mp news-इंदौर के शासकीय गोविंद बल्लभ पंत जिला अस्पताल के एक डॉक्टर ने बखूबी अपनी ड्यूटी को 18 सालों तक निभाया. डॉक्टर भरत बाजपेयी ने 18 साल में मात्र एक महीने की मेडिकल लीव ली है, जबकि सामान्य छुट्टियां कभी नहीं ली.
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madhya pradesh news-मध्यप्रदेश के इंदौर में एक सरकारी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर अनोखा कारनामा कर दिखाया है. डॉक्टर का नाम भरत बाजपेयी है, जानकारी के अनुसार 64 साल के भरत बाजपेयी ने 18 साल में एक महीने की मेडिकल लीव के अलावा कोई भी सामान्य छुट्टी नहीं ली है. वे पोस्टमॉर्टम डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं.
18 साल के अपने करियर में उन्होंने 15 हजार से ज्यादा पोस्टामार्टम किए हैं.
एक बार मेडिकल लीव पर गए थे
शासकीय गोविंद बल्लभ पंत जिला चिकित्सालय के चीफ सुपरिंटेंडेंट डॉ. जीएल सोढ़ी ने शुक्रवार को बताया कि हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम डिपार्टमेंट की शुरुआत 6 नवंबर 2006 को हुई थी और डॉक्टर भरत बाजपेयी तब से इस यूनिट में काम कर रहे. उन्होंने बताया कि डॉ बाजपेयी ने सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला कोई भी सामान्य अवकाश नहीं लिया है. हालांकि तबीयत बेहद खराब होने के कारण वह एक महीने के मेडिकल लीव पर जरूर रहे थे.
15 हजार से ज्यादा किए पोस्टमार्टम
अस्पताल के चीफ सुपरिंटेंडेंट ने कहा, बीते 18 सालों में डॉ बाजपेयी 15,000 से ज्यादा शवों के पोस्टमॉर्टम कर चुके हैं. उनका लगातार पोस्टमॉर्टम करना काम से उनका गहरा लगाव दिखाता है. मृत्यु और न्याय को लेकर अलग-अलग कोट्स बाजपेयी के दफ्तर से लेकर पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर लिखे दिखाई देते हैं, जिनपर लिखा है ‘चैतन्य की मदद करते हुए मृत्यु यहां मुदित रहती है’ और ‘क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं कहोगे?’.
काम को दी तरजीह
डॉक्टर बाजपेयी ने बताया कि उनके परिवार में आए सुख-दु:ख के कई मौकों पर भी उन्होंने अपने काम को तरजीह दी क्योंकि मेडिकोलीगल मामलों में पोस्टमॉर्टम कानूनी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में इस काम को टाला नहीं जा सकता. डॉक्टर बाजपेयी ने कहा, मैंने अपने बेटे की शादी के दिन भी 2 शवों के पोस्टमॉर्टम किए थे.ृ। पोस्टमॉर्टम के बाद मैं शाम को बेटे की बारात और विवाह समारोह में शामिल हुआ था. मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे परिवार के लोगों ने हमेशा तालमेल बनाए रखा और मुझे काम पर जाने से कभी नहीं रोका.
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम
64 साल के डॉक्टर बाजपेयी इसी साल अगस्त में रिटायर होने वाले हैं. उन्होंने कहा, मेरे कर्तव्य के केंद्र में हमेशा मुर्दे रहे हैं, इसलिए मुझे कहने दीजिए कि मुझे जिंदा इंसानों के साथ मुर्दों से भी मोहब्बत है. मैंने हमेशा चाहा कि मैं जिस भी मुर्दे का पोस्टमॉर्टम करूं, उसे अदालत में इंसाफ मिले. बिना एक भी छुट्टी लिए पोस्टमॉर्टम करने को लेकर बाजपेयी का जुनून राष्ट्रीय रिकॉर्ड के रूप में 2 बार ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ के पन्नों पर भी दर्ज हो चुका है.
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