धरती के नीचे कुछ सरक रहा है? अगर ऐसा हुआ तो 24 घंटे से कम हो जाएगा दिन
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धरती के नीचे कुछ सरक रहा है? अगर ऐसा हुआ तो 24 घंटे से कम हो जाएगा दिन

Earths Inner Core: वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा बहुत ही हैरतअंगेज है. यह बदलाव सिर्फ धरती के अंदर ही नहीं प्रभाव डालेगा बल्कि धरती के घूर्णन दिन की लंबाई और चुंबकीय क्षेत्र पर भी असर पड़ सकता है। तरंगों के विश्लेषण से और भी कई रहस्य खुले हैं.

धरती के नीचे कुछ सरक रहा है? अगर ऐसा हुआ तो 24 घंटे से कम हो जाएगा दिन

Seismic Wave Study: धरती के गर्भ में कुछ ऐसा हो रहा है जिसे वैज्ञानिक अब तक पूरी तरह नहीं समझ पाए थे. वैज्ञानिकों ने पाया है कि धरती का आंतरिक कोर (Inner Core) अपने आकार में बदलाव कर रहा है. यह खोज हमारे 24 घंटे के दिन की लंबाई, धरती के चुंबकीय क्षेत्र और अन्य भूगर्भीय प्रक्रियाओं पर असर डाल सकती है. लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि धरती का आंतरिक कोर ठोस और स्थिर है, लेकिन नए अध्ययन ने इस धारणा को चुनौती दी है.

भूकंप की तरंगों से हुआ खुलासा

असल में नेचर डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस खोज का आधार भूकंप की तरंगों का विश्लेषण है. वैज्ञानिकों ने दक्षिण अटलांटिक महासागर में स्थित साउथ सैंडविच आइलैंड्स में आए भूकंप की तरंगों को अलास्का और कनाडा में लगे भूकंपीय तरंग मापक यंत्र सिस्मोमीटर से रिकॉर्ड किया. 2004 से 2008 के बीच दर्ज किए गए आंकड़ों से पता चला कि कुछ तरंगों के स्वरूप (waveform) में बदलाव आया था. इसका कारण यह था कि ये तरंगें धरती के आंतरिक कोर से होकर गुजरी थीं, जो समय के साथ अपने आकार में परिवर्तन कर रहा था.

आंतरिक कोर की गति और विकृति

धरती के आंतरिक कोर को बाहरी कोर घेरता है, और दोनों के बीच की सीमा करीब 5,100 किलोमीटर नीचे स्थित है. पहले के अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि आंतरिक कोर ठोस धातु का बना है और यह पिघले हुए बाहरी कोर में घूमता रहता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि इसकी घूर्णन गति समय-समय पर तेज और धीमी होती रहती है. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव केवल आंतरिक कोर के घूमने की वजह से नहीं बल्कि उसके बाहरी कोर से जुड़ाव में आए भौतिक बदलावों के कारण भी हो सकता है.

धरती के चुंबकीय क्षेत्र और दिन की लंबाई पर असर

यह अध्ययन धरती की गहराइयों में हो रहे बदलावों को समझने में अहम भूमिका निभा सकता है. आंतरिक कोर समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ रहा है, क्योंकि बाहरी कोर में मौजूद लोहे के कण क्रिस्टलीकृत होकर इस पर जमते जाते हैं. यह प्रक्रिया बाहरी कोर में गतिशीलता को बनाए रखती है, जिससे धरती का चुंबकीय क्षेत्र सक्रिय रहता है. इसके अलावा आंतरिक कोर के घूमने की गति में बदलाव होने से धरती के घूर्णन (Rotation) पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे दिन की लंबाई थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है.

अभी और शोध की जरूरत

इस रिसर्च से धरती के आंतरिक कोर के बारे में हमारी समझ तो बढ़ी है लेकिन कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं. वैज्ञानिक अब इस बात की गहराई से जांच कर रहे हैं कि क्या यह बदलाव भविष्य में दिन की लंबाई को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है. अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन विडेल के अनुसार अब पहली बार हमें दिख रहा है कि आंतरिक कोर विकृत हो रहा है. हमें इसे और गहराई से समझने की जरूरत है ताकि धरती के रहस्यों से पर्दा उठ सके.

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