Japan earthquake shifted Earth's axis: दुनिया में कुछ ऐसी भयानक आपदाएं आईं हैं, जिसने धरती के रहवासियों ही नहीं पृथ्वी की मूल प्रकृति तक पर असर डाला है. जैसे 2011 में आए एक भूकंप ने पृथ्वी के घुमाव को ही कुछ देर के लिए बदल दिया था.
Japan earthquake: जापान में कई भूकंप आए लेकिन साल 2011 में आया भूकंप ऐसा था जिसने जापान ही नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी पर ही असर डाला. इस भयावह भूकंप ने धरती से लेकर समंदर तक तबाही मचा दी थी.
11 मार्च 2011 को जापान के उत्तर-पूर्वी इलाके में टोहोकू के पास समुद्र में आए इस भूकंप की तीव्रता 9.0-9.1 थी. यह धरती पर आए अब तक के सबसे खतरनाक भूकंप में से एक था. जिसने धरती को थर्रा दिया था और समुद्र में खौफनाक सुनामी ला दी थी.
9 तीव्रता का 1 मिनट का भूकंप ही तबाही ला देता है लेकिन जापान के इस भयंकर भूकंप में तो धरती 6 मिनट तक कांपती रही थी. भूकंप का केंद्र प्रशांत महासागर में था, जिसने 128 से 133 फीट ऊंची लहरें लाईं. आलम ये था कि आधे घंटे में जापान का 70 प्रतिशत इलाका पानी में डूब गया. सुनामी की तेज और भयावह लहरों ने जापान को डूबा दिया था. इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट से आग लग गई.
जापान में तबाही का ये समय इतना खौफनाक था कि धरती पर समंदर का पानी सारी हदें तोड़ रहा था. धरती कांपने से ऊंची-ऊंची इमारतें धराशायी हो रही थीं और ऑयल रिफाइनरी जल रहीं थीं. यानी आग, पानी सब का तांडव एक साथ हो रहा था.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जापान में आए इस भूकंप-सुनामी में 19,759 लोग मारे गए. 6242 लोग जख्मी हुए और करीब 3 हजार लोग आज भी लापता हैं. वहीं 2.28 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे.
जांच में पता चला कि टोहोकू के नीचे मौजूद सबडक्शन जोन की 2 टेक्टोनिक प्लेटों के बीच भरे हुए क्ले की वजह से ये प्लेटें एकदूसरे के ऊपर 164 फीट तक खिसक गई थीं. जिससे इतना भयानक भूकंप आया था. साथ ही जापान में आए भूकंप ने धरती के घुमाव को एक माइक्रोसेकेंड के लिए बदल दिया था. धरती की धुरी कुछ सेकंड के लिए बदल गई थी. इस भूकंप के कारण पृथ्वी के द्रव्यमान का पुनर्वितरण हुआ, जिसके कारण धुरी में बदलाव आया और इससे पृथ्वी की घूर्णन गति में भी थोड़ा बदलाव आया था और दिन कुछ माइक्रोसेकंड थोड़ा छोटा हो गया था.
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