Supersonic Jets: अमेरिकी कंपनी बूम सुपरसोनिक की ओर से एक ऐसा विमान उतारा गया है, जिसकी स्पीड सुपरसोनिक है. इस विमान में यात्रा करने से न्यूयॉर्क से रोम की यात्रा में 8 घंटे के बदले मात्र 4 घंटे और 40 मिनट लगेंगे.
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Supersonic Jets: अमेरिकी कंपनी बूम सुपरसोनिक का XB-1 सुपरसोनिक डेमोन्स्ट्रेटर विमान स्पीड साउंड से भी तेज स्पीज से उड़ान भरने के बाद पहला पायलट वाला नॉन मिलिट्री एयरक्राफ्ट बन चुका है. इस विमान ने साल 2003 में कॉनकॉर्ड के सेवा से हटने के बाद से साउंड बैरियर को तोड़ा है. यह बूम के साल 2029 तक सुपरसोनिक एयरलाइनर यात्रियों को ले जाने वाले महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में पहला कदम है. चलिए जानते हैं कि आखिर सुपरसोनिक उड़ान क्या है.
क्या है सुपरसोनिक फ्लाइट?
बता दें कि मैक नंबर किसी भी विमान की गति को सॉउंड वेव्स से डिवाइड करता है. इस साउंड बैरियर को तोड़ने का अर्थ है साउंड की स्पीड से तेज उड़ान भरना, जिसमें मैक नंबर 1 है. मैक नंबर विमान की गति का एक पैमाना है. विमान उड़ने पर यह हवा को चीरता है. इससे डिस्टर्बेंस होती है. ये डिस्टर्बेंस साउंड की स्पीड से चलते हैं. सुपरसोनिक उड़ान में ये डिस्टर्बेंस मिलकर यान के चारों ओर शॉक वेव बनाती हैं. लड़ाकू विमान लगभग मैक 2 की स्पीड से ट्रेवल कर सकते हैं. लड़ाकू विमान से आने वाली आवाज इसकी शॉक वेव में फंस जाती है.
घट जाएगा ट्रेवल टाइम
ज्यादातार यात्री विमान स्पीड की साउंड से थोड़ी धीमी रफ्तार यानी लगभग मैक 0.8 से उड़ते हैं. इसे सबसोनिक उड़ान कहा जाता है. बूम ओवरचर नाम के एक एयरलाइनर बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जो मैक 1.7 की स्पीड से उड़ सकता है. सुपरसोनिक तरीके से उड़ान भरने से उड़ान का समय काफी कम हो सकता है. कंपनी का दावा है कि ओवरचर पर न्यूयॉर्क से रोम की यात्रा में 8 घंटे के बदले मात्र 4 घंटे और 40 मिनट लगेंगे. बता दें कि बूम इस बड़े लक्ष्य पर काम करने वाली एकमात्र कंपनी नहीं है. अमेरिकी कंपनी स्पाइक एयरोस्पेस भी एक सुपरसोनिक बिजनेस जेट बना रही है. 20वीं सदी में सुपरसोनिक यात्रा मौजूद थी, लेकिन सिर्फ सीमित तरीके से, हालांकि कई कारणों से यह जारी नहीं रह पाया.
कॉनकॉर्ड सुपरसोनिक एयरलाइनर
सुपरसोनिक एयरलाइनर के लिए डिजाइन का काम 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ था. 1970 के दशक तक हमारे पास सुपरसोनिक यात्री विमान था. उस दौरान रूसी तुपोलेव-144 था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे. साथ ही कॉनकॉर्ड नाम का एक फ्रांसीसी-ब्रिटिश सुपरसोनिक एयरलाइनर भी था, जिसे साल 1976-2003 तक ब्रिटिश एयरवेज और एयर फ्रांस की ओर से संचालित किया गया था. कॉनकॉर्ड में 128 यात्रियों की क्षमता थी और यह मैक 2 स्पीड पर चलता था. यह नियमित रूप से लगभग 3 घंटे में लंदन से न्यूयॉर्क की यात्रा करता था. इसकी उड़ान महंगी थी. इनसे मुख्य रूप से बिजनेसमैन,अमीर और प्रसिद्ध लोग यात्रा करते थे.
