Terror Funding Cyber Crime: साइबर क्राइम यानी ठगों का एक ऐसा धंधा जो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैला है. इसी साइबर क्राइम का अब टेरर फंडिंग से कनेक्शन सामने आया है. मध्य प्रदेश ATS की जांच से जुड़ी जो जानकारियां ज़ी न्यूज को मिली है. उसके मुताबिक ये साइबर क्रिमिनल अलग अलग तरीकों से पैसा ठगते थे.
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DNA Analsysis: बांग्लादेश में कट्टरपंथी पैसे के लिए हत्याएं करा रहे हैं. तो भारत में आतंकी संगठनों की फंडिंग का रैकेट सामने आया है. मध्य प्रदेश ATS ने एक साइबर क्राइम रैकेट का पर्दाफाश किया है. ATS की जांच में पता चला है कि साइबर क्राइम करने वाला ये गैंग टेरर फंडिंग से भी जुड़ा हुआ था. ये लोग भारत के नागरिकों को ठगते थे. और ठगी से जमा किया पैसा खाड़ी के देशों में बनाए गए खातों में भेजा जाता था. देश के अलग अलग राज्यों के बैंक खातों से ये पैसा मिडिल ईस्ट में ट्रांसफर किया जाता था. इस गैंग से जुड़े 14 सदस्य पकड़े जा चुके हैं, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं. इन ठगों ने लोगों से कितना पैसा किन-किन खाड़ी देशो में भेजा औऱ ये पैसा किन संगठनों से जुड़े आतंकियों के खातों में पहुंचाया गया. इन सवालों का जवाब देगी साइबर क्राइम और टेरर फंडिंग के रैकेट पर DNA INVESTIGATION.
टेरर फंडिंग से कनेक्शन
साइबर क्राइम यानी ठगों का एक ऐसा धंधा जो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैला है. इसी साइबर क्राइम का अब टेरर फंडिंग से कनेक्शन सामने आया है. मध्य प्रदेश ATS की जांच से जुड़ी जो जानकारियां ज़ी न्यूज को मिली है. उसके मुताबिक ये साइबर क्रिमिनल अलग अलग तरीकों से पैसा ठगते थे.
ये लोग डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों से पैसा ऐंठते थे. इसके साथ ही साथ ये लोग फेक वेबसाइट बनाकर लोगों के साथ ठगी करते थे. यहां QR कोड स्कैम के जरिए भी साइबर क्रिमिनल्स ने पैसा ठगा जा रहा था. वहीं नौकरियों का झांसा देकर भी ये लोग इंटरनेट के जरिए पैसा जमा कर रहे थे.
मध्य प्रदेश के सतना और जबलपुर से साइबर गैंग की धरपकड़ शुरु हुई थी और जब तार खुले तो पता चला कि इन साइबर ठगों ने मध्य प्रदेश समेत हरियाणा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश तक अपना जाल फैला रखा था. कुछ शेल कंपनियों के जरिए पैसा इनके खाते से निकाला जाता था फिर खाड़ी में कुछ देशों तक पहुंचाया जाता था.
लश्कर और जैश से संबंधों का शक
सालों से लश्कर ए तोएबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन खाड़ी देशों से टेरर फंडिंग कर रहे हैं. पहले ये फंडिंग जकात के नाम पर होती थी. फिर ड्रग्स के पैसे यानी नार्को मनी से फंडिंग हुई. इसी वजह से शक जताया जा रहा है. कही भारत में पकड़े गए साइबर ठगों का कनेक्शन लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों से हो सकता है.
पुलिस कमिश्नर रिनारायणचारी मिश्र की नजर मामले पर बनी हुई है. साइबर ठगी का ये रैकेट काफी हद तक इस्लामिक स्टेट जैसा है. फर्क सिर्फ इतना है कि इस्लामिक स्टेट बिटकॉइन का इस्तेमाल करता था और यहां साइबर ठगी के जरिए पैसा जमा किया जा रहा था. दोनों ही तरीकों में पहली नजर में टेरर फंडिंग का शक पैदा नहीं होता है. मध्य प्रदेश एटीएस ने भी जांच साइबर क्राइम के तौर पर शुरु की थी. लेकिन जांच आगे बढ़ी तो टेरर फंडिंग का कनेक्शन भी सामने आ गया.