कपूर से क्यों होती है भगवान की आरती? किस ग्रह दोष से मिलता है छुटकारा, जानें वजह
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कपूर से क्यों होती है भगवान की आरती? किस ग्रह दोष से मिलता है छुटकारा, जानें वजह

Kapur Aarti Importance: अक्सर लोग पूजन के बाद कपूर से देवी-देवताओं की आरती करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवी-देवताओं की आरती कपूर से ही क्यों की जाती है. आइए जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण और धार्मिक मान्यता.

कपूर से क्यों होती है भगवान की आरती? किस ग्रह दोष से मिलता है छुटकारा, जानें वजह

Kapur Aarti Importance: सनातन धर्म में कई प्रकार की मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं. कुछ मान्यताएं ऐसी हैं जिनसे अधिकांश लोग अनजान रहते हैं. हालांकि, जितनी भी मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, उसमें से अधिकांश के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर छिपा होता है. जब भी किसी धार्मिक अनुष्ठान का समापन होता है तो उस दौरान कपूर से भगवान की आरती होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर कपूर से ही देवी-देवताओं की आरती क्यों की जाती है. आइए जानते हैं कि आरती में कपूर के इस्तेमाल की वजह क्या है. 

कपूर जलाने का धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवताओं के सामने कपूर जलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. जिस घर में नियमित रूप से कपूर जलाया जाता है, वहां पितृदोष या किसी भी प्रकार के ग्रह दोषों का प्रभाव नहीं पड़ता. कपूर जलाने से वातावरण शुद्ध और सुगंधित होता है, जिससे भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं. इसके प्रभाव से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और विचारों में भी शुद्धता व सकारात्मकता आती है.

कपूर जलाने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कपूर एक सुगंधित पदार्थ है, जिसे जलाने पर इसकी महक तेजी से वातावरण में फैल जाती है। इससे वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कपूर जलाने से वायु शुद्ध होती है और सांस संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है। यदि रात को सोने से पहले कपूर जलाया जाए, तो इससे अनिद्रा की समस्या दूर होती है और मन को शांति मिलती है।

आरती के दौरान बोला जाता है यह मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि।।

आरती-मंत्र का भावार्थ

जो कर्पूर के समान गौर वर्ण के हैं, करुणा के अवतार हैं, समस्त संसार के सार हैं, और जो भुजंग (सांप) की माला धारण किए हुए हैं. जो माता पार्वती के साथ समस्त भक्तों के हृदय रूपी कमल में सदैव निवास करते हैं, उन भगवान शिव की हम वंदना और आराधना करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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