चीन की जवानी का राज... 'डंकी डीलर' शहबाज? छाती पीट रहे पाकिस्तानी, मामला जबरदस्त है
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चीन की जवानी का राज... 'डंकी डीलर' शहबाज? छाती पीट रहे पाकिस्तानी, मामला जबरदस्त है

Pakistan News: पाकिस्तानी अपनी पहचान गधे से जोड़ने के साथ नेताओं को कोस रहे हैं. क्या इसका चीन से कनेक्शन है? क्योंकि वहां गधों का मांस खाया जाता है और गधों का इस्तेमाल जवां दिखने के लिए किया जाता है. क्या यही है चीनी लोगों की चमक का राज, जिसके चक्कर में बेचारे शरीफ 'डंकी डीलर' बन गए हैं.

चीन की जवानी का राज... 'डंकी डीलर' शहबाज? छाती पीट रहे पाकिस्तानी, मामला जबरदस्त है

Pakistan donkey exporter: पाकिस्तान गधों का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बन चुका है. यह बात सैकड़ों पाकिस्तानियों को खूब नागवार गुजरी है. वह अपने देश के यू-ट्यूब चैनलों पर जमकर मन की भड़ास निकालते हुए अपने हुक्मरानों को कोस रहे हैं. वो कह रहे हैं, 'पाकिस्तान गधों का मुल्क है, जहां एक से बढ़कर एक गधे आपको मिल जाएंगे'. जरा ध्यान से पढ़िएगा, क्योंकि हम ऐसा कुछ नहीं बता रहे बल्कि ऐसे तमाम बोल बचन खुद पाकिस्तान की जनता के हैं, जो दावा कर रही है कि पाकिस्तान में गधों की भरमार है और पाकिस्तान में गधों की आबादी कई मुल्कों की जनसंख्या से ज्यादा है.

'गधा'प्रधान 

बड़ा सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तानी अपनी पहचान गधे से क्यों जोड़ रहे हैं? इसकी वजह है पाकिस्तानी गधों की डिमांड खासकर चीन में. क्योंकि चीन में गधों का मांस तो खाया ही जाता है बल्कि इसके साथ-साथ गधों का इस्तेमाल जवान रहने के लिए किया जाता है. तो क्या यही है जिनपिंग की जवानी का राज, जिसके चलते शहबाज शरीफ डंकी डीलर बन गए हैं.

ध्यान से पढ़िए पाकिस्तान की अवाम इन दिनों क्या कह रही है, पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनलों पर - 'जितने भी गधे...बोले तो डेंचू-डेंचू जो है. वो हम जी देने लगे है चाइना को. चाइना बहुत खुश है. चाइना इसके बदले डॉलर्स-वॉलर्स देगा. जब से चाइना से गधे बेचने का कॉन्ट्रेक्ट हुआ है. पाकिस्तान में अब गधे नहीं मिल रहे. लोगों ने गधों का रेट हाई कर दिया है. मैं बताऊं असल वाले तो न मिलेंगे अब तो डुप्लीकेट दिखएंगे, एकलौती जगह एक है आपको बता दें कि जहां बहुत सारे मिल जाएंगे पार्लियामेंट में.' तमाम चैनल्स उठाकर देख लें ब्रिक्स से लेकर गधों की तिजारत तक सब समझ आ जाएगा. 

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हराम है ऐसा सौदा!

पाकिस्तानी जनता कह रही है कि सरकार की तरफ से गधों को बेचने की इजाजत दी गई है, लेकिन हमारे मजहब में तो ये हराम है. तौबा-तौबा. गधों का कारोबार. पाकिस्तान के कुछ रिपोर्ट्स अंदरूने मुल्क से गधों की खरीदी की खबर का कवरेज कर रहे हैं. एक खबरनवीस बोला - 'मुझे बताइए कैसा महसूस हो रहा है... मेरी जगह तू होता ना...तो बताता कैसा महसूस हो रहा?'

खुद को गधों से बदतर मान रहे लोग?

