Viral News : 20 साल के भारतीय स्टूडेंट विश्वा राजकुमार ने फरवरी की शुरुआत में मेमोरी लीग वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर भारत का नाम रोशन किया. इस ऑनलाइन प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को 80 रैंडम नंबर याद रखने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
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Viral News : फरवरी की शुरुआत में 20 साल के भारतीय स्टूडेंट विश्वा राजकुमार ने मेमोरी लीग वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन किया. यह एक ऑनलाइन कॉम्पिटीशन है, जहां टैलेंट को 80 रैंडम नंबरों का क्रम याद रखने जैसे चैलेंजों का सामना करना पड़ता है. वह भी इतनी तेजी से, जितनी देर में लोग जूते के फीते बांधते हैं.
फेमस न्यूरोसाइंटिस्ट एलेनॉर मैग्वायर की जनवरी में डेथ हो गई. उन्होंने राजकुमार जैसे "मेंटल एथलीट्स" का अध्ययन किया था. उन्होंने पाया कि इनमें से कई पुरानी रोमन मेमोरी टेक्निक "मेथड ऑफ लोकी" (Memory Palace) का उपयोग करते हैं. यह तकनीक याददाश्त को मजबूत बनाने के लिए किसी बड़े घर की कल्पना कर उसमें अलग-अलग यादों को रखने पर आधारित है. ऐसा करने से दिमाग का हिप्पोकैम्पस सक्रिय हो जाता है, जो याददाश्त को नियंत्रित करता है.
क्या है राजकुमार की मेमोरी स्ट्रेटजी?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने राजकुमार से उनकी मेमोरी टेक्निक्स के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हाइड्रेशन यानी शरीर में पर्याप्त पानी होना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा- "जब आप कुछ याद करते हैं, तो आप इसे अपने अंदर ही दोहराते हैं. यह सबवोकलाइजेशन कहलाता है. अगर आपका गला साफ न हो, तो यह प्रक्रिया धीमी हो सकती है. ज्यादा पानी पीने से दिमाग तेज काम करता है और पढ़ने की स्पीड भी बढ़ जाती है." राजकुमार की इस अद्भुत जीत से भारत को गर्व हुआ है और उनकी मेमोरी तकनीक दुनिया भर के स्टूडेंटों और प्रतियोगियों के लिए प्रेरणा बन सकती है.
मेमोरी पैलेस तकनीक से जीती वर्ल्ड चैंपियनशिप
20 वर्षीय भारतीय स्टूडेंट विश्वा राजकुमार ने हाल ही में मेमोरी लीग वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर अपनी अद्भुत याददाश्त का परिचय दिया. उनकी जीत का राज "मेमोरी पैलेस" नाम की तकनीक है, जो प्राचीन रोमन मेमोरी स्ट्रेटजी पर आधारित है. इस तकनीक में वह याद रखने वाली चीजों को एक काल्पनिक महल के कमरों में व्यवस्थित करते हैं, जिससे उन्हें सही क्रम में चीजें याद रखने में मदद मिलती है.
कैसे काम करती है मेमोरी पैलेस तकनीक?
राजकुमार ने बताया कि अगर उन्हें 100 शब्द याद करने हों, तो वह हर दो शब्दों को मिलाकर एक छोटी कहानी बनाते हैं. इस तरह कुल 50 कहानियां बनती हैं. लेकिन इन कहानियों का सही क्रम याद रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. यहीं पर मेमोरी पैलेस तकनीक मदद करती है, जिससे उन्हें हर कहानी का सही स्थान याद रहता है.
कैसी होती है चैंपियनशिप की चुनौती?
राजकुमार ने मेमोरी लीग वर्ल्ड चैंपियनशिप के एक टास्क के बारे में बताया. इसमें प्रतियोगियों को 80 रैंडम नंबर स्क्रीन पर दिखाए जाते हैं, जिन्हें वे सबसे तेज समय में याद करने की कोशिश करते हैं. इसके बाद एक रिकॉल शीट पर उन्हें ये नंबर सही क्रम में लिखने होते हैं.
राजकुमार ने क्या कहा?
उन्होंने बताया- "मैंने सभी 80 नंबर याद किए और सही क्रम में लिखे. मेरा सबसे तेज रिकॉर्ड 13.5 सेकंड में 80 नंबर याद करने का है, यानी लगभग हर सेकंड छह नंबर." राजकुमार की यह शानदार उपलब्धि न केवल उनकी असाधारण याददाश्त को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सही तकनीक से इंसान का दिमाग असंभव को भी संभव बना सकता है.
अब राजकुमार अपने अगले लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि कॉलेज पूरा होने के बाद अगले दो-तीन महीनों में वह मेमोरी ट्रेनर बनने की योजना बना रहे हैं. उनका सपना भारत में एक मेमोरी ट्रेनिंग संस्थान स्थापित करने का है, जहां वह याददाश्त बढ़ाने की खास तकनीकें सिखा सकें. उन्होंने कहा—"मेरा मकसद इसे बड़े स्तर पर ले जाना है." उनकी इस सोच से भारत में मेमोरी ट्रेनिंग को एक नई दिशा मिल सकती है और कई लोग इन तकनीकों को सीखकर अपनी याददाश्त बेहतर बना सकते हैं.