भारतीय रेलवे की सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत की पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है. देशभर के अलग-अलग शहरों में पहले चेयरकार के साथ वंदे भारत ट्रेनें चली. अब उसकी डिमांड इतनी बढ़ी कि जल्द ही स्लीपर वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जाएगा. तैयारी पबरी हो गई है.
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Indian Railway: भारतीय रेलवे की सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत की पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है. देशभर के अलग-अलग शहरों में पहले चेयरकार के साथ वंदे भारत ट्रेनें चली. अब उसकी डिमांड इतनी बढ़ी कि जल्द ही स्लीपर वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जाएगा. तैयारी पबरी हो गई है. जल्द ही स्लीपर वंदे भारत पटरियों पर दौड़ने लगेगी. इस ट्रेन की डिमांड इतनी है कि रेल मंत्रालय के पास अलग अलग राज्यों से इस ट्रेन के लिए इतनी डिमांड आ रही है कि रेलवे उसे पूरा नहीं कर पा रही है.
इस ट्रेन की डिमांड
रेल मंत्रालय में अलग-अलग इलाकों के सांसद और मंत्री पहुंच रहे हैं. उन सबकी डिमांड अपने इलाके के लिए वंदे भारत ट्रेनों की है. इस ट्रेन के लिए इतनी मारामारी मची है कि रेलवे चाहकर भी उसे पूरा नहीं कर पा रही. मौजूदा समय में सबसे पसंदीदा ट्रेन बन चुकी वंदे भारत देश के ज्यादातर राज्यों में 136 रूटों पर चलती है. तमाम रूट पर टिकट हाउसफुल रहते हैं. डिमांड को देखते हुए जल्द ही स्लीपर वंदे भारत ट्रेनें भी चलेंगी.
क्यों रेलवे पूरा नहीं कर पा रही डिमांड
रेलवे के पास अधिकांश डिमांड राज्यों के के एमपी, एमएलके की ओर से आ रही है. उनकी डिमांड एक ट्रेन के लिए नहीं बल्कि चार-पांच ट्रेनों की रहती है. डिमांड करने वाले राज्यों में ज्यादातर राज्य के नेता शामिल हैं. चूंकि वंदेभारत एक्सप्रसवे का प्रोडक्शन सीमित है, इसलिए राज्यों की डिमांड इतनी आसानी से पूरी नहीं की जा सकती है. इस ट्रेन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए आने वाले दिनों में वंदेभारत के प्रोडक्शन में तेजी लाने की कोशिश की जा रही है. रेलवे की कोशिश है कि वंदेभारत स्लीपर-चेयर कार,अमृतभारत और नमोभारत के निर्माण को बढ़ावा मिले. बजट में 350 नई वंदे भारत ट्रेनों की मंजूरी मिली है. उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन सालों में इसकी संख्या 500 के करीब किया जाए.