MP Tourism: आपने पुराणों में पाताललोक के बारे में सुना या पढ़ा होगा. ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग लोक में देवताओं का वास होता है और पाताल लोग में राक्षसों का. लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश के छिदवाड़ा में स्थित एक ऐसे घाटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आने के बाद आपको लगेगा की पाताललोक में पहुंच गए हैं.
स्वर्ग और पाताल के बीच में पृथ्वी है जहां मनुष्य रहते हैं. इन दोनों ही लोकों से जुड़ी बहुत सारी चर्चित कहानियां हैं. लेकिन किसी ने भी न तो स्वर्ग लोक के दर्शन किए हैं और न ही पाताल लोक देखा है.
स्वर्ग लोक कैसा दिखता है, यह बता पाना तो मुश्किल है. लेकिन पाताल लोक कैसा दिखता है यह हम आपको दिखा सकते हैं.
आज हम आपको एक ऐसे जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आप सचमुच पाताल लोक में आ गए हैं. इस जगह को लोग पाताल लोक के नाम से भी जानते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पातालकोट घाटी की. यह जगह रहस्य, रोमांच के साथ ये पर्यटन स्थल प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है.
सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों की गोद में बसा यह स्थान प्राकृतिक अजूबा है. जमीन से 1700 फुट की गहराई में बसे इस क्षेत्र को पातालकोट यूं ही नहीं कहा जाता है. इससे जुड़े कई रहस्य, पौराणिक कथाएं भी हैं.
बता दें कि चारों ओर से पहाड़ों और जंगलों से घिरे पातालकोट में 12 गांव हैं. यहां रहने वाले लोग गोंड और भारिया जनजाति के आदिवासी हैं. इसमें कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां कभी धूप नहीं आती है. वहीं, जिन गांवों में धूप आती है वहां सिर्फ 2 घंटे ही उजाला होता है.
इस पाताललोक का इतिहास रामायणकाल से जुड़ा है. ऐसा बताया जाता है कि जब राम-रावण युद्ध हो रहा था तब अपने आराध्य भगवान शिव की आराधना के लिए रावण का पुत्र मेघनाथ इसी स्थान पर आया था. इस बात की जब बता लगा तो हनुमान जी वहां अपनी वानरी सेना के साथ पहुंचकर उसके पूजा को भंग किया था.
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