल बॉडी रिस्पांस है, जो तब होता है, जब लोग भूकंप की ताकत और इसके असर के बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं. इस तरह की एंजायटी में लोग चिंता, डर, स्ट्रेस महसूस करते हैं.
पोस्ट अर्थक्वेक एंजायटी के कारण
पोस्ट अर्थक्वेक एंजायटी इमोशनल ट्रॉमा के कारण हो सकता है. इसमें भूकंप से पहले या बाद में होने वाली घटनाओं का असर ब्रेन पर पड़ता है, जो इमोशनल ट्रॉमा का कारण बन जाता है. इस एंजायटी में व्यक्ति असुरक्षित महसूस करने लगता है. उसे ऐसा लगने लगता है कि इस तरह के किसी नेचुरल डिजास्टर में उसकी जान चले जाएगी. इस तरह की स्थिति में व्यक्ति कॉन्फिडेंस की कमी भी महसूस करता है, जिसमें नेचुरल डिजास्टर के बाद लोग अक्सर अपने आसपास के वातावरण को खतरनाक मानने लगते हैं.
पोस्ट अर्थक्वेक एंजायटी के लक्षण
अर्थक्वेक या किसी नेचुरल डिजास्टर के बाद कई बार लोगों को एंजायटी होने लगती है. ऐसे में व्यक्ति चिंता, डर, स्ट्रेस महसूस करता है. नींद की परेशानी होने लगती है. गहरी और अच्छी नींद नहीं आती. साथ ही व्यक्ति को भविष्य में फिर से भूकंप आने का डर बना रहता है. वह लगातार भविष्य में आने वाले भूकंप की कल्पना करता रहता है. इसके कारण मसल्स का दर्द और सिरदर्द भी महसूस हो सकता है.
पोस्ट अर्थक्वेक एंजायटी के इलाज
साइकोथेरेपी: इस स्थिति में सीबीटी (Cognitive Behavioral Therapy) व्यक्ति की मदद कर सकता है. यह व्यक्ति के नेगेटिव थॉट्स को पॉजिटिव में बदलने में मदद करती है. इसमें डर को कंट्रोल करना सिखाया जाता है. एक्सपोजर थेरेपी में व्यक्ति को धीरे-धीरे उस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार किया जाता है जिससे वह डरता है (भूकंप के बाद की परिस्थितियों से संबंधित डर).
मेडिटेशन और माइंडफुलनेस: मानसिक शांति पाने के लिए ध्यान करना फायदेमंद हो सकता है. गहरी और नियंत्रित श्वासों (Breathing Exercises) के जरिए भी चिंता को कम किया जा सकता है.
सपोर्ट ग्रुप (Support Groups): ऐसे स्थिति में सपोर्ट ग्रुप मदद कर सकता है. ऐसे लोगों से बात करना जिन्होंने ऐसा ही कुछ अनुभव किया हो. इससे यह महसूस होता है कि आप अकेले नहीं हैं.
फिजिकल एक्टिविटी: फिजिकल एक्टिविटी जैसे योग, हल्का व्यायाम, जिम, दौड़ना भी मेंटल स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है.
दवाइयां: अगर एंजाइटी गंभीर हो, तो डॉक्टर एंटीडिप्रेसेंट्स या एंजाइटी-रेडक्टिंग दवाइयाँ (जैसे बेंजोडायजेपाइंस) की सलाह दे सकते हैं.
हेल्दी लाइफस्टाइल: हेल्दी डाइट, अच्छी नींद और समय पर फिजिकल एक्टिविटी मेंटल कंडीशन को बेहतर बना सकती हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.