बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के संस्थापक ने सार्वजनिक मंच पर NDA से नाराजगी जाहिर कर दी है. उन्होंने एक जनसभा में कहा,'HAM को NDA में उचित सम्मान नहीं मिल रहा है. लगता है कि मंत्रिमंडल हमको छोड़ना पड़ेगा'. तो चलिए जानते हैं कि हमेशा प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने वाले मांझी ने अचानक वगावती तेवर क्यों अपनाने शुरू कर दिए.
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Jitan Ram Manjhi: बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. NDA गठबंधन का हिस्सा और हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने वाले जीतन राम मांझी ने अपने बागवती तेवर दिखा दिए हैं. हाल ही में उन्होंने धमकी देते हुए कहा है,'लगता है कि मंत्रिमंडल हमको छोड़ना पड़ेगा.' इतना ही नहीं उन्होंने आगे यह भी कहा,'अब बिहार में हम अपनी औकात दिखाएंगे.' ऐसे में सवाल उठता है कि हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद रहने वाले जीतन राम मांझी को अचानक ऐसा क्या हो गया कि उन्हें बगावती तेवर अपनाने पड़ गए.
यह पहली बार नहीं है जब जीतन राम मांझी ने NDA से नाराजगी जाहिर की है, यह दूसरी बार है जब मांझी ने राजग से अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जताई है. हाल ही में उन्होंने मुंगेर जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए रामायण का श्लोक भी पढ़ा, जिसका अर्थ है कि अक्सर डर सम्मान को जन्म देता है. इसके बाद उन्होंने कहा,'हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को NDA में उचित सम्मान नहीं मिल रहा है. लगता है कि मंत्रिमंडल हमको छोड़ना पड़ेगा.'
केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के संस्थापक मांझी झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर NDA से नाराज हैं. उनका कहना है कि उनकी पार्टी को इन दोनों राज्यों में पूरी तरह साइड किया गया है. मांझी ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा,'झारखंड और दिल्ली में हमें कुछ नहीं मिला. यह कहा जा सकता है कि मैंने कोई मांग नहीं की, लेकिन क्या यह इंसाफ है? मुझे नजरअंदाज किया गया क्योंकि इन राज्यों में मेरा कोई वजूद नहीं था. इसलिए हमें बिहार में अपनी योग्यता साबित करनी होगी.'
इसके अलावा उनकी नाराजगी वजह बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार करना है. यानी वो पहले से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए माहौल बना रहे हैं. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में मांझी की पार्टी को NDA ने 243 में से 7 सीटें दी थीं और उन्होंने 4 पर जीत दर्ज की थी. हालांकि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मांझी की पार्टी 40 सीटों की मांग कर रही है. हालांकि इसी दौरान उन्होंने यह भी कहा कि मैं चाहता हूं कि कम से कम 20 सीटें तो जरूर मिलें, हालांकि पार्टी के लोग 40 की मांग कर रहे हैं.
जीतन राम मांझी का वोट बैंक 'भुइयां-मुहसर' (दलित) है और वो इस जाति के नेता बनना चाहते हैं. इसीलिए उनका यह भी कहना है कि जब वो 1 साल के लिए बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उस समय उन्होंने दलितों के लिए काफी काम किया लेकिन वो विधानसभा में अपनी संख्या बढ़ाकर दलितों के लिए और ज्यादा काम करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं किसी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का पीछा नहीं कर रहा हूं, बल्कि भुइयां-मुसहर के लिए बेहतर सौदे पर नजर रख रहा हूं. जो एक दलित समुदाय है जिससे वह आते हैं.
इसके अलावा हाल ही में बिहार सरकार की तरफ से करवाए गए जातिगत सर्वे को लेकर भी उन्होंने नीतीश सरकार पर हमला बोला था. दरअसल बिहार में 40 लाख से ज्यादा रहते हैं और रिपोर्ट में बताया गया कि 45 प्रतिशत से ज्यादा मुहसर जाति के लोग अमीर हैं. इसके अलावा 11 लाख से ज्यादा भुइयां हैं, इनको लेकर रिपोर्ट में दावा किया गया कि भुइयां समुदाय के 46 फीसद लोग भी खुशहाल हैं. इस रिपोर्ट से नाराज होकर मांझी ने कहा था कि मैं राज्य मंत्री दौरा करने के लिए कह रहा हूं, जहां से डेटा इकट्ठा किया गया है. अगर हमें मुसहर और भुइयां समुदाय के एक प्रतिशत से ज्यादा लोग अमीर मिले तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.