Asaduddin Owaisi: ओवैसी ने संभल को लेकर विवादित ट्वीट में लिखा था, 'संभल में इतना डर और ज़ुल्म का माहौल बना दिया गया है कि लोग घर छोड़ने पर मजबूर हैं. संभल के मुसलमानों को निशाना बनाना और उन्हें सामूहिक सज़ा देना बंद करना होगा. यहां पुलिस और प्रशासन यह बात मान रहे हैं कि मुसलमानों का जबरन पलायन हो रहा है.' उनका यही झूठ एक्सपोस्ड हो गया.
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Asaduddin Owaisi Sambhal News: संभल हिंसा पर एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी लगातार मुखर हैं. हाल ही में जब उन्होंने एक अखबार की क्लिप शेयर करके वहां मुसलमानों के पलायन का दावा करते हुए पुलिस पर निशाना साधते हुए जो आरोप लगाए थे वो सब झूठ निकले. साहब के झूठे दावों की पोल खोली है ज़ी न्यूज़ की टीम ने. संभल में पलायन को लेकर ओवैसी ने जो भ्रम फैलाने की कोशिश की, आइए उसकी इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट आपको पढ़वाते हैं.
वो फरार हैं....
जांच के दौरान जो नतीजा निकला उसे एक लाइन में लिख दें तो वो ये होगा- 'साहब! दंगाई पलायन नहीं करते, फरार होते हैं. दरअसल असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ आप सब भी जान लें कि कैसे, संभल पर उन्होंने जो हवा-हवाई दावा किया था, उनके झूठ का पर्दाफाश हो गया. DNA की इस रिपोर्ट में उनका झूठ EXPOSE हो गया.
ओवैसी ने क्या कहा था?
ओवैसी साहब ने संभल को लेकर एक विवादित ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा, 'संभल में इतना डर और ज़ुल्म का माहौल बना दिया गया है कि लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. सरकार को संभल के मुसलमानों को निशाना बनाना और उन्हें इज्तिमाई यानी सामूहिक सज़ा देना बंद करना होगा. यहां तो पुलिस और प्रशासन यह बात खुद मान रहे हैं कि मुसलमानों को जबरन पलायन हो रहा है.'
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ओवैसी साहब ने जिस अखबार के रेफरेंस से ये दावा किया है खुद उसकी हेडलाइन में लिखा है. FLEE. जिसका हिंदी में मतलब है भाग जाना. ओवैसी साहब जिसे पलायन कह रहे हैं वो दरअसल फरारी है. संभल से हमारी EXCLUSIVE GROUND REPORT में हम ओवैसी साहब के दावों की पोल खोलेंगे.
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उल्टी गंगा बहाने की कोशिश?
इन बंद दरवाजों के आधार पर असदुद्दीन ओवैसी कहा था- संभल के मुसलमान पलायन कर रहे हैं. जिन गलियों से पत्थर चले थे. उस गली के लोग पलायन कर रहे हैं. हांलाकि संभल जैसे संवेदनशील इलाकों में आमतौर पर तो ऐसा होता है कि जिन गलियों में पीड़ित रहते हैं. वहां पलायन होता है. लेकिन शायद ये पहली बार है जब आरोपियों की गलियों से पलायन का दावा किया जा रहा है.
जी मीडिया रिपोर्टर राजू राज संभल की इन गलियों में पहुंचे. घरों में ताले तो लगे हैं. लाइन से घर खाली हैं. ऐसे में सवाल तो जरूर बनता है कि क्या लोग पलायन कर रहे हैं. जब लोग पलायन नहीं कर रहे हैं. तो फिर लोग गए कहां.
घरों पर ताले लगे हैं. ओवैसी साहब का दावा है कि लोग पलायन कर रहे हैं. वहीं स्थानीय लोगों का दावा है कि कोई पलायन नहीं हो रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि इन घरों पर ताला क्यों लटका है. तो जवाब पुलिस से सुनिए-
पलायन की कोई शिकायत नहीं मिली है.
वहीं लोग गायब है जो संभल हिंसा में शामिल है.
सभी घरों को वेरिफाई कराया जा रहा है.
पुलिस का दावा है कि संभल हिंसा में 2500 लोग शामिल थे. इनमें से सिर्फ 79 लोग ही गिरफ्तार हो पाए हैं. बाकी सब फरार हैं ऐसे में सवाल तो ये उठता है कि क्या जिन घरों पर ताला लटका है वो आरोपियों के हैं. अगर हां तो ये पलायन हुआ या फिर फरारी
खबर है कि संभल में कम से कम 500 घरों पर ताला लटका है. ये खबर सामने आते ही जी मीडिया की टीम संभल के बंद घरों की तलाश में जुटी है. देखिए बंद घरों को लेकर हमारी इस रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है.
दंगे के आरोपी राहिल के घर पर ताला
ये घर है राहिल का आरोप है कि राहिल ने भी पुलिस पर पत्थर बरसाए थे. लेकिन अब राहुल और उसका परिवार गायब हैं. किसी ने भी उन्हें दंगों के बाद से नहीं देखा है.
अब ओवैसी साहब ही तय करें की राहिल ने पलायन किया है या फिर फरार है.
दंगे के आरोपी अता का घर, उसके घर कोई नहीं मिला
दंगे के आरोपी फैजान का घर, घर पर लटका ताला
संभल दंगे के एक और आरीप अता का भी कोई अतापता नहीं है. दंगों के बाद से उसे किसी ने नहीं देखा.
फैजान भी अपनी बहनों के साथ यहीं रहा करता था. लेकिन हिंसा के बाद से फरार है. घर पर ताला जड़ा है.
अब आप ही तय कर लें की ये लोग पलायन कर के भागे हैं या फिर कानून के डंडे से बचने के लिए फरार हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार से सवाल पूछने वाले ओवैसी साहब से ही हमारा सवाल है कि धर्मविशेष को लेकर सेलेक्टिव बयान क्यों देते हैं. और इससे बाज कब आएंगे साहब
ओवैसी साहब ने जिस तरह से अखबार की क्लिप को शेयर कर के पलायन का दावा किया है. लेकिन लगता है असदुद्दीन ओवैसी न्यूज को लगातार फॉलो नहीं करते हैं. अगर करते तो पता चलता की संभल में हिंसा के बाद से ही लोगों के घरों पर ताला लटका है. DNA में दंगों के तुरंत बाद हमने आपको संभल की गलियों की तस्वीरें दिखाई थीं. दंगे के तुरंत बाद जिन गलियों से पत्थर चले थे, उन घरों पर लटका ताला क्या इशारा करता है क्या कहता है- पलायन या फरारी आप खुद तय कर लीजिए.