नई दिल्लीः ड्रोन और अन्य विध्वंसक प्रौद्योगिकियों के कारण युद्ध के बदलते तरीकों के मद्देनजर 'आर्मी एयर डिफेंस' (AAD) कोर ने मौजूदा हवाई रक्षा तोपों के लिए नए विखंडन गोला-बारूद को शामिल करने और अधिक शक्तिशाली रडार की तैनाती के जरिए अपनी क्षमताएं बढ़ाने का खाका तैयार किया है.
QRSAM के संबंध में अनुबंध होने की उम्मीद
एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि इसके अलावा सेना को स्वदेशी रूप से विकसित 'सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल' (QRSAM) प्रणाली के संबंध में अनुबंध की उम्मीद है. 'आर्मी एयर डिफेंस कोर' के पास एल70, जू-23मिमी, शिल्का, तांगुस्का और ओसा-एके मिसाइल प्रणाली जैसी अलग-अलग प्रकार की मिसाइल प्रणालियां और तोपें हैं.
तोपों का चलन वापस आया: AAD महानिदेशक
सेना हवाई रक्षा (AAD) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी'कुन्हा ने कहा, 'तोपों का चलन वापस आ गया है. सेना ने अच्छे कारणों से इन्हें बनाए रखा है और इन तोपों का विखंडन गोला-बारूद के साथ प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है.'
आत्मनिर्भर भारत पर है जोर
लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने 'आत्मनिर्भर भारत' पर जोर देते हुए आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बात की. उन्होंने आगाह किया कि भारतीय उद्योग को 'कम समय सीमा' में आपूर्ति की पेशकश करनी चाहिए.
जानिए क्या है सेना हवाई रक्षा
अधिकारियों ने बताया कि एएडी शुरू में प्रादेशिक सेना का हिस्सा थी. उसे बाद में 1994 में इससे अलग कर दिया गया. एएडी हवाई खतरे को 'उसके आने से पहले' नष्ट करने का काम करती है.
याद रहे कि हाल ही में डीआरडीओ ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) के तीन सफल उड़ान परीक्षण किए. ये सिस्टम खास तौर पर कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों को निशाना बनाने में प्रभावी है. ये स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया एक मानव पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. खास बात यह है कि ये तीनों सेनाओं की जरूरत पूरा करने की क्षमता रखता है.
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