US Plane Crash Video: एयर ट्रैफिक कंट्रोल से परमिशन मिलने के बाद अमेरिका के रोनाल्ड रीगन एयरपोर्ट पर एक यात्री विमान उतर रहा था, उसी समय लैंडिंग वाले रूट से एक हेलिकॉप्टर क्रॉस होने लगा. दिल दहलाने वाले हादसे में दोनों प्लेन में सवार सभी लोगों की जान चली गई. सवाल यह है कि प्लेन के पायलट ने या हेलिकॉप्टर ने अपनी दिशा क्यों नहीं बदली?
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US Helicopter Plane Crash: अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस से केवल 5 किमी दूर आसमान में दो प्लेन टकराने से सभी 67 लोगों की मौत हो गई है. एक सेना का हेलिकॉप्टर था और दूसरा जेटलाइनर. शुरुआती जांच में पता चला है कि आर्मी हेलिकॉप्टर अमेरिकन एयरलाइंस के रास्ते में आ गया था. हादसा इतना खतरनाक था कि पोटोमैक नदी में बिखरे मलबे से 28 शव निकाले गए. दुनियाभर में घटना का वीडियो देखा गया. वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक समय आसमान में एकसाथ तीन प्लेन होते हैं. सबसे दाहिनी तरफ वाला प्लेन शायद एयरपोर्ट से उड़ा था और ऊपर की तरफ बढ़ गया लेकिन बाईं तरफ दो प्लेन की टक्कर हो गई. आखिर ऐसा कैसे हुआ? हेलिकॉप्टर को सामने आता देख पायलट ने अपने प्लेन को मोड़ा क्यों नहीं?
इस घटना (America Crash) की गहराई से जांच की जा रही है. इधर, ट्रंप ने बताया है कि दोनों प्लेन में सवार सभी लोगों की जान चली गई है. हेलिकॉप्टर में तीन सैनिक भी थे. लोगों के मन में सवाल है कि अमेरिका जैसे तकनीकी रूप से ताकतवर देश में भी इस तरह के हादसे को रोका नहीं जा सका. यह बिल्कुल सड़क पर आमने सामने से कारों की टक्कर जैसा मामला बन गया. इसके कारण को समझने के लिए हमने अमेरिका के पैरागॉन एयर एडवेंचर की एक रिपोर्ट देखी जिसमें ऐसे हादसों की गहराई से जांच के बाद Causes of Midair collisions (आसमान में प्लेनों की टक्कर) निष्कर्ष निकाला गया है.
Footage of an American Airline regional aircraft and a Sikorsky 860 helicopter collision over Reagan National. Prayers for all involved. pic.twitter.com/7vgqNpb4gH
— The Right Room (@SCaseyTV) January 30, 2025
इस विमानन रिपोर्ट में उड़ान के दौरान होने वाली टक्कर के बड़े कारण बताए गए हैं.
1. इसमें कोई शक नहीं कि बढ़ता ट्रैफिक और लगभग समान स्पीड सबसे बड़ी वजह बनते हैं. उदाहरण के लिए, एक जेट और एक लाइट ट्विन की स्पीड लगभग 750 मील प्रति घंटा है. अमेरिका के विमानन प्रशासन (FAA) के मुताबिक किसी पायलट को ट्रैफिक को समझने, टकराव के खतरे को समझने, रीएक्ट करने और अपने प्लेन के साथ एक्शन करने में कम से कम 10 सेकंड लगते हैं. हालांकि जब तक पायलट एक दूसरे को पहचान पाते हैं, 750 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से एक-दूसरे की ओर बढ़ रहे दो विमानों के बीच 10 सेकंड से भी कम का समय मिलता है. इससे पता चलता है कि हमारे ट्रैफिक कंट्रोल और रडार सुविधाएं कुछ मामलों में ओवरलोड और सीमित हैं.
2. दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण देखा गया है कि पायलट दूसरे विमान को देख ही नहीं पाते हैं. अगर देखेंगे नहीं तो 'देखिए और बचिए' (see and avoid system) वाला सिस्टम भी फेल होगा ही. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि अगर कम से कम एक पायलट अपनी आंखों का सही से इस्तेमाल कर रहा होता है तो वह समय रहते दूसरे प्लेन को देख लेता है और आसमान में इस तरह की टक्कर टल जाती है. इस तरह से देखें तो सड़क पर ट्रैफिक की तरह आसमानी ट्रैफिक में भी आंखों की उपयोगिता महत्वपूर्ण है लेकिन इसकी भी सीमित क्षमता है.