लोग कह रहे हैं - 'पाकिस्तान, चाइना को 2 लाख 16 हजार गधे बेच रहा है. मुझे भी बिकवा दें, सर आप इंसान है हम गधे बेचने की बात कर रहे हैं. हमें कोई पूछता नहीं अगर वो बिक रहे हैं तो हम गधे ही बन जाते हैं. क्योंकि इस हुकूमत के आगे तो हम गधे ही है. इंडिया वाले आईफोन, लैपटॉप बनाकर, जहाज बनाकर दुनिया पर राज कर रहे हैं और पाकिस्तानी गधे बेच रहे हैं. जैसे हालात चल रहे हैं, उसके लिहाज से तो बहुत अच्छा लगा सुनकर. गधों में नाम आ रहा है हमारा. पाकिस्तान सिर्फ गधों की वजह से तरक्की कर रहा है, हमे गधों पर ही डिपेंड रहना है'.

'घोड़े बेचकर सोते नहीं बल्कि पेट भरते हैं'

पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं - 'नेता मस्ती में हैं, रिपोर्टर फील्ड में हैं. एक सहाबी को रोड पर गधा दिखा तो वो माइक लेकर ऑन कैमरा उससे पूछने लगा- तू यहां क्यों पड़ा है भाई? घोड़े बेचकर सोते हुए मुहावरा तो आपने सुना होगा मगर तो पाकिस्तान गधे बेच कर अपना पेट भर रहा है. रोटी-बोटी जुटा रहा है. कर्जा उतार रहा है और फिर गधे की तरह ही कहीं भी सो जा रहा है.

पाकिस्तानी पत्रकार आरजू काजमी  ने इस विषय पर बहुत कुछ कहा है. तंज कसते हुए उन्होंने कहा- 'पाकिस्तान भर में जितने गधे हैं, सिर्फ अगर उन्हें हम चाइना को दे दें तो हम इस काबिल हो जाएंगे कि पाकिस्तान सारा का सारा कर्जा उतार देगा. आप इससे अंदाजा लगाइए कि पाकिस्तान में कितनी तादाद में गधे मौजूद है. इसके बाद वर्ल्ड बैंक भी हमसे कर्जा ले सकता है. लोन या डोनेशन ले सकता है. हमसे कोई सपोर्ट ले सकता है. और IMF भी हमारे पास आएगा. IMF ने जितना पैसा देखा नहीं,उससे ज्यादा पैसा तो हम कमा लेंगे  सिर्फ और सिर्फ गधे बेचकर'.

बस इसी ख्वाब को पूरा करने में शहबाज सरकार मानो पूरी शिद्दत से जुट गयी. लाहौर से कराची तक, इस्लामाबाद से बलूचिस्तान तक पाकिस्तान में जितने भी गधे मौजूद है. उनकी निशानदेही हुई सर्वे में एक-एक गधे को तलाशा गया ताकि उसे चीन भेजा जा सके. जहां डिमांड है, वहां हमारी सप्लाई है.

चीनियों की जवानी का राज?

गधे की खाल से जिलेटिन यानी गोंद जैसा पदार्थ निकलता है.
इस पदार्थ को चीन की भाषा में 'ई-जियायो' भी कहा जाता है. 
इसका इस्तेमाल त्वचा से जुड़ी दवा बनाने में होता है. 
जिलेटिन के जरिए यौनशक्ति बढ़ाने की दवाई बनती है. 
इम्यून बूस्टर दवाओं में भी 'ई-जियायो' का यूज होता है. 

पाकिस्तानी पत्रकारों ने अपने मुल्क के हुक्मरानों को कायदे से रेल दिया. उन्होंने कहा, 'आखिर पाकिस्तान से ही वो गधा इंपोर्ट क्यों करते हैं? मैं ये बता दूं कि चाइना वालों को गधों की जरूरत क्यों है?'

गधे के गोश्त से सुंदरता बढ़ती है?

लोग कह रहे हैं कि चीन में कॉस्मेटिक और मेडिसिन में गधों का इस्तेमाल होता है. वहां पर गधे की हड्डियों से लेकर हर चीज जैसे ब्यूटी क्रीम तक बनती है. जो अच्छी ब्रांड के कॉस्मेटिक्स है. चेहरे पर जो लैडिज लगाती है, उसमें गधे की चर्बी है. अपने आका जिनपिंग को जवान रखने के लिए चीनी नागरिकों की मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए, शहबाज सरेआम डंकी डीलर बन गए. ताकि पहले पाकिस्तानी गधों की खाल उधेड़ी जाए और फिर उस खाल से 'गर्दभशक्ति' मतलब ताकत को बढ़ाने की दवा बनायी जाएं. तभी चीन की आबादी बढ़ेगी, कंट्री शक्तिशाली बनेगी. वहां गधे की खाल और चर्बी से डंकी परफ्यूम, चेहरा चमकाने के लिए डंकी स्किन केयर क्रीम और डंकी फेस वॉश बनेगा. चीनियों में चुश्ती-फुर्ती लाने के लिए डंकी एनर्जी कैप्सूल बनेंगे.

