Viral News : अगले दिन विधवा हो जाते हैं, तो शादी क्यों करते हैं किन्नर?
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Viral News : अगले दिन विधवा हो जाते हैं, तो शादी क्यों करते हैं किन्नर?

Viral News : किन्नरों को समाज अलग नजरिए से देखता है, जिससे वे अपनी अलग दुनिया में रहते हैं. उनकी जिंदगी आम लोगों से अलग होती है, लेकिन वे एकजुटता के साथ खुशहाल जीवन बिताते हैं. मान्यता है कि उनकी दी गई दुआ किसी की तकदीर बदल सकती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, कि किन्नर एक दिन के लिए शादी क्यों करते हैं?

 

Why do eunuchs marry if they become widows the next day

Viral News : किन्नर भी आम लोगों की तरह इंसान होते हैं, लेकिन समाज उन्हें अलग नजरिए से देखता है, जिससे वे अपनी अलग दुनिया बसा लेते हैं. उनकी ज़िंदगी आम लोगों से अलग होती है, फिर भी वे अपने बनाए गए दायरे में खुश रहते हैं. मान्यता है कि किन्नरों की दी गई दुआ किसी की तकदीर बदल सकती है. वे एकजुटता के साथ रहते हैं और नए किन्नरों का जोरदार स्वागत करते हैं.

भगवान से विवाह और विधवा होने की परंपरा

यह मान्यता गलत है कि किन्नरों की शादी नहीं होती, वे विवाह करते हैं, लेकिन सिर्फ एक दिन के लिए. किन्नर अर्जुन और नाग कन्या उलूपी के पुत्र इरावन (अरावन) से विवाह करते हैं. इस दौरान वे खूब नाच-गाना और उत्सव मनाते हैं. विवाह के बाद इरावन देवता की मूर्ति तोड़ दी जाती है, जिससे किन्नरों को विधवा माना जाता है. इसके बाद वे हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार विधवा के वस्त्र धारण करते हैं और फिर सामान्य जीवन जीने लगते हैं.

महाभारत से जुड़ी है किन्नरों की विवाह परंपरा

किन्नरों की इस विवाह परंपरा की जड़ें महाभारत काल से जुड़ी हुई हैं. कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की, जिसमें एक शर्त के तहत किसी राजकुमार की बलि देनी थी. कई प्रयासों के बावजूद कोई भी बलिदान के लिए तैयार नहीं हुआ, लेकिन इरावन ने स्वेच्छा से बलि स्वीकार की.

हालांकि, उसने एक शर्त रखी कि पहले उसका विवाह कराया जाए. इस मांग ने पांडवों को बड़ी दुविधा में डाल दिया, क्योंकि सवाल यह था कि कोई राजकुमारी एक दिन के लिए उससे शादी करने को तैयार होगी या नहीं.

श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप में निभाई विवाह की रस्म

इस समस्या का हल खुद भगवान श्रीकृष्ण ने निकाला. उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर इरावन से विवाह किया और उसकी अंतिम इच्छा पूरी की. अगले ही दिन, जब इरावन की बलि दी गई, तो मोहिनी रूपी श्रीकृष्ण विधवा हो गए और सभी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए शोक मनाया. इसी घटना की याद में किन्नर समाज इरावन को अपना देवता मानता है और हर साल एक दिन के लिए उनसे विवाह कर, अगले दिन विधवा होने की रस्म निभाता है.

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