क्या वक्फ बोर्ड में अभी-भी होंगे 2 गैर मुस्लिम मेंबर, JPC ने किन बदलावों को दी मंजूरी?
Advertisement
trendingNow12619997

क्या वक्फ बोर्ड में अभी-भी होंगे 2 गैर मुस्लिम मेंबर, JPC ने किन बदलावों को दी मंजूरी?

वक्फ संशोधित बिल पर चर्चा करने के लिए बनाई गई समिति की आखिरी मीटिंग हो गई है. बताया जा रहा है कि जेपीसी ने बिल के मसौदे में 14 बदलावों को मंजूरी दी है. हालांकि विपक्षी सांसदों के ऐतराज अभी-भी जारी हैं, उनका कहना है कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार दखल अभी-भी जारी रहेगा.

क्या वक्फ बोर्ड में अभी-भी होंगे 2 गैर मुस्लिम मेंबर, JPC ने किन बदलावों को दी मंजूरी?

JPC on Waqf Amendment Bill: अगस्त महीने में लोकसभा के अंदर पेश गिए गए वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने बिल के मसौदे में 14 बदलावों को मंजूरी दी है. इस बिल का मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में 44 बदलाव करना है. इन 14 बदलावों में सबसे अहम यह है कि वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों का होना लाजमी था. इसके अलावा नामांकित पदेन सदस्य (चाहे वे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम) भी बोर्ड का हिस्सा हो सकते हैं. 

'90 फीसद वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड नहीं'

एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब किसी संपत्ति को 'वक्फ' घोषित करने का फैसला जिला कलेक्टर के बजाय राज्य सरकार के ज़रिए नामित अधिकारी करेगा. इसके अलावा यह भी तय किया गया है कि यह कानून पहले से रजिस्टर्ड संपत्तियों पर पिछली तारीख से लागू नहीं होगा. हालांकि कांग्रेस नेता और JPC सदस्य इमरान मसूद ने चिंता जताई कि लगभग 90 प्रतिशत वक्फ संपत्तियां अभी तक पंजीकृत नहीं हैं.

विपक्ष के सभी 44 सुझाव खारिज

भाजपा सांसदों जैसे कि निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या और अपराजिता सारंगी ने ये 14 बदलाव सुझाए हैं. तेजस्वी सूर्या ने यह भी सुझाव दिया कि जो लोग जमीन दान करना चाहते हैं, उन्हें यह साबित करना होगा कि वे कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं और उनकी संपत्ति दान में कोई चालबाजी नहीं है. कुल मिलाकर सत्तारूढ़ दल और उसके सहयोगी दलों ने 23 बदलावों का प्रस्ताव रखा, जबकि विपक्ष ने 44 बदलाव सुझाए, जिनमें से कोई भी मंजूर नहीं किया गया.

विपक्ष ने उठाए सवाल

इन बदलावों को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं. सरकार का कहना है कि ये बदलाव मुस्लिम महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए हैं, लेकिन विपक्ष के नेताओं, जैसे कि असदुद्दीन ओवैसी और कनिमोझी का मानना है कि यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों और संविधान के अनुच्छेद 15 और 30 का उल्लंघन करता है. इसके अलावा विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की कार्यवाही पर भी सवाल उठाए हैं. 

'अलोकतांत्रिक तरीके से हुई चर्चा'

वक्फ बिल पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति के विपक्षी सदस्यों का दावा है कि समिति के अध्ययन के बावजूद बिल का ‘कठोर’ चरित्र और मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल करने जारी रहेगा. समिति की बैठक में विधेयक में अपने प्रस्तावित संशोधनों को खारिज किए जाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर समिति के कामकाज में ‘अलोकतांत्रिक’ होने का भी आरोप लगाया.

'हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे'

उन्होंने आरोप लगाया कि पाल ने केंद्र सरकार को संसद में उसके बहुमत का उपयोग करके इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को भगवा रंग से रंगने में मदद की है. द्रमुक सांसद ए राजा ने आरोप लगाया कि समिति की कार्यवाही को ‘मजाक’ बनाकर रख दिया गया है और 'इस समय तक रिपोर्ट तैयार हो चुकी है.' उन्होंने कहा,'संसद की मंजूरी मिलने के बाद द्रमुक और मैं खुद नए कानून को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.' 

जगदंबिका पाल ने खारिज किए आरोप

हालांकि पाल ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि समिति ने सभी संशोधनों पर लोकतांत्रिक तरीके से विचार किया. समिति के विपक्षी सदस्यों ने एक संयुक्त बयान में कहा,'विपक्षी सांसदों ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 खंडों में संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसमें मौजूदा अधिनियम के अधिकांश प्रावधानों को बहाल करने की मांग की गई है.' उन्होंने दावा किया कि समिति के ज़रिए अपनी रिपोर्ट में प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘कठोर’ चरित्र को बनाए रखेगा और मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा.  

1995 में बना था वक्फ कानून

1995 में वक्फ कानून वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था और इसे आखिरी बार 2013 में संशोधित किया गया था. नए बदलावों वाले बिल पर चर्चा करने के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 9 अगस्त को समिति का गठन किया था.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news