सुपरसोनिक यात्री उड़ान क्यों नहीं चल पाई?
कॉनकॉर्ड को 1960 के दशक में डिजाइन किया गया था. उस वक्त यह किसी रिवॉल्यूशन से कम नहीं था, लेकिन बोइंग 747 ने 1970 में वाणिज्यिक सेवा में प्रवेश किया. इसके जैसे सस्ते, बड़े और एफिशियंट जहाज ने कॉनकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया. सुपरसोनिक स्पीड से कुशलतापूर्वक उड़ान के लिए डिजाइन किया गया था. वहीं कॉनकॉर्ड उड़ान भरने और स्पीड बढ़ाने के दौरान फ्यूल बचाने के मामले में एक्सपर्ट नहीं था. कॉनकॉर्ड की महंगी पड़ने वाली गैस की खपत वाली प्रकृति को लेकर इसके पूरे कार्यकाल में शिकायत रही.
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सुपरसोनिक विमान के नुकसान
सुपरसोनिक उड़ान के लिए शोर भी एक बड़ी वास्तविक समस्या है. जब कोई विमान सुपरसोनिक स्पीड से ट्रेवल करता है, तो इसकी शॉक वेव जमीन पर फैलती हैं, जिससे सोनिक बूम नाम का तेज डिस्टर्बेंस पैदा होता है. की मामलों में तो इससे खिड़कियों के कांच टूट सकते हैं और इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है. साल 1970 के दशक की शुरुआत में, सोनिक बूम की चिंताओं के कारण अमेरिकी सरकार को अपनी जमीन पर सुपरसोनिक यात्री उड़ान के उतरने पर प्रतिबंध लगाना पड़ा. कॉनकॉर्ड के विमान भी उड़ान भरते समय बहुत शोर करते थे, क्योंकि इन्हें बहुत ज्यादा ताकत लगानी होती थी.
सुपरसोनिक यात्रा का भविष्य
सुपरसोनिक यात्रा का भविष्य कॉनकॉर्ड के सामने आने वाली कुछ या सभी समस्याओं को हल करने पर निर्भर करता है. नासा और लॉकहीड मार्टिन की क्वेस्ट परियोजना का उद्देश्य यह दिखाना है कि सोनिक बूम को मैनेजेरियल लेवल तक कम किया जा सकता है. वे अपने X-59 सुपरसोनिक विमान को अमेरिकी शहरों के ऊपर उड़ाने और नागरिकों की प्रतिक्रियाओं का आंकलन करने की योजना बना रहे हैं.
क्या बूम कॉनकॉर्ड से आगे निकल सकता है?
बूम सुपरसोनिक जमीन के ऊपर सुपरसोनिक तरीके से उड़ान भरने की योजना नहीं बना रहा है. उनकी योजना मैक 0.94 की स्पीड से जमीन पर उड़ान भरने की है. उनका दावा है कि ऐसा करने से मानक यात्री विमानन कंपनियों की तुलना में 20 प्रतिशत तेजी से उड़ान भरी जा सकेगी. वे यह भी दावा करते हैं कि उनके इंजन का डिजाइन यह सुनिश्चित करेगा कि ओवरचर उड़ान भरते समय आधुनिक सबसोनिक एयरलाइनर से ज्यादा शोर न करे. गैस की खपत के मामले में, वे एमिशन को कम करने के लिए 100 प्रतिशत तक लंबे समय तक चलने वाले फ्यूल का इस्तेमाल करने की योजना बनाते हैं. कॉनकॉर्ड को 1960 के दशक में उपलब्ध डिजाइन टूल का इस्तेमाल करके एल्युमीनियम से बनाया गया था. आधुनिक डिजाइन टेक्नीक और टाइटेनियम समेत कार्बन फाइबर जैसी आधुनिक एयरोस्पेस मटारियल से ओवरचर और इसी तरह के विमान का वजन कॉनकॉर्ड से बेहद कम होना चाहिए, जिससे क्वालिटी में सुधार होगा.