5 Sacred Plants: अगर आपके घर में पैसा नहीं टिकता है या घर में अक्सर बीमारी पसरी रहती है तो महाभारत काल के 5 पवित्र पौधे लगा लें. ये पौधे सौभाग्य को अपनी ओर खींच लाते हैं परिवार पर सुख-समृद्धि की बरसात करते हैं.
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5 Sacred Plants of Mahabharata Period: हमारे जीवन में क्या अच्छा होगा और क्या बुरा. यह काफी हद तक हमारे कर्म और भाग्य पर निर्भर करते हैं. वास्तु शास्त्र की मानें तो 5 ऐसे पौधे हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा के नाशक हैं और सौभाग्य को खींचकर घर लाने वाले होते हैं. आज हम आपको दिव्य शक्ति से भरपूर ऐसे 5 पौधों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
पीपल
पीपल के पेड़ का संबंध महाभारत से माना जाता है. अर्जुन को भगवद गीता का संदेश देते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सभी पेड़ों में मैं पीपल हूं. महर्षि वेदव्यास ने पीपल के नीचे बैठकर ही महाभारत की रचना की थी. पीपल का पेड़ हमें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. वह बिना अनुमति और अपनी मर्जी से जहां चाहे पनपता है. यह जीवन में आगे बढ़ने का प्रतीक है.
तुलसी
तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति में सबसे पवित्रतम भी है. यह पौधा हवा को शुद्ध करता है. बैक्टीरिया, वायरस को घर में घुसने से रोकता है. इसकी पत्तियों में बीमारियों को भगाने वाली कमाल की शक्ति होती है. यह पौधा सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि जिस घर में यह पौधा लगा हो, वहां मां लक्ष्मी का स्थाई वास बना रहता है.
बांस
बांस की प्रकृति लचीली है. वह झुकता है लेकिन टूटता नहीं है. वह तेजी से ऊपर की दिशा में बढ़ता है. वह पौधा इस बात की सीख देता है कि आप जीवन में लचीले होकर भी कामयाबी की ऊंचाइयां छू सकते हैं. आपका लचीलापन कमजोरी नहीं बल्कि ताकत होता है. यह पौधा न केवल घर की खूबसूरती बढ़ाता है बल्कि यह सौभाग्य को मजबूत करने वाला भी होता है.
अश्वत्थ
अश्वत्थ वृक्ष, जिसे पवित्र अंजीर के नाम से भी जाना जाता है, का उल्लेख केवल महाभारत में ही नहीं किया गया है. भगवद गीता में इसका पूर्ण अस्तित्व संबंधी उल्लेख मिलता है. भगवान कृष्ण इसे एक ऐसे वृक्ष के रूप में वर्णित करते हैं जिसकी जड़ें ऊपर हैं और शाखाएँ नीचे हैं. यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो रात के आकाश को देखते हैं और आश्चर्य करते हैं कि हम यहाँ क्यों हैं, तो यह आपके लिए है. आप इसके बारे में सोचते हैं, तो वास्तव में जीवन इसी तरह चलता है.
चंदन
दुनिया में लोग एक-दूसरे से जलते हैं और छोटी-छोटी बातों पर आपा खो देते हैं लेकिन चंदन शांत बना रहता है. वह ठंडा रहता है. जब आप इसकी छाल को रगड़ते हैं तो वह शांतिदायक सुगंध छोड़ती है. उसकी महक इतनी सुगंधित होती है कि इसका उपयोग मंदिरों, ध्यान और तनाव राहत अनुष्ठानों में किया जाता है. यह आपको इस बात की याद दिलाता है कि बाहरी अराजकता को कभी भी अपनी आंतरिक स्थिति पर हावी न होने दें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)