China’s stratospheric: इंडो-पैसिफिक में चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है. थिंक टैंक रिपोर्ट्स में कहा गया है कि युद्ध की स्थिति में चीन, अमेरिका के 90 प्रतिशत फाइटर जेट्स को जमीन पर ही बेअसर कर सकता है.अब चीन ने ऐसी ताकत बनाई है जो अमेरिका के सबसे खतरनाक लड़ाकू F-35 फाइटर विमान को 2000 किलोमीटर दूर से पहचान जाएगा.
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China’s stratospheric airship: चीनी मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने अपने एफ-35 लड़ाकू विमानों को उतारने का फैसला किया है. पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हवाई ठिकानों पर लगातार चीनी मिसाइलों की बारिश होने का खतरा बना रहता है. जिसके जवाब में अमेरिकी वायुसेना ने हाल ही में एक टेस्ट किया है, जिसका मकसद F-35 लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता को बढ़ाना था. अमेरिकी वायुसेना ने 59वें टेस्ट और मूल्यांकन स्क्वाड्रन ने नेवादा के नेलिस एयर फोर्स बेस पर ये टेस्ट किया है. इस दौरान F-35 लाइटनिंग II फाइटर जेट को मिसाइल हमलों के खिलाफ करारा जवाब देने का परीक्षण किया गया है. लेकिन अब जो रिपोर्ट आई है उसके बाद अमेरिका के पसीने छूट जाएंगे.
अमेरिका अब क्या करेगा?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक,चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार, उन्नत इन्फ्रारेड डिटेक्शन सिस्टम से लैस एक स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप करीब 2,000 किमी (1,240 मील) दूर से स्टील्थ एयरक्राफ्ट जैसे अमेरिका में बने F-35 फाइटर जेट का पता लगा सकता है. इससे अमेरिका को नुकसान हो सकता है. और अमेरिका की पांचवीं पीढ़ी की स्टील्थ तकनीक में संभावित कमज़ोरी का पता भी चलता है.
नई रिसर्च में क्या है दावा?
चीन की एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल क्षमताओं की खोज में एक महत्वपूर्ण छलांग है.चीन के मिसाइल और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में एक प्रमुख में शामिल चांगचुन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्टिक्स, फाइन मैकेनिक्स एंड फिजिक्स (CIOMP) के शोधकर्ताओं ने ताइवान को शामिल करने वाले नकली युद्ध परिदृश्यों में F-35 के इन्फ्रारेड सिग्नेचर का विश्लेषण किया. यह शोध मई में चीनी भाषा की पत्रिका एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ था.
2000 किलोमीटर दूर से दुश्मन का लग जाएगा पता?
टीम ने पाया कि जेट की रडार-अवशोषित कोटिंग और बाहरी सतह औसतन 281 डिग्री केल्विन (7.85 डिग्री सेल्सियस या 46 फ़ारेनहाइट) तक ठंडी हो गई, जिससे यह पारंपरिक पहचान से प्रभावी रूप से छिप गया, इसके इंजन निकास प्लम, जो लगभग 1,000 केल्विन तक पहुंच जाता है. इसके बाद एयरफ़्रेम की तुलना में तीन गुना अधिक शक्तिशाली मध्य-तरंग अवरक्त विकिरण उत्सर्जित किया. जिसके बाद यह पता चला कि 2.8-4.3 माइक्रोमीटर तरंगदैर्ध्य रेंज पर ध्यान केंद्रित करके - जहाँ वायुमंडलीय हस्तक्षेप न्यूनतम है - और पारा-कैडमियम-टेल्यूराइड डिटेक्टरों और 300 मिमी एपर्चर दूरबीनों को तैनात करके, 20 किमी पर मंडराता हुआ मानव रहित हवाई जहाज 1,800 किमी से अधिक दूर एक एफ-35 के पीछे के थर्मल हस्ताक्षर को देख सकता है जब विमान को बगल से या पीछे से देखा जाता है.