भवन की नींव में क्यों रखा जाता है चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा और कलश? वजह है बेहद खास
Advertisement
trendingNow12655397

भवन की नींव में क्यों रखा जाता है चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा और कलश? वजह है बेहद खास

Bhawan Nirman Vastu Tips: भवन निर्माण से पहले वास्तु नियमों के अनुसार भूमि पूजन और नींव में नाग-नागिन और कलश रखने की परंपरा है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर भवन की नींव में ये शुभ चीजें क्यों रखी जाती हैं.

भवन की नींव में क्यों रखा जाता है चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा और कलश? वजह है बेहद खास

Bhawan Nirman Vastu: वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण से जुड़े विशेष नियम बताए गए हैं. भवन की नींव रखने से पहले चांदी का नाग और कलश स्थापित करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. अक्सर देखा जाता है कि जब भी किसी भवन का निर्माण शुरू किया जाता है, तो नींव में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा और कलश डाला जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है. आइए जानते हैं कि भवन की नींव में चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा और कलश क्यों रखा जाता है और इसका वास्तु शास्त्र में क्या महत्व है. 

नींव में कलश और नाग-नागिन स्थापित करने का महत्व

मकान निर्माण की नींव में नाग-नागिन का जोड़ा और कलश रखने की परंपरा का धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि संपूर्ण पृथ्वी शेषनाग के फण पर स्थित है. यह वजह है कि मकान की नींव में सोने, चांदी या पीतल से बने नाग-नागिन का जोड़ा डाला जाता है ताकि मकान मजबूती के साथ खड़ा रहे. यह अनुष्ठान नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने के उद्देश्य से भी किया जाता है, जिसका जिक्र भागवत पुराण में भी मिलता है. 

भूमि पूजन के लिए सही दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भूमि पूजन हमेशा उचित दिशा में किया जाना चाहिए. ज्योतिष और वास्तु के अनुसार, भूमि पूजन के लिए पूरब-उत्तर दिशा (ईशान कोण) सर्वोत्तम मानी जाती है. भूमि पूजन के दौरान, पूजा करने वाले का मुख पूरब की ओर होना चाहिए, जबकि अनुष्ठान कराने वाले पंडित का मुख उत्तर की ओर होना चाहिए.

नींव की गहराई कितनी होनी चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन निर्माण के लिए नींव की गहराई का भी विशेष महत्व है. सामान्यतः 5 फीट की गहराई वाली नींव उपयुक्त मानी जाती है. इसलिए भूमि पूजन से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

भूमि पूजन में ध्यान देने योग्य अन्य बातें

भूमि पूजन की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से की जाती है, जिससे निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा न आए. इसके अलावा, कलश की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है. कलश में आम के पत्ते (पांच पत्तों वाले), सिक्के और सुपारी रखी जाती है. यह शुभ ऊर्जा को आमंत्रित करने का एक माध्यम माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news