चावल को लेकर भिड़े भारत-पाकिस्तान, बासमती के मालिकाना हक की क्या है सच्चाई?
Advertisement
trendingNow12648677

चावल को लेकर भिड़े भारत-पाकिस्तान, बासमती के मालिकाना हक की क्या है सच्चाई?

India Pakistan Rice Dispute: भारत का स्पष्ट कहना है कि बासमती चावल विशेष रूप से भारत के उत्तर में हिमालय की तराई वाले इलाके और इंडो-गंगेटिक क्षेत्र में ही उगाया जाता है. ऐसे में पाकिस्तान का इस पर मालिकाना हक जताना पूरी तरह बेबुनियाद है.

चावल को लेकर भिड़े भारत-पाकिस्तान, बासमती के मालिकाना हक की क्या है सच्चाई?

Basmati Ownership Battle: भारत ने पाकिस्तानी मीडिया के उन दावों को खारिज कर दिया है जिसमें यह दावा किया गया था कि न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने बासमती चावल पर भारत के मालिकाना हक के दावे को खारिज कर दिया है. इसके अलावा इन रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ बासमती चावल के मालिकाना हक की लड़ाई वह जीत लिया है. 

भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह बिना किसी प्रमाण के फैलाई गई भ्रामक जानकारी है. भारत सरकार से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान को अब तक बासमती चावल का कोई आधिकारिक पंजीकरण नहीं मिला है. 

इसके विपरीत, भारत की एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट्स डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) पहले से ही न्यूजीलैंड में बासमती के लोगो (ट्रेडमार्क) का पंजीकरण करा चुकी है. भारत लगातार अपने बासमती चावल के नाम और लोगो की सुरक्षा के लिए प्रयासरत है.

भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

इसके अलावा, पाकिस्तानी रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया कि यूरोपीय संघ (EC) जल्द ही इस मामले में पाकिस्तान के पक्ष में फैसला सुना सकता है. लेकिन भारत ने इन दावों को भी झूठा और भ्रामक बताया है. 

भारत का स्पष्ट कहना है कि बासमती चावल विशेष रूप से भारत के उत्तर में हिमालय की तराई वाले इलाके और इंडो-गंगेटिक क्षेत्र में ही उगाया जाता है और इसका ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध इसी क्षेत्र से है. ऐसे में पाकिस्तान का इस पर मालिकाना हक जताना पूरी तरह बेबुनियाद है.

पश्चिम एशिया के बाजारों में भारत का दबदबा

भारत का बासमती चावल निर्यात लगातार बढ़ रहा है. साल 2022-23 में भारत ने 45.61 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी कीमत 4.79 अरब डॉलर थी. दूसरी ओर, पाकिस्तान की बासमती चावल की निर्यात मात्रा भारत से कम है, लेकिन वहां की मुद्रा में गिरावट के कारण उसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया है.

खासकर यूरोपीय संघ (EU) और ब्रिटेन (UK) के बाजारों में पाकिस्तान का दबदबा बढ़ा है, जहां उसका 85% हिस्सा है. हालांकि, भारत अब भी ईरान, सऊदी अरब और पश्चिम एशिया के अन्य बाजारों में मजबूत स्थिति बनाए हुए है, जहां सख्त दाने वाले पारबॉयल्ड चावल की अधिक मांग है.

Trending news