किसी भी रेसेपी में अगर हल्दी डाल दिया जाए तो उसका टेस्ट कई गुणा बढ़ जाता है, लेकिन क्या इसका सेवन हमारी दोनों किडनी के लिए सुरक्षित है, या फिर नुकसान पहुंचा सकता है?
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Is turmeric bad for kidney: इंडियन किचन हल्दी के बिना अधूरा सा लगता है, इसके बिना हम करी बनाने की शायद कल्पना भी नहीं कर सकते है. इसके साथ ही इस मसाले को आयुर्वेद का खजाना समझा जाता है और इसका मेडिसिनल यूज भी काफी होता है . हल्दी का प्राइमरी बायोएक्टिव कंपोनेट, करक्यूमिन, एंटी इंफ्लेमेंट्री इफेक्ट वाला एक असदार एंटीऑक्सीडेंट है, लेकिन कई लोग मानते हैं कि ये हमारी किडनी के लिए अच्छा नहीं होता. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है.
क्या किडनी की दुश्मन है हल्दी?
एशियन हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के डायरेक्टर और हेड डॉ. रितेश शर्मा (Dr. Reetesh Sharma) ने टीओआई से कहा, "जब हल्दी का सेवन संयम के साथ किया जाता है, तो ये आम तौर पर गुर्दे के लिए टॉक्सिक नहीं होता है. मुख्य खतरे ज्यादा इस्तेमाल करने से आते हैं, खास तौर से हाई डोज सप्लिमेंट्स से. ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत ज्यादा करक्यूमिन लेने से आपके यूरिन में ऑक्सालेट का लेवल काफी बढ़ सकता है, जिससे आपको गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है."
ज्यादा हल्दी खाने के खतरे
हल्दी में ऑक्सालेट की मात्रा मध्यम रूप से अधिक होती है, जिसका मतलब है कि हद से ज्यादा खपत, खास तौर से सप्लिमेंट्स के रूप में, किडनी स्टोन के फॉर्मेशन में योगदान कर सकती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनको पहले से इसका खतरा है.
जबकि भोजन में हल्दी की हल्की मात्रा आम तौर पर हार्मलेस होती है, लेकिन इसकी ज्यादा खुराक गुर्दे पर एडिशनल प्रेशर डाल सकती है. इसके अलावा, कुछ सबूत बताते हैं कि हल्दी की हाई डोज पहले से मौजूद बीमारियों वाले लोगों में किडनी फेलियर का कारण बन सकती है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि गुर्दे को अतिरिक्त रसायनों को छानने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिससे टॉक्सिसिटी हो सकती है. हल्दी गुर्दे की बीमारी, डायबिटीज या ब्लड क्लॉटिंग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के साथ इंटरेक्ट कर सकती है.
एमडीपीआई (MDPI) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि करक्यूमिन की ज्यादा डोज नेफ्रोटॉक्सिक इफेक्ट डाल सकती है और रीनल डैमेज को बढ़ा सकती है, खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले से ही किडनी डिजीज या रिस्क फैक्टर्स हैं.
हल्दी का सावधानी से इस्तेमाल कैसे करें?
भोजन में हल्दी की थोड़ी मात्रा, जैसे कि करी, सूप और चाय, अक्सर सेफ होती है. कैल्शियम रिच फूड्स (जैसे डेयरी, पत्तेदार साग, या बादाम) में हल्दी मिलाने से ऑक्सालेट को बाइंड करने किडनी स्टोन के खतरे को कम करने में मदद मिलती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमें इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.