Climate Change Impact: विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में भी मौसम गर्म और शुष्क रहने की संभावना है, जिससे गेहूं की पैदावार को नुकसान हो सकता है.
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India's Wheat Crop: देश में जल्दी गर्मी का आगमन और कम बारिश की वजह से गेहूं की फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस बार सर्दियों में ठंड कम रही और बारिश भी बेहद कम हुई जिससे गेहूं की फसल को खतरा है और सरकार द्वारा अनाज पर आयात शुल्क में कटौती या हटाने की संभावना बढ़ गई है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र, उत्तर-पश्चिम भारत में इस साल की शुरुआत से अब तक सामान्य से 80% कम बारिश हुई है. जनवरी 2024 भारत के इतिहास में तीसरा सबसे गर्म जनवरी महीना दर्ज किया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में भी मौसम गर्म और शुष्क रहने की संभावना है, जिससे गेहूं की पैदावार को नुकसान हो सकता है.
गेहूं उत्पादन पर गर्मी का असर
मैक्सर टेक्नोलॉजीज की सीनियर मौसम वैज्ञानिक डोनाल्ड कीनी के मुताबिक, अगले कुछ हफ्तों तक गर्म और सूखे मौसम की संभावना है, जो गेहूं की पैदावार को और प्रभावित करेगा. इसका सीधा असर किसानों की आमदनी और देश के खाद्यान्न भंडार पर पड़ सकता है. यदि उत्पादन कम हुआ, तो गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं और सरकार को गेहूं के आयात पर लगी सीमा शुल्क में कटौती करनी पड़ सकती है.
देश की जीडीपी में आ सकती है गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मई 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है. यदि वैश्विक तापमान 1.5°C की बजाय 2°C बढ़ता है, तो भारत, ब्राजील और मैक्सिको जैसे देशों की आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आ सकती है.
वर्ल्ड बैंक की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत की GDP में 2.8% की गिरावट आ सकती है और 2050 तक देश की लगभग आधी आबादी की जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. अत्यधिक गर्मी और नमी के कारण 2030 तक भारत में 3.4 करोड़ नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं.
कृषि क्षेत्र पर सबसे ज्यादा खतरा
कृषि क्षेत्र भारत की GDP में लगभग 16% योगदान देता है. जलवायु परिवर्तन की वजह से सबसे ज्यादा यही प्रभावित होगा. क्योंकि गर्मी बढ़ने से फसल की उत्पादकता घटेगी. इससे किसानों की आमदनी घटेगी और देश की खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ेगा. इसके अलावा अत्यधिक गर्मी और नमी की वजह से 2030 तक भारत की जीडीपी का 4.5% तक जोखिम हो सकता है.
सरकार ने गेहूं भंडारण की सीमा सख्त की
केंद्र ने गुरुवार को कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण करने वालों के लिए गेहूं भंडारण की सीमा सख्त कर दी. सरकार ने कहा कि 31 मार्च तक लागू रहने वाली संशोधित भंडारण सीमा के अनुसार व्यापारी/थोक विक्रेता केवल 250 टन गेहूं रख सकते हैं. पहले के मानदंड के अनुसार यह सीमा 1,000 टन थी. खुदरा विक्रेताओं के लिए भंडारण की सामा को पांच टन से घटाकर चार टन कर दिया गया है.