'अब वो बात नहीं रही..' क्यों बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही ऑडियंस? पंकज त्रिपाठी ने बताई असली वजह
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'अब वो बात नहीं रही..' क्यों बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही ऑडियंस? पंकज त्रिपाठी ने बताई असली वजह

Pankaj Tripathi: अपने दमदार अभिनय और किरदारों के लिए पहचाने जाने वाले पंकज त्रिपाठी ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बॉलीवुड और लगातार फ्लॉप हो रही फिल्मों के बारे में खुलकर बात की. साथ ही उन्होंने बताया कि क्यों ऑडियंस अब बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही है? 

Pankaj Tripathi On Bollywood

Pankaj Tripathi On Bollywood: हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पंकज त्रिपाठी दशकों से इंडस्ट्री से लेकर अपने फैंस के दिलों राज कर रहे हैं. ऐसे में लो ऑडियंस की नस-नस वाकिफ हो चुके हैं उनको क्या पसंद है और क्या नहीं. हाल ही में उन्होंने अपने एक इंटरव्यू के दौरान अपने बचपन, बिहार के छोटे शहर से सिनेमा तक के सफर और हिंदी सिनेमा के दर्शकों से दूर होने के कारणों पर बात की. उन्होंने बताया, 'अगर हम जड़ों से जुड़ी कहानियां नहीं देंगे तो लोग हमारी फिल्मों से कैसे जुड़ेंगे?'.

उन्होंने 90 के दशक और उससे पहले की फिल्मों में जादू होने की बात कही. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि पहले लोग पर्दे पर किरदारों को चलते-फिरते और बोलते देखते थे, जिससे एक जुड़ाव महसूस होता था. हम उनके साथ हंसते, रोते और भावनाओं को शेयर करते थे. लेकिन अब वो जादू खत्म हो गया है. आज के दर्शक सिनेमा में अपने जैसी कहानियां देखना चाहते हैं. उनकी तलाश जड़ों से जुड़ी कहानियों की है, जो अब उन्हें कम मिल रही हैं. 

बॉलीवुड में अब ओरिजनलिटी नहीं रही 

उन्होंने ये भी बताया कि उनकी फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ दोबारा सिनेमाघरों में आई और लोगों को फिर से पसंद आई. जब उनसे उनके ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के निर्देशक अनुराग कश्यप के बॉलीवुड पर कमेंट के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे सही बताया. अनुराग ने कहा था कि बॉलीवुड में ओरिजनलिटी को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा और केवल प्रॉफिट और पुराने फॉर्मूलों के पीछे भागा रहे हैं सब. पंकज त्रिपाठी ने उदाहरण देते हुए कहा, 'स्त्री के बाद कितनी हॉरर-कॉमेडी फिल्में बनीं?'. 

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आइटम सॉन्ग के पीछे भारते हैं मेकर्स 

उन्होंने कहा, 'लेकिन जब दर्शकों को न डर लगेगा और न हंसी आएगी, तो वे बोर हो जाएंगे'. उन्होंने ये भी कहा कि पहले हिंदी सिनेमा में बहुत सारे ‘आइटम सॉन्ग’ हुआ करते थे. जब उन्होंने इसके बारे में पूछा तो फिल्ममेकर्स ने कहा कि ये जनता की डिमांड है. लेकिन उन्होंने सवाल उठाया, 'क्या वाकई लोग चिट्ठी लिखकर आइटम सॉन्ग की मांग करते हैं?'. उन्होंने कहा कि ये सब मेकर्स का फैसला होता है, जो सिर्फ हिट फॉर्मूले के पीछे भागते हैं. अगर फिल्ममेकर्स नए प्रयोग नहीं करेंगे, तो लोग जल्दी ऊब जाएंगे.

ओरिजनल कहानियों पर देना चाहिए ध्यान

अपनी फिल्मों का उदाहरण देते हुए पंकज त्रिपाठी ने बताया कि हर हफ्ते उन्हें ‘मिर्जापुर’ के कालीन भैया जैसे किरदार करने के ऑफर मिलते हैं. लेकिन वो बार-बार एक जैसा रोल क्यों करें, जब वो पहले ही इस किरदार को चार सीजन तक निभा चुके हैं? उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि मेकर्स गाय का दूध निकालते रहना चाहते हैं, जब तक कि वो पलटकर उन्हें लात न मार दे'. उनका मानना है कि बॉलीवुड को अपनी जड़ों से जुड़कर ओरिजनल कहानियों पर ध्यान देना चाहिए, तभी दर्शकों का प्यार बना रहेगा.

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