Bangladesh News: बांग्लादेश की ओर से भारत सीमा पर जीरो लाइन के पास तटबंध का पुनर्निर्माण किया गया. इस निर्माण कार्य को अब BSF की ओर से रोक दिया गया है. वहीं अब त्रिपुरा सरकार संयुक्त नदी आयोग की बैठक में इस मुद्दे को उठाएगी.
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Bangladesh News: राजनीतिक उथल-पुथल और अव्यवस्था की मार झेल रहा भारत का पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश अपनी नीच हरकत पर उतर आया है. बता दें कि मोहम्मद यूनुस का यह मुल्क बांग्लादेश बॉर्डर पर जीरो लाइन के पास तटबंध का पुनर्निमाण कर रहा है. इसका मुद्दा त्रिपुरा सरकार दोनों देशों के बीच संयुक्त नदी आयोग की आगामी बैठक में उठाएगी. इस तटबंध का कुछ भाग इंटरनेश्नल बॉर्डर के जीरे लाइन वाले हिस्से में पड़ रहा है, जिसके बाद BSF ने इस काम को रुकवा दिया.
तटबंध का पुनर्निर्माण कर रहा बांग्लादेश
इसको लेकर एक अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश त्रिपुरा के रंगौती इलाके के पास मौलवीबाजार जिले के अलीनगर में बड़े पैमाने पर तटबंध का पुनर्निर्माण कर रहा है. इस संरचना का कुछ हिस्सा 'जीरो लाइन' पर है, जिसकी वजह से पूर्वोत्तर राज्य के उनाकोटी जिले के सीमावर्ती उपखंड कैलाशहर में लोगों में आक्रोश फैल रहा है.
भारत से नहीं ली सहमति
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता सुधन देबबर्मा ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश सरकार ने जीरो लाइन पर स्थित तटबंध के हिस्सों के पुनर्निर्माण के लिए भारतीय अधिकारियों से सहमति भी नहीं ली. मुख्य अभियंता ने PTI को बताया कि बांग्लादेश सरकार ने अलीनगर में तटबंध की मरम्मत का काम शुरू किया है, क्योंकि पिछले मानसून में इसकी संरचना बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी.
नियमों का किया उल्लंघन
अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक मरम्मत के दौरान उन्होंने जीरो लाइन पर 6 किलोमीटर लंबे तटबंध में से लगभग 200 मीटर का निर्माण कर लिया है. बांग्लादेश सरकार ने हमसे कोई अनुमति नहीं ली और यह संयुक्त नदी आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष की आपत्ति के बाद मरम्मत कार्य रोक दिया गया है और BSF को मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान होने तक 'जीरो लाइन' पर कोई भी कार्य नहीं करने देने को कहा गया है.'जीरो लाइन' सीमा स्तंभ से दोनों देशों के क्षेत्रों में 150 गज तक फैली हुई है. आमतौर पर 'जीरो लाइन' पर किसी भी संरचना के निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन आपसी सहमति से ऐसा किया जा सकता है. सुधन देबबर्मा ने कहा, 'राज्य सरकार मार्च में कोलकाता में होने वाली संयुक्त नदी आयोग की बैठक में इस मुद्दे को उठाएगी.' ( इनपुट- भाषा)