Delhi CM News: दिल्ली चुनाव के नतीजे आए 5 दिन हो गए, सवाल अब भी वही, मुख्यमंत्री कौन होगा? महिला सुरक्षा के वादे के साथ सत्ता में लौटी BJP क्या किसी महिला को नेतृत्व सौंपने जा रही है. ऐसा हो चाहे ना हो फिर तो वो चेहरा किसका होगा, जिससे जातीय-सामाजिक दोनों समीकरणों को साधा जा सके. हालांकि कैलाश गहलोत से लेकर प्रवेश वर्मा तक सब इस सवाल से आज भी बचते दिखे कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन (Who will be Delhi CM) होगा?
Trending Photos
Delhi CM Candidates: संसद भवन नें अमित शाह और जेपी नड्डा की लंबी बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री को लेकर अहम चर्चा हुई. भारतीय जनता पार्टी के उच्च सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में बीजेपी का सीएम विधायकों में से ही होगा. चुने हुए विधायकों में से ही मुख्यमंत्री बनेगा. इसके साथ ही ये साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी किसी सांसद को मुख्यमंत्री नही बनाएगी.
दिल्ली को अब तक तीन महिला मुख्यमंत्री मिली हैं. बीजेपी की सुषमा स्वराज, कांग्रेस की शीला दीक्षित और आप की आतिशी तीनों प्रभावशाली चेहरा रहीं, जिन्होंने अपने-अपने कार्यकाल में दिल्ली में अहम भूमिका निभाई. ऐसे में एक बार फिर दिल्ली को महिला मुख्यमंत्री मिलने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
विधायक ही बनेगा सीएम
हांलाकि दूसरी ओर ये दावा भी किया जा रहा है कि दिल्ली में अगला मुख्यमंत्री विधायकों में से एक होगा. किसी सांसद को सीएम बनाये जाने की संभावना कम है. महिला विधायक की रेस में सबसे आगे हैं.
शिखा रॉय, ग्रेटर कैलाश से विधायक हैं.
रेखा गुप्ता, शालीमार बाग से विधायक हैं.
अगला नाम पूनम शर्मा, वजीरपुर से विधायक हैं.
वहीं नीलम पहलवान, नजफगढ़ की विधायक भी इस रेस में शामिल हैं.
यानी दिल्ली में इन्हीं महिला विधायक में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. इसके साथ ही मंत्रिमंडल में महिलाओं और दलितों का अच्छा प्रतिनिधित्व होना तय माना जा रहा है. पार्टी जातीय और सामाजिक समीकरण के हिसाब से डिप्टी सीएम भी बना सकती है.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री इस सवाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा, 'ये जो डबल इंजन की सरकार दिल्ली में आई है. इसके बाद हम सुनिश्चित करेंगे कि मोदी जी की सभी जन कल्याणकारी योजना, को तेजी से आगे बढ़ाया जाए, ताकि उसका लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे, ताकि दिल्ली प्रगति के पथ पर आगे बढ़े.
बीजेपी की 4 महिला विधायक इस बार विधानसभा पहुंची हैं. जिनमे से किसी एक को दिल्ली की कमान सौंपी जा सकती है. दिल्ली में किसी महिला विधायक को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे एक सबसे बड़ी वजह ये भी है कि अभी बीजेपी शासित किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका से लौटने के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा.
पूर्वांचल कार्ड - बीजेपी के लिए ये भी कहा जाता है कि जिसका नाम चल जाता है, उसका पत्ता कट जाता है. अर्थात उसे तो कतई सीएम नहीं बनाया जाता. वहीं राज्य कोई भी हो सीएम पद का फैसला लेने से पहले बीजेपी अपने चुने सीएम कैंडिडेट के जातीय गणित से लेकर आस-पास के राज्यों तक का ध्यान रखती है. ऐसे में इस बार भी बीजेपी के फैसले के पीछे एक बड़ा संदेश छिपा होगा, दरअसल सोशल मैसेजिंग मोदी-शाह की जोड़ी के लिए एक जीत के बाद अगली जीत बेहद मायने रखती है. इस हिसाब से अगर आस-पास के राज्यों पर नजर डालें तो इसी साल बिहार में चुनाव हैं. ऐसे में किसी पूर्वांचली नेता मसलन मनोज तिवारी को सीएम बनाकर बीजेपी बड़ा गेम सेट कर सकती है, हांलाकि वहा अभी भी सियासी परिवार में नीतीश कुमार बड़का भाई की भूमिका में हैं, ऐसे में बिहार के नाम पर दिल्ली से कोई संदेश देने का तुक नहीं बैठता है.
दलित कार्ड - दूसरा पहलू ये है कि कांग्रेस-सपा के फैलाए इस नैरेटिव कि अगर बीजेपी 400 सीट पा गई तो आरक्षण खत्म कर देगी. इस वजह से बीजेपी अपने दम यानी पूर्ण बहुमत हासिल करने से 32 सीट कम रह गई. उसके बाद भी राहुल गांधी संविधान की लाल जिल्द वाली छोटे फॉन्ट साइज की कॉपी साथ लिए घूमते हैं, उससे बीजेपी लगातार असहज बनी हुई है. बीजेपी ने कांग्रेस को हर बड़े मोर्चे पर पैदल करते हुए चेक-मेट दे रखी है. चुनावों में भी एक के बाद एक राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस को लगातार पटखनी देती जा रही है लेकिन जिस 'आरक्षण', 'दलित' और 'संविधान' के ट्रायो यानी त्रिशूल रूपी 'नागपाश' से कांग्रेस ने उसे जकड़ रखा है, उसकी काट के लिए बीजेपी किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस के नागपाश को दलित सीएम नाम के 'ब्रह्मास्त्र' से काट सकती है.
इस समीकरण से करोल बाग विधानसभा से हारने वाले दुष्यंत गौतम का सोया भाग्य भी जाग सकता है. अगर बीजेपी दलित चेहरे के तौर पर किसी को लाने का विचार करती है, तो दुष्यंत गौतम बाजी मार सकते हैं, भले वे चुनाव नहीं जीत पाए हैं.
जाट कार्ड- तीसरा जाट नाराज हैं, इसलिए प्रवेश वर्मा भी हो सकते हैं. सियासत को वैसे भी संभावनाओं का दूसरा नाम कहा जाता है और हम पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स भी पूर्ववर्ती सिमिलर घटनाओं के आधार पर संभावनाओं के बारे में बताते हैं, ऐसे में संभव है कि प्रवेश वर्मा का नाम ही फाइनल हो जाए क्योंकि बीजेपी ने भले ही नाम चलने वाले को CM न बनाया हो लेकिन खुलकर तो ऐसा कभी नहीं कहा कि जिसका नाम मीडिया में चल गया है, उसे नहीं बनाएंगे, तो इस हिसाब से तो प्रवेश वर्मा की लॉटरी भी लग सकती है.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री की इस रोचक कांटेस्ट की तैयारियां पूरी हो चुकीं है, बस रस्म अदायगी बाकी है. सारा होम वर्क हो चुका है. पीएम मोदी के अमेरिका से लौटते ही विधायक दल की बैठक होगी, दो पर्यवेक्षक बंद कमरे में मीटिंग करेंगे, ऐसी औपचारिक फॉर्मेलिटीज के बाद जिसका भी नाम सामने आएगा यकीनन चौंकाने वाला ही होगा.