JLF 2025: मेरे पिता नास्तिक थे, सेक्स वर्करों ने मुझ पर टमाटर फेंके...,सुधा मूर्ति ने बेटी अक्षता के साथ खोले जिंदगी के कई राज!
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JLF 2025: मेरे पिता नास्तिक थे, सेक्स वर्करों ने मुझ पर टमाटर फेंके...,सुधा मूर्ति ने बेटी अक्षता के साथ खोले जिंदगी के कई राज!

jaipur literature festival 2025: समाजसेवी-लेखिका राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने जयपुर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी बेटी अक्षता से बात करते हुए जिंदगी से जुड़ीं कई बातों का खुलासा किया. इस फेस्टिवल में अपनी सास को सुनने ‌ब्रिटेन के पूर्व पीएम ऋषि सुनक भी जयपुर आए हुए थे. आइए जानते हैं आखिर सुधा मूर्ति ने बेटी अक्षता से बात की.

JLF 2025: मेरे पिता नास्तिक थे, सेक्स वर्करों ने मुझ पर टमाटर फेंके...,सुधा मूर्ति ने बेटी अक्षता के साथ खोले जिंदगी के कई राज!

Sudha Murthy jaipur literature festival: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature festival) में लेखिका राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षता ने एक साथ मंच शेयर किया. इस दौरान दोनों मां-बेटी ने जिंदगी से जुड़ीं कई बातें दर्शकों से कही. माई मदर माई सेल्फ सेशन में इंफोसिस फाउंडर नारायण मूर्ति और ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक भी दर्शकों के बीच मौजूद रहे. पूर्व ब्रिटिश पीएम शुक्रवार को ही जयपुर पहुंच गए थे. शनिवार को वे अपनी सास और पत्नी के सेशन के सेशन में भी शामिल हुए.

मां-बेटी ने एक साथ मंच किया शेयर
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति ने गीता के श्लोक 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन' से मां सुधा मूर्ति के इंटरव्यू की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि- कर्म करते रहना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए. सुधा मूर्ति ने जीवन के अनुभवों, लेखन और मूल्यों पर चर्चा करेंगी. सेशन की शुरुआत से पहले ऋषि सुनक दोनों को ऑल द बेस्ट करते नजर आए.

मेरे पिता नास्तिक थे
सुधा ने इस दौरान बताया कि उनके पिता नास्तिक थे. वे मंदिर, मस्जिद, चर्च कुछ नहीं मानते थे, उनके लिए इंसानों की सेवा ही असली भगवान थे. इसलिए मैं सोचती हूं कि जब मैं ईश्वर से मिलूंगी तो कहूंगी- मैंने बच्चों की सेवा की, वैसे ही जैसे तुम्हारी भक्ति करती. सुधा मूर्ति ने बताया कि उन्होंने कर्नाटक में करीब 3,000 सेक्स वर्कर्स को दोबार जिंदगी देने में मदद की, यह सफर आसान नहीं था. जब मैं उनके इलाके में जाती तो लोग टमाटर फेंकते, चप्पलों को फेंक अभिवादन करते, लेकिन मैं अडिग रही और उनकी जिंदगी सुधारी.

जिंदगी के लिए किताबें पढ़ो
सुधा मूर्ति से बेटी अक्षता ने जब पूछा कि आपने कहानियों के जरिए मुझे सारी नॉलेज दी. साइंस की, हिस्ट्री की फिलोसॉफी की सबकी बातें बताई. लेकिन सबसे जरूरी बात जो आपने सिखाई कि स्कूल के लिए नहीं बल्कि लाइफ के लिए पढ़ो. यह सोच कैसे आई? इस पर सुधा ने बताया कि  मैं शिक्षकों के परिवार से आई हूं. सिर्फ नारायण मूर्ति ऐसे थे जो व्यापार की तरफ चले गए. हर मौके पर किताबें दी जाती थी. कहा जाता था कि नॉलेज सबसे महत्वपूर्ण है. मैं किताबों के साथ बड़ी हुई, पैसों के साथ नहीं. इसीलिए मैंने तुम्हें और रोहन को किताबें दी. इसी के साथ बड़ा किया.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हुए शामिल
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुए. उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.

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