चंद्रयान-3 के शिवशक्ति पॉइंट की कितनी है उम्र, जीरो गिनते-गिनते गिनती ही भूल जाएंगे
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चंद्रयान-3 के शिवशक्ति पॉइंट की कितनी है उम्र, जीरो गिनते-गिनते गिनती ही भूल जाएंगे

Chandrayaan3: भारतीय वैज्ञानिकों ने हाल ही में दावा किया है कि जिस जगह चांद के जिस दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 ने लैंड किया था वो जगह लाखों, करोड़ों नहीं बल्कि अरबों वर्ष पुरानी है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने चांद के उस सरफेस का नक्शा तैयार किया है. 

चंद्रयान-3 के शिवशक्ति पॉइंट की कितनी है उम्र, जीरो गिनते-गिनते गिनती ही भूल जाएंगे

Chandrayaan3: 2023 में इसरो ने चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया था, अब भारतीय वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि जिस जगह पर चंद्रयान-3 लैंड हुआ था वो जगह लगभग 3.7 बिलियन साल पुरानी है. यह वही समय था जब जमीन पर शुरुआती सूक्ष्म जीवों का विकास शुरू हुआ था. वैज्ञानिकों ने उस जगह का नक्शा भी तैयार किया है और लैंडिंग के बाद मिले डेटा के आधार पर क्षेत्र को 3 सरफेज में बांटा गया है.

बेंगलुरु में इसरो के इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम सेंटर, अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी और चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी समेत वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाई-रिज़ॉल्यूशन रिमोट सेंसिंग डेटासेट का इस्तेमाल करके चंद्रयान-3 लैंडिंग वाली जगह का नक्शा बनाया है, जिसे ‘शिव शक्ति’ के रूप में भी जाना जाता है.

कौन-कौन से हैं तीन सरफेस?

वैज्ञानिकों के ज़रिए साइंस डायरेक्ट जर्नल में पब्लिश एक पेपर में कहा गया कि जो नक्शा बनाया गया वो लैंडिंग वाले इलाके में तीन अलग-अलग तरह के सरफेस को दिखाता है. पहला सरफेस- 'ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाका', दूसरा- 'चिकनी समतल जमीन', तीसरा- 'कम ऊंचाई वाली समतल जमीन' शामिल हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि इन संरचनाओं की अंदाजन उम्र 3.7 अरब साल है. 

चांद पर बिखरे पड़े हैं बड़े-बड़े पत्थर

चांद के इतिहास में नई जानकारियां जोड़ते हुए इस नक्शे से पता चलता है कि लैंडिंग वाली जगह में शॉमबर्गर क्रेटर का मलबा फैला हुआ है. आगे किए गए विश्लेषण से पता चला कि इस इलाके में कई बड़े पत्थर बिखरे हुए हैं, जिनमें से कुछ 5 मीटर से भी बड़े हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन पत्थरों का अधिकतर हिस्सा एक नए बने 540 मीटर चौड़े क्रेटर से आया है, जो लैंडिंग साइट से 14 किलोमीटर दक्षिण में मौजूद है.

नक्शा बनाना था बेहद जरूरी

लैंडर और रोवर के ज़रिए जुटाए गए डेटा को चंद्रमा के भूवैज्ञानिक और विकासवादी इतिहास की मौजूदा समझ में सही तरीके से शामिल करने के लिए लैंडिंग वाले इलाके का एक भूवैज्ञानिक नक्शा बनाना बहुत जरूरी था. भूवैज्ञानिक नक्शा और विभिन्न संरचनाओं की समयरेखा इन-सीटू (मौके पर किए गए) मापनों के परिणामों को और मजबूत करेगी, जिससे चंद्रयान-3 मिशन का वैज्ञानिक महत्व और बढ़ जाएगा.

इसके अलावा, रोवर के ज़रिए खोजा गया स्थानीय क्षेत्र सेंटीमीटर आकार के पत्थरों से भरा हुआ है, खास तौर पर लैंडिंग वाली जगह के पश्चिमी हिस्से में, जो कि 10 मीटर चौड़े एक क्रेटर से निकले हैं. ये रिजल्ट चंद्रयान-3 मिशन के डेटा की व्याख्या करने में काफी मददगार साबित होंगे.

कब लॉन्च हुआ था चंद्रयान-3

23 अगस्त 2023 को 'विक्रम लैंडर' और 'प्रज्ञान रोवर' को ले जाने वाला चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया. साथ ही यह एक सॉफ्ट लैंडिंग भी थी, जिससे भारत पूर्ववर्ती यूएसएसआर (अब रूस), अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया.

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