Reliance Capital: कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) की मंजूरी और एक स्पष्ट रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क की जरूरत है. CoC ने 89.07% वोटिंग के साथ 'फंड फ्लो नोट' को मंजूरी दी थी. लेकिन एस्क्रो शर्त पर बता नहीं बनने के कारण लेनदेन पूरा नहीं हो रहा.
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Reliance Capital Deal: अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल को लेकर फिर परेशानी खड़ी हो गई है. इस कंपनी के कर्जदाताओं और इसे खरीदने वाली हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) के कर्जदाताओं के बीच एक करार अटक गया है. इस कारण अधिग्रहण के लिए जरूरी 4,300 करोड़ रुपये की अंतिम फंडिंग रुक गई है. इस कारण डील में देरी हो रही है और मामला NCLT तक पहुंच गया है. IIHL ने इस मामले में एनसीएलटी (NCLT) की मुंबई बेंच में अर्जी दाखिल की है. दोनों पक्षों को इस पर मतभेद है कि एस्क्रो पीरियड के दौरान मुकदमेबाजी की स्थिति में अनवाइंडिंग मैकेनिज्म कैसा होगा.
डील के लिए पूरे 9,861 करोड़ जमा करने थे
IIHL को इस डील को पूरा करने के लिए 9,861 करोड़ रुपये की जमा करने थे. इसमें से 2,750 करोड़ रुपये इक्विटी के रूप में और 7,300 करोड़ रुपये लोन के रूप में जुटाने थे. IIHL ने अब तक 5,750 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं, जो कुल डील का करीब 58.31% है. इसमें इक्विटी का हिस्सा और 3,000 करोड़ रुपये का लोन शामिल है. बाकी की रकम रिलायंस कैपिटल की सब्सिडियरी इंश्योरेंस कंपनियों से आनी है. इसके लिए कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) की मंजूरी और एक स्पष्ट रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क की जरूरत है. CoC ने 89.07% वोटिंग के साथ 'फंड फ्लो नोट' को मंजूरी दी थी. लेकिन एस्क्रो शर्त पर बता नहीं बनने के कारण लेनदेन पूरा नहीं हो रहा.
सभी जरूरी डॉक्यूमेंट जमा कर दिये
समझौते के तहत आईआईएचएल (IIHL) को एडमिनिस्ट्रेटर और लेनदारों की समिति (CoC) को कुछ डॉक्यूमेंट जमा करने थे. 31 जनवरी, 2025 तक उन्होंने दो मुख्य एस्क्रो करार इंटरमीडिएट एस्क्रो एग्रीमेंट और ग्लोबल एस्क्रो एग्रीमेंट को छोड़कर सभी जरूरी डॉक्यूमेंट जमा कर दिये. IIHL ने अपनी अर्जी में कहा कि दो एस्क्रो डील जमा नहीं किए जा सके. इसकी वजह यह है कि सीओसी (CoC) और आईआईएचएल (IIHL) के कर्जदाताओं (जो 4,300 करोड़ रुपये का फंड दे रहे हैं) के बीच अनवाइंडिंग पर गतिरोध है.
4,300 करोड़ की दूसरी किस्त की फंडिंग रिलायंस कैपिटल की सब्सिडियरी कंपनी की तरफ से की गई है. यह पैसा 360 वन, बार्कलेज और बैंक ऑफ अमेरिका जैसे दिग्गज बैंकों की तरफ से जुटाई गई. सहमति वाले 'फंड फ्लो नोट' के अनुसार IIHL के कर्जदाता पहले पैसे को इंटरमीडिएट एस्क्रो अकाउंट में ट्रांसफर करेंगे. इन कर्जदाताओं को चिंता है कि यदि शेयरों के ट्रांसफर से पहले एस्क्रो अकाउंट में पैसा रहते हुए कोई कानूनी विवाद पैदा होता है, तो उनका पैसा वापस पाने की कोई साफ प्रक्रिया नहीं है. आईआईएचएल की तरफ से अपनी अर्जी में कहा गया कि कोई सॉल्यूशन नहीं होने के कारण दोनों पक्ष फंस गए हैं.