Mahashivratri 2025: घने जंगल में रातोंरात भूतों ने बना दिया भव्य शिव मंदिर! रात को रुकना खतरनाक
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Mahashivratri 2025: घने जंगल में रातोंरात भूतों ने बना दिया भव्य शिव मंदिर! रात को रुकना खतरनाक

Mysterious Shiv Temple In Rajasthan: इस साल महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के भक्त मंदिर जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इस कड़ी में आइए एक अनोखे मंदिर के बारे में जानें जिसे लेकर ऐसी ऐसी बातें कही जाती हैं जो किसी को भी हैरान कर सकती हैं.

Bhuteshwar mahadev Mandir

Ancient Shiv Mandir In Rajasthan: इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को बुधवार के दिन मनाई जाएगी. यह पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है. शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इसी कड़ी में देश में स्थिति शिव जी के अनेक अनोखे मंदिरों में से एक ऐसे मंदिर के बारे में आज जानेंगें तो प्राचीन तो है ही साथ ही विचित्र मान्यताओं वाला भी है. आइए राजस्थान के जयपुर में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में जानें जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर को भूतों ने बनाया जिसके कारण ही मंदिर को भूतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. आइए इस मंदिर से संबंधत अन्य रोचक बातों को जानें. 

आमेर की ऊंची पहाड़ी पर भूतेश्वर महादेव मंदिर
राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर की ऊंची पहाड़ी पर भूतेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि करीब 2 हजार साल पुराने इस मंदिर को भूतों ने रातोंरात बना डाला था. घने जंगलों में मंदिर स्थित है जिसके कारण दिन के समय भी यहां पर सन्नाटा पसरा रहता है. कुछ लोगों का तो ये भी मानना है कि यहां पर कुछ अदृश्य शक्तियों के होने का अनुभव होता है. 

भूतेश्वर मंदिर में क्यों नहीं रुकते रात?
भूतेश्वर मंदिर और इसके करीब के क्षेत्रों में दिन के समय थोड़ी चहल-पहल तो होती है लेकिन शाम के समय का माहौल एकदम शांत और गुमसुम हो जाता है. पूरा इलाका घुप अंधेरे में गुम हो जाता है और जंगली जानवरों का डर भी बढ़ जाता है. जिसके कारण लोग शाम होने से पहले ही यहां से निकल जाते हैं. वहीं कुछ लोग रात होते ही यहां परालौकिक शक्तियां के अनुभव के कारण यहां से शाम से पहले ही लोग निकल जाते हैं. मंदिर में या इसके आस-पास भूलकर भी लोग नहीं रुकते हैं. 

एक संत ने शुरू की थी पूजा-पाठ
स्थानीय लोगों की मानें तो पहले के समय में इस मंदिर में आने से भी लोग डरते थे क्योंकि यह पूरा इलाका सुनसान था. हालांकि बाद में एक संत जब यहां पधारे और पूजा करनी शुरू की तब से लोगों के मन से डर धीरे धीरे दूर होने लगा. वहीं, जिन संत ने मंदिर में पूजा की यहां उनकी जीवित समाधी मिली. दरअसल, कहते हैं कि संत की मृत्यु बैठे-बैठे ही हो गई लेकिन लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था तब तक जा गई थी और आज लोग मंदिन में दर्शन पूजा के लिए आते हैं. 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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