ujjain simhastha kumbh mela 2028: उज्जैन सिंहस्थ कुंभ की तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं. शिप्रा नदी का निरीक्षण करने पहुंचे संतों ने बहता नाला देख प्रशासन पर नाराजगी जताई और इसे जल्द से जल्द बंद करने की चेतावनी दी है.
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Ujjain Simhastha Kumbh Mela 2028: प्रयागराज महाकुंभ खत्म होने को है. प्रयागराज संगम तट से साधु संत और महामंडलेश्वर मंहत अपनी अपनी अखाड़ों की तरफ प्रस्तान करने लगे हैं. मध्य प्रदेश के साधु संत वापस आ गए हैं. एमपी के साधु-संत अब उज्जैन में होने वाले सिहंस्थ कुंभ तैयारियों में लग गए हैं. गुरुवार को "एनवायरमेंट बाबा" के नाम से प्रसिद्ध आवाहन पीठ के महामंडलेश्वर अरुण गिरी भोपाल पहुंचे. यहां उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उज्जैन सिंहस्थ में प्रयागराज से भी ज्यादा भीड़ होगी. वहीं, शिप्रा नदी की में पहने वाले नालों को लेकर साधु-संतों ने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
जानिए क्या बोले अरुण गिरी
भोपाल पहुंचे आवाहन पीठ के महामंडलेश्वर अरुण गिरी महाराज उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर स्थानीय मीडिया से बातचीत की. उन्होनें सिंहस्थ कुंभ को लेकर कहा, "ऐसा अनुमान है कि प्रयागराज से ज्यादा भीड़ सिंहस्थ में होगी. बहुत से लोग जो प्रयागराज नहीं आ पाए, वो यहां आने की बात कह रहे हैं. आने-जाने के लिए अलग-अलग रोड़ बनाए जाने चाहिए"
संतों ने किया शिप्रा निरीक्षण
सिंहस्थ कुंभ का आयोजन 2028 में होगा. 3 साल बाद लगने वाले सिंहस्थ को लेकर एक तरफ जहां प्रदेश की मोहन सरकार तैयारियों में लगी है, तो वहीं दूसरी ओर अखाड़ों के साधु-संत भी मां शिप्रा के घाटों का निरीक्षण कर रहे हैं. आज शुक्रवार को करीब एक दर्जन से अधिक साधु-संतों ने शिप्रा नदी में गिर रहे नालों का निरीक्षण किया और इस पर नाराजगी जाहिर की. निरीक्षण के दौरान साधु संतों में नाराजगी देखने को मिली. उन्होंन प्रशासन को चेतावनी दी और कहा कि यदि शिप्रा में बहने वाले नालों को जल्द ही बंद नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
नालों से प्रदूषित हो रही शिप्रा
संतों ने आज शुक्रवार सुबह शिप्रा नदी के घाटों का निरीक्षण किया. इस निरीक्षण के दौरान स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत डॉ. रामेश्वर दास महाराज, सत्यानंद जी महाराज, महानिर्वाणी अखाड़े के महंत मुकुंद पुरी महाराज, रामानुजकोट पीठाधीश्वर रंगनाथाचार्य जी महाराज, देव गिरी महाराज, सेवा गिरी महाराज, दिग्विजय दास जी महाराज, महामंत्री रामेश्वर गिरी महाराज, काशी दास महाराज समेत कई संत शामिल थे. इस दौरान संतों ने देखा कि कई स्थानों पर गंदे नालों का पानी सीधे शिप्रा नदी में मिल रहा है. संतों ने नालों का पानी शिप्रा में मिलते देखा और प्रशासन से तत्काल प्रभाव से इन्हें बंद करने की मांग की है.
साधु संतों का कहना है कि 2028 का सिंहस्थ कुंभ एक विश्वस्तरीय आयोजन होगा, लेकिन यदि नाले ऐसे ही मिलते रहे तो श्रद्धालु शुद्ध जल में स्नान कैसे करेंगे? प्रशासन को इसे जल्द से जल्द समाधान निकलना चाहिए.
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