खतरे की घंटी! जानवरों से फैलने वाली बीमारियां और जलवायु परिवर्तन मचा सकते हैं तबाही, वैज्ञानिक की बड़ी चेतावनी
Advertisement
trendingNow12615520

खतरे की घंटी! जानवरों से फैलने वाली बीमारियां और जलवायु परिवर्तन मचा सकते हैं तबाही, वैज्ञानिक की बड़ी चेतावनी

क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां और तेजी से बदलता जलवायु चक्र एक भयानक महामारी का कारण बन सकते हैं? वैज्ञानिकों की नई चेतावनी ने सबको चौंका दिया है.

खतरे की घंटी! जानवरों से फैलने वाली बीमारियां और जलवायु परिवर्तन मचा सकते हैं तबाही, वैज्ञानिक की बड़ी चेतावनी

क्या हो अगर जानवरों से फैलने वाली घातक बीमारियां और तेजी से बदलता जलवायु हमारे सेहत और जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाए?  विश्व सेहत संगठन (WHO) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि उभरते हुए ज्यादातर वायरल खतरे जूनोटिक संक्रमण (जानवरों से इंसानों में फैलने वाले संक्रमण) हैं. उन्होंने बताया कि ऐसी बीमारियों के प्रसार को रोकने और भविष्य में महामारी की आशंका को कम करने के लिए एकजुट शोध की आवश्यकता है.

डॉ. स्वामीनाथन ने कोच्चि में वेंबनाड झील के जल गुणवत्ता मूल्यांकन और जलजनित संक्रामक रोगों पर एक प्रमुख शोध परियोजना के तहत कई पहल की शुरुआत के अवसर पर यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि आज की सेहत समस्याओं की जड़ पर्यावरणीय कारणों में छिपी है और भारत में एक एनवायरनमेंट हेल्थ रेगुलेटरी एजेंसी (Environmental Health Regulatory Agency) स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

आहार संबंधी खतरा
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि देश में आहार संबंधी जोखिम सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं. उन्होंने कहा कि आधे भारतीय अच्छे खान पान का खर्च वहन नहीं कर सकते. केरल और तमिलनाडु में मोटापा और गैर-संक्रामक बीमारियों की बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने बताया कि कुपोषण, एनीमिया और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स तत्वों की कमी जैसी समस्याएं भी यहां व्यापक रूप से बनी हुई हैं. उन्होंने अनहेल्दी डाइट की आदतों को इसका मुख्य कारण बताया. उन्होंने समुद्री संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने का सुझाव देते हुए कहा कि यह पोषण स्तर में सुधार लाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है.

जलवायु परिवर्तन और बढ़ता खतरा
डॉ. स्वामीनाथन ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत उन सबसे कमजोर देशों में से एक है, जो इस चुनौती का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में जानकारी के अधिभार और सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं का प्रसार सेहत प्रयासों को बाधित कर रहा है. कोविड-19 महामारी के दौरान तथाकथित 'एक्सपर्ट' के सलाह देने के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान और जागरूकता को प्रायोरिटी देने की आवश्यकता पर बल दिया.

Trending news