धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार कर रहा...प्लीज इसे रोकिए, वरना सब मारे जाएंगे
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धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार कर रहा...प्लीज इसे रोकिए, वरना सब मारे जाएंगे

Climate Change: दुनिया भर के जलवायु संगठन इस बात से सहमत हैं कि पिछला साल रिकॉर्ड में सबसे गर्म था. इसे फौरन रोकने की जरूरत है, वरना इसके बुरे नतीजे सबको भुगतने पड़ेंगे.

Photo credit: (lexia ai)

Global warming: दो प्रमुख वैश्विक अध्ययनों में कहा गया है कि पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग के संबंध में निर्धारित 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर रही है और ग्रह की जलवायु संभवतः भयावह स्तर पर एक नए चरण में प्रवेश कर गई है. जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक 2015 पेरिस समझौते के तहत मानवता ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और ग्रह के तापमान को पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न जाने देने की मांग उठाई है. 2024 में, पृथ्वी पर तापमान उस सीमा को पार कर गया.

अभी जारी किए गए दो रिसर्च पेपर एक अलग माप का उपयोग करते हैं. दोनों ने यह निर्धारित करने के लिए ऐतिहासिक जलवायु डेटा की पड़ताल की कि क्या हाल के दिनों में बहुत गर्म वर्ष इस बात का संकेत थे कि भविष्य में, आंकड़े दीर्घकालिक तापमान सीमा से परे चले जाएंगे.

उत्तर, चिंताजनक रूप से, हां था. रिसर्चर्स का कहना है कि रिकॉर्ड-गर्म 2024 इंगित करता है कि पृथ्वी 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार कर रही है, जिसके परे वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करने वाली प्राकृतिक प्रणालियों को विनाशकारी नुकसान की भविष्यवाणी की है.

2024: अनेक लोगों के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का पहला वर्ष

दुनिया भर के जलवायु संगठन इस बात से सहमत हैं कि पिछला साल रिकॉर्ड में सबसे गर्म था. मनुष्यों द्वारा बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन जलाना शुरू किए जाने से पहले, 2024 में वैश्विक औसत तापमान 19वीं सदी के अंत के औसत तापमान से लगभग 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक था.

लेकिन वैश्विक तापमान एक वर्ष से दूसरे वर्ष तक बदलता रहता है. उदाहरण के लिए, 2024 के तापमान में वृद्धि, जो बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के कारण हुई, वर्ष की शुरुआत में प्राकृतिक अल नीनो पैटर्न की वजह से भी थी. वह पैटर्न फिलहाल ख़त्म हो गया है और 2025 के थोड़ा ठंडा रहने का अनुमान है.

साल-दर-साल होने वाले इन उतार-चढ़ावों का मतलब है कि जलवायु वैज्ञानिक किसी भी साल 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान को पेरिस समझौते को पूरा करने में विफलता के रूप में नहीं देखते हैं.

हालांकि, ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में प्रकाशित नई स्टडी रिपोर्ट से पता चलता है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग पर एक महीना या एक साल ये संकेत दे सकता है कि पृथ्वी उस महत्वपूर्ण सीमा के दीर्घकालिक उल्लंघन दायरे में प्रवेश कर रही है.

अध्ययन में क्या पाया गया?

अध्ययन यूरोप और कनाडा के शोधकर्ताओं द्वारा स्वतंत्र रूप से किए गए. उन्होंने उसी मूल प्रश्न का समाधान किया: क्या एक वर्ष में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ग्लोबल वार्मिंग एक चेतावनी संकेत है क्योंकि हम पहले से ही पेरिस समझौते की सीमा को पार कर रहे हैं?

दोनों अध्ययनों में थोड़े अलग दृष्टिकोण के साथ इस प्रश्न को हल करने के लिए अवलोकन और जलवायु मॉडल सिमुलेशन का उपयोग किया गया.

'गर्मी महसूस हो रही है'

जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभाव दुनियाभर में लंबे समय से महसूस किए जा रहे हैं. आने वाली पीढ़ियों को इससे कहीं ज्यादा नुकसान होगा. (इनपुट: द कन्वरसेशन- भाषा)

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