Canara Bank: केनरा बैंक की तरफ से 8 नवंबर को अंबानी के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित किया गया. बैंक का आरोप था कि 2017 में दिया गया 1050 करोड़ का लोन ग्रुप की एक कंपनी को ट्रांसफर कर दिया, जिससे जुड़ी हुई कंपनियों के लोन चुकाने में मदद की गई.
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Good News for Anil Ambani: बंबई हाई कोर्ट की तरफ से अनिल अंबानी को बड़ी राहत दी गई है. अदालत ने केनरा बैंक के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड से जुड़े लोन अकाउंट को 'फ्रॉड' घोषित किया गया था. कंपनी पहले ही दिवालियापन के प्रोसेस से गुजर रही है. कोर्ट की तरफ से रोक इसलिये लगाई गई क्योंकि अंबानी को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया था. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोकले की पीठ ने कहा कि आरबीआई (RBI) को बैंकों के खिलाफ कुछ कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं.
आरबीआई को भी पक्षकार बनाने की अनुमति दी
हाई कोर्ट ने केनरा बैंक के 8 नवंबर 2024 के आदेश पर रोक लगाते हुए अंबानी को अपनी याचिका में आरबीआई (RBI) को भी पक्षकार बनाने की अनुमति दी. केनरा बैंक की तरफ से 8 नवंबर को अंबानी के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित किया गया था. बैंक का आरोप था कि साल 2017 में दिया गया 1,050 करोड़ का लोन ग्रुप की एक कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे जुड़ी हुई कंपनियों के लोन चुकाने में मदद की गई. बैंक ने यह फैसला आरबीआई (RBI) के मास्टर सर्कुलर के आधार पर लिया, जिसमें ऐसे मामलों के लिए गाइडलाइंस दी गई हैं.
अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने पर रोक लगाई थी
अंबानी के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि बैंक की तरफ ये यह आदेश 25 दिसंबर को बताया गया. इससे पहले 20 दिसंबर को हाई कोर्ट ने ऐसे ही मामले में स्वतंत्र निदेशक मंजरी काकर के अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने पर रोक लगाई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक ने सितंबर में ही आरबीआई (RBI) को इस फैसले के बारे में बता दिया था, आधिकारिक आदेश बाद में जारी किया गया. अंबानी के वकील ने बताया कि बैंक ने 11 अक्टूबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका जवाब भी दिया गया था. लेकिन बैंक ने वो दस्तावेज नहीं दिये, जिनके आधार पर यह फैसला लिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि बैंक ने फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट दी थी, लेकिन वह केवल एक सीए (CA) की राय पर आधारित थी.
बैंकों को उधारकर्ता को सुनवाई का मौका देना चाहिए
अंबानी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि किसी अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से पहले बैंकों को उधारकर्ता को सुनवाई का मौका देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें बैंकों से कहा गया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करें और अपनी खुद की फ्रॉड डिक्लेरेशन पॉलिसी बनाएं. केनरा बैंक ने अब तक ऐसी कोई आंतरिक नीति नहीं बनाई थी.
न्यायाधीशों ने सवाल उठाया कि क्या बैंकों की कोई जवाबदेही नहीं है? न्यायालय ने यह भी कहा कि इस तरह के मामले बार-बार अदालत में आ रहे हैं, जिससे जनता के पैसे की बर्बादी हो रही है. जस्टिस मोहिते डेरे ने कहा, 'बैंक बार-बार वही गलतियां दोहरा रहे हैं.' बैंक की तरफ से कहा गया कि यह आदेश 6 सितंबर 2024 को पारित किया गया था और इसे आरबीआई (RBI) को केवल अंबानी को जारी करने के बाद ही सूचित किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि खाते को फ्रॉड घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद थे.
कोर्ट ने बैंक से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को निर्धारित की है.