पैसे का चक्कर बाबू भईया!

सारा खेल पैसे का है तभी तो शहबाज शरीफ सरेआम पाकिस्तानी गधों का कत्लेआम कराने पर उतारू है. जबकि दावा किया जाता है कि इस्लाम में गधों को काटना, उनका गोश्त बेचना हराम है. लेकिन शहबाज को इससे क्या मतलब? वो सीना चौड़ा करके पाकिस्तानी गधों का संहार कर रहे हैं. ताकि पाकिस्तान से गरीबी का नामोनिशान मिटा सके. पाकिस्तान के खजाने में इतना पैसा भर सके. जिसकी कल्पना भी पाकिस्तानी भाईजान ना कर सके. बस शहबाज के इसी गधा कांड से पाकिस्तानी अवाम शर्मसार है.

पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं कि यकीनन हमारे यहां जितने गधे हैं, जो इधर-उधर घूम रहे होते हैं. तो वो भी परेशान हो गए होंगे कि अरे हम पकड़े ना जाए. लेकिन बात सारी ये है कि चाइना को खुश करने के लिए हम कुछ भी करते हैं.

शहबाज की 'गधानीति'

लोग कह रहे हैं शहबाज के 'गधानीति'से माफ कीजिएगा कूटनीति से पाकिस्तानी अवाम तो छाती पीट रही है. शहबाज सरकार को जमकर कोस रही है. लेकिन शहबाज एंड कंपनी को इससे फर्क नहीं पड़ता. मामला सीधे हाईकमान जिनपिंग से जुड़ा है. जिनपिंग के मुल्क से जुड़ा है ऐसे में पाकिस्तानी गधे जिबह हो भी जाएं क्या पर्क पड़ता है. आप ये जानकर हैरान होंगे कि पाकिस्तान में गधों की तादाद कई मुल्कों की आबादी से ज्यादा है.

पाकिस्तानी एजेंसी के सर्वे के मुताबिक

पाकिस्तान में गधों की कुल तादाद करीब 60 लाख है. गधों की आबादी में पाकिस्तान दुनिया में तीसरे नंबर पर है. लिहाजा पाकिस्तान हर साल गधों को चीन में निर्यात करता है. क्योंकि चीन में गधों के मांस-खाल और हड्डियों का इस्तेमाल होता है. 

डंकी टिक्का

पाकिस्तानी पत्रकार आरजू काजमी ने कहा, 'सरकार की तरफ से इसकी इजाजत दी गई है. लेकिन मजहब में ये सब हराम है. तौबा-तौबा. हम लोग सिवाए दवाओं और जरूरी चीजों के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं खाते हैं जो हमारे धर्म में मना है. तो जी गधे खाना मना है. अब करें तो क्या करें, इतने गधे हमारे यहां हैं. भेज-भेजकर, भेज-भेजकर चीन हम थक गए. हमारे गधे खत्म ही नहीं हो रहे. चीन वाले भी रिसीव कर-करके थक गए. तो फिर उन्होंने कहा कि हमारे लोग जो चीन जाते हैं. तुम उन्हें ही वहां पर काट-पीटकर टिक्का-शिक्का बनाकर खिला दो. आपको पता है ना कि गधा टिक्का भी हो सकता है. भई जब गधे काटेंगे तो कुछ तो बनाएंगे ना. तो चिकन टिक्का के बजाय डंकी टिक्का फेमस हो जाएगा पाकिस्तान में.

चीन गधाखोर और कब्जाखोर भी...

पाकिस्तान ने ग्वादर में बड़ा स्लॉटर हाउस खोला है. वहां CPEC का काम चल रहा है. चीनी वर्कर्स और इंजीनियर आते हैं. उनकी खिदमत में गधे काटे जा रहे हैं. चीन, पाकिस्तान से हर साल 2 लाख से ज्यादा गधे मंगवाएगा. पाकिस्तान के लोग मान रहे हैं कि दुनिया में उनकी पहचान गधा होगी, ये बात उन्हें कटोच रही है. वहां सबकी हालात बदत्तर है, जिसकी वजह है चीन जो गधाखोर होने के साथ कब्जाखोर भी है.

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