Viral News: पीरियड्स के दौरान दुल्हन को ससुरालवालों द्वारा शर्मनाक बर्ताव का सामना करना पड़ा. उसे कमरे में बंद कर दिया गया, नहाने की इजाजत नहीं थी और रसोई या पूजा कक्ष में जाने से भी रोक दिया गया. इस भेदभाव को सहन नहीं करते हुए महिला ने शादी तोड़ने का फैसला लिया.
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Bhopal Viral News: भोपाल की एक महिला ने मासिक धर्म से जुड़ी प्रथाओं का विरोध करते हुए अपनी शादी खत्म करने का फैसला लिया. पीरियड्स के दौरान उसे कई भेदभावों का सामना करना पड़ा, जैसे कमरे में बंद करना और नहाने की इजाजत न देना. जब महिला ने अपने पति से इस बारे में शिकायत की, तो उसने कोई मदद नहीं की. इस पर महिला ने तय किया कि वह ऐसे अंधविश्वासों को नहीं सहन करेगी और अपने ससुराल को छोड़ दिया. महिला का यह कदम पुराने रीति-रिवाजों के खिलाफ खड़ा होने का प्रतीक है.
यह जोड़ा आपसी सहमति से तलाक ले चुका है. दोनों की उम्र लगभग 30 के आसपास है और उनकी अरेंज्ड शादी लगभग दो साल पुरानी थी. आदमी एक पुजारी है और भोपाल के पास एक छोटे शहर में अपने माता-पिता के साथ रहता है. शादी के बाद महिला को जल्दी ही यह महसूस हुआ कि उसका परिवार पारंपरिक और पुराने रीति-रिवाजों में बसा हुआ है. महिला को अपने ससुरालवालों की अंधविश्वासों और पुराने विश्वासों से बहुत परेशानी हुई. जब उसका पति भी इन बातों का विरोध नहीं कर सका तो महिला ने अपनी शादी को खत्म करने का फैसला लिया.
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पीरिडयड्स के दौरान दुल्हन के साथ शर्मनाक बर्ताव
महिला अपने ससुराल में अपने पहले पीरियड के दौरान हैरान हो गई जब उसे सात दिनों तक रसोई या पूजा कक्ष में जाने की अनुमति नहीं दी गई. उसे घर से बाहर जाने और एक कमरे में बंद रहने के लिए कहा गया. सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि उसकी सास ने उसे एक हफ्ते तक नहाने से मना कर दिया. महिला ने जब इस बारे में अपने पति से शिकायत की तो उसने कोई मदद नहीं की. पति ने कहा कि उसे इन नियमों का पालन करना होगा, और उसने इस पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया.
महिला ने बताइ सच्चाई
महिला के लिए समस्या तब बड़ी गई जब उसके ससुरालवालों ने कहा कि जब भी वह बाहर जाती है, सड़क के कुत्ते भौंकते हैं और उसका पीछा करते हैं जो बुरी आत्माओं के प्रभाव को दर्शाता है. इस बेबुनियाद बात को सहन नहीं कर पाते हुए, महिला ने शादी के चार महीने बाद अपने ससुराल को छोड़ दिया और अपने माता-पिता के घर चली गई.
तोड़नी पड़ गई शादी
महिला ने अपने पति से कहा कि उसके लिए उसके पारंपरिक ससुरालवालों के साथ रहना मुश्किल होगा. इसके बाद, दोनों ने आपसी सहमति से भोपाल जिला परिवार न्यायालय में तलाक का आवेदन दायर किया। यह आवेदन हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(बी) के तहत था. न्यायालय ने इस आवेदन को मंजूरी दी और तलाक का आदेश जारी कर दिया.
काउंसलर रही सपना प्रजापति बताती है
इस मामले की काउंसलर रही सपना प्रजापति बताती है कि यह एक कड़वा सच है कि आज भी कुछ लोग पुराने और गलत विश्वासों में यकीन करते हैं. उन्होंने कहा, "महिला ने बताया कि उसे पीरियड्स के दौरान केवल टॉयलेट जाने की अनुमति थी. इस दौरान वह खुद को बहुत गंदा और बदबूदार महसूस करती थी." यह घटना इस बात को दर्शाती है कि अभी भी समाज में कुछ स्थानों पर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो कि आधुनिक सोच के बिल्कुल खिलाफ है.