Manoj Bar CSIR NET: मनोज के माता-पिता ने हमेशा उनके सपनों को पूरा करने में उनका साथ दिया. मनोज को पढ़ाई के लिए शुरुआत से ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
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Fishermans Son Success Story: सक्सेस पाने के लिए जुनून की जरूरत होती है. आज हम आपको ऐसे ही एक जुनूनी लड़के मनोज हार की कहानी बताने जा रहे हैं. मनोज ने CSIR NET परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 115 हासिल की है और अब वह अपनी पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं.
मनोज की मेहनत उनके परिवार को आर्थिक स्थिरता दिलाने की चाहत से इंस्पायर थी. उनके पिता की हर्निया सर्जरी के बाद वह मछली पकड़ने का काम नहीं कर पाए, जिससे परिवार की मुश्किलें बढ़ गईं. ऐसे में मनोज ने छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर हर महीने 6,000– 7,000 रुपये कमाने शुरू किए. बाद में, उन्होंने एक कोचिंग सेंटर में हाई स्कूल के स्टूडेंट्स को पढ़ाना शुरू किया.
उनकी मां, नियति, मछली पकड़ने के जाल सिलकर 20 रुपये प्रति जाल कमाती थीं. उनके माता-पिता ने हमेशा उनके सपनों को पूरा करने में उनका साथ दिया. मनोज को पढ़ाई के लिए शुरुआत से ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इंटरनेट के लिए वह हर दिन 2 किलोमीटर पैदल चलकर अपने दोस्त के घर जाते, वहां से स्टडी मेटेरियल डाउनलोड करते और फिर घर आकर पढ़ते. कॉलेज के दौरान उन्हें रोजाना 30 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
हाई स्कूल के बाद, पैसों की तंगी के कारण मनोज ने मछली पकड़ने का काम करने का सोचा, लेकिन उनकी मां ने उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए मोटिवेट किया. सीमित संसाधन और JEE या NEET जैसी परीक्षाओं के बारे में जानकारी की कमी के कारण, वह इनका हिस्सा नहीं बन सके.
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हालांकि, अपने टीचर्स से प्रेरणा लेकर उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. वह फिजिक्स वाला के रिसर्च बैच में शामिल हुए, जहां उन्हें अलख पांडेय समेत दूसरे टीचर्स की गाइडेंस मिली, जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ने और सफल होने के लिए मोटिवेट किया.
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