जगते समय पायलट क्यों नहीं देख पाते?
3. यह सवाल हम इंसानों के मन में आना लाजिमी है. ट्रक, कार के ड्राइवर की तरह प्लेन के पायलट की भी बराबर जिम्मेदारी है लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि आंख और दृष्टि लगभग हर चीज को लेकर संवेदनशील होती है. हां, धूल, थकान, भावनाएं, कीटाणु, गिरती हुई पलकें, उम्र, भ्रम की स्थिति और पिछली रात में की गई पार्टी में शराब की मात्रा. प्लेन में होने के दौरान हमारी देखने की क्षमता वायुमंडलीय स्थितियों, विंडशील्ड पर ठीक से दिखाई न देना, बहुत ज्यादा या बहुत कम ऑक्सीजन, चकाचौंध, गर्मी, प्रकाश की व्यवस्था, प्लेन डिजाइन आदि से प्रभावित होती है.
रिपोर्ट में इस बात को विस्तार से समझाया गया है कि आंखें सबसे ज्यादा मन की अनिश्चितताओं के प्रति संवेदनशील होती हैं. हम केवल वही देख और पहचान सकते हैं जो मन हमें देखने देता है. उदाहरण के तौर पर अगर आसमान में उड़ते हुए पायलट कुछ और सोच रहा है, आंखें खुली हों लेकिन सपना देख रहा हो तो वह टक्कर से ठीक पहले वाली निगरानी नहीं रख सकता. उसे दूसरा प्लेन दिखाई नहीं देगा. वैसे भी जहां प्लेनों की टक्कर हुई है, वहां एयरपोर्ट था, भारी चकाचौंध थी और कई प्लेन आ जा रहे थे. आंखों के सतर्क रहने और सामने से कोई ऑब्जेक्ट देखने के बाद टक्कर रोकने के लिए पायलट के पास 10 सेकंड होना जरूरी है, मतलब पायलट जिस समय दूसरा प्लेन देखे उसके बाद प्लेन की दिशा मोड़ने या टक्कर से बचने के लिए 10 सेकेंड मिलने चाहिए.
अब वीडियो को फिर से देखिए. वायरल वीडियो में 8 सेकेंड से भी कम समय में प्लेन की टक्कर हो जाती है.
4. ज्यादा ऊंचाई पर उड़ते समय धुंध और बादल होने से भी पायलट चकमा खा जाते हैं. पायलट का कोर्स करने वाले जानते हैं कि जब आपके प्लेन की स्पीड कम होती है तो खतरा ज्यादा होता है. खासतौर से एयरपोर्ट के आसपास ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. हालांकि हमें ऑप्टिकल इलुजन का भी ध्यान रखना चाहिए, जिससे आंखें ठीक से चीजों को नहीं देख पाएंगी.
इसी रिपोर्ट में कुछ प्वाइंट्स बताए गए हैं जिससे टक्कर टाला जा सकता हैं- विंडशील्ड साफ होना, भीड़भाड़ वाले एयरस्पेस रूट से बचना, देखने के साथ-साथ रेडियो का इस्तेमाल बात करने और सुनने में करें.
इस केस में क्या हुआ
एक पायलट ने समझाया है कि इस मामले में हेलिकॉप्टर पैसेंजर जेट के रास्ते से क्यों नहीं हट पाया? पहली बात एयरपोर्ट के इलाके में बिना एयर ट्रैफिक कंट्रोल की परमिशन के कोई प्लेन एंटर नहीं कर सकता. ऊंचाई, लैंड करने की परमिशन सब कुछ. अगर उस रात की घटना को फिर से देखें तो पैसेंजर जेट को रनवे-33 पर लैंड करने की परमिशन दी गई थी. ट्रंप ने भी कहा है कि आसमान साफ था और जब हेलिकॉप्टर सीधे एयरप्लेन की तरफ बढ़ रहा था तो हेलिकॉप्टर ने अपनी दिशा ऊपर नीचे क्यों नहीं की? दोनों प्लेन को सिग्नल भी मिला होगा. ऐसे में ज्यादातर चीजें एटीसी की परमिशन पर केंद्रित थीं. माना जा रहा है कि हेलिकॉप्टर को भी पैसेंजर जेट के रास्ते से क्रॉस होने को कहा गया होगा. इसे 'cross to active' कहते हैं. इस परमिशन का मतलब होता है कि एक्टिव रनवे के ऊपर से उड़ना. साफ है दिशा बदलना ऐसे समय में संभव नहीं था.