Bengali Signboard Controversy: लंदन में व्हाइटचैपल स्टेशन पर लगाए गए बंगाली साइनबोर्ड को लेकर ब्रिटेन में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सांसद रूपर्ट लोवे की टिप्पणी और एलन मस्क के समर्थन के बाद यह बहस और तेज हो गई है.
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London Station Bengali Sign: लंदन के एक रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजी और बंगाली भाषा में लिखे एक साइनबोर्ड को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. ब्रिटेन के सांसद रूपर्ट लोवे ने इस पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि स्टेशन का नाम केवल अंग्रेजी में होना चाहिए. उनके इस बयान पर कई लोगों की प्रतिक्रियाएं आईं. जिनमें दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक एलन मस्क भी शामिल हैं.
ब्रिटिश सांसद की आपत्ति
ग्रेट यारमाउथ से सांसद रूपर्ट लोवे ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर इस साइनबोर्ड की तस्वीर शेयर की. उन्होंने लिखा कि यह लंदन है.. स्टेशन का नाम केवल अंग्रेजी में होना चाहिए. उनका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसे हजारों लोगों ने लाइक और शेयर किया.
Yes
— Elon Musk (@elonmusk) February 9, 2025
एलन मस्क ने दिया समर्थन
इस मुद्दे पर टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क की भी प्रतिक्रिया आई. उन्होंने सांसद लोवे के पोस्ट पर संक्षिप्त जवाब देते हुए लिखा, "Yes" यानी "हां." उनके इस कमेंट के बाद सोशल मीडिया पर बहस और तेज हो गई. कुछ लोगों ने सांसद के विचारों का समर्थन किया तो कुछ ने इसे गलत ठहराया.
बंगाली साइनबोर्ड का उद्देश्य क्या है?
यह बंगाली साइनबोर्ड 2022 में व्हाइटचैपल ट्यूब स्टेशन पर लगाया गया था. इसका उद्देश्य पूर्वी लंदन में बांग्लादेशी समुदाय के योगदान को सम्मान देना था. टॉवर हैमलेट्स काउंसिल ने इस पहल को वित्तीय सहायता दी थी ताकि इस इलाके में सुधार कार्य किए जा सकें. यह क्षेत्र ब्रिटेन में सबसे बड़ी बांग्लादेशी आबादी का घर माना जाता है.
ममता बनर्जी ने की थी सराहना
इस फैसले की सराहना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी की थी. उन्होंने मार्च 2022 में एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा था, 'गर्व की बात है कि लंदन ट्यूब रेल ने व्हाइटचैपल स्टेशन पर बंगाली भाषा को साइनबोर्ड के रूप में स्वीकार किया है. यह 1000 साल पुरानी भाषा की बढ़ती वैश्विक पहचान और महत्व को दर्शाता है.'
भारतीय प्रवासियों की सांस्कृतिक जीत
ममता बनर्जी ने इसे प्रवासी भारतीयों के लिए एक सांस्कृतिक जीत बताया था. उन्होंने कहा था कि यह कदम इस बात को रेखांकित करता है कि प्रवासी समुदायों को एक साथ आकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना चाहिए. उनके अनुसार यह केवल एक भाषा का सम्मान नहीं बल्कि एक समृद्ध परंपरा की जीत है.
Proud to note that the London Tube Rail has accepted Bengali as a language of signage at Whitechapel Station, signifying the increasing global importance & strength of the 1000-year old language Bengali. (1/2)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) March 14, 2022
सोशल मीडिया पर तीखी बहस
इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया दो धड़ों में बंट गया है. कुछ लोग सांसद रूपर्ट लोवे और एलन मस्क की राय का समर्थन कर रहे हैं और मानते हैं कि ब्रिटेन में सिर्फ अंग्रेजी भाषा के साइनबोर्ड होने चाहिए. वहीं, कुछ लोग इसे एक समावेशी कदम बता रहे हैं और मानते हैं कि कई देशों में बहुभाषी संकेत आम बात है.
क्या कहती है ब्रिटेन की सरकार?
ब्रिटेन सरकार की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी भाषा से जुड़ा मुद्दा ब्रिटेन में चर्चा का विषय बना हो. पहले भी कई क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाओं के साइनबोर्ड लगाने को लेकर विवाद होते रहे हैं.