Iran News: ईरान में मौजूदा वक्त में गैस का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है. बावजूद इसके इस मुसलिम बाहुल्य देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है. देश की मुद्रास्फीति 45 फीसदी से ज्यादा हो गई है. ईरान में बढ़ती महंगाई के पीछे डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लगाए गए कई तरह के प्रतिबंध हैं.
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Iran News: ईरान इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट और इंटरनेशनल दबाव का सामना कर रहा है. इजरायल और अमेरिका के साथ जारी तनाव के बीच उसकी अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है. देश की मुद्रास्फीति 45 फीसदी से ज्यादा हो गई है, जिससे देश की आधे से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे चली गई है. साथ ही शिया मुस्लिम बाहुल्य देश की करेंसी रियाल की भी कीमत तेजी से गिर रही है, जिससे लाखों लोग मुश्किल हालात में पहुंच चुके हैं.
अमेरिकी प्रतिबंधों का असर
हमास और इजरायल के बीच जारी जंग के दौरान पहले से उलझा हुआ तेहरान पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वहां की अर्थव्यवस्था पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे हालात और बिगड़ गए. ट्रंप प्रशासन ने ईरान के तेल निर्यात को शून्य पर लाने की योजना बनाई है, जिससे देश के सबसे बड़े रेवन्यू सोर्स को नुकसान हुआ. ईरान दुनिया का सातवां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और उसके पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार है. लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से वह अपने संसाधनों का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा है.
बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी
ईरान में महंगाई तेजी से बढ़ रही है. खाने-पीने की चीजों और मकान किराए की कीमतें आसमान छू रही हैं. आम आदमी के लिए घर खरीदना तो दूर, किराए पर लेना भी मुश्किल हो गया है. पिछले 12 सालों में तेहरान में मकान किराए में 24 गुना और रियल एस्टेट की कीमतों में 37 गुना इजाफा हुआ है, जबकि कर्मचारियों के वेतन में महज 20 फीसदी की वृद्धि हुई है. ऐसे में ज्यादातर लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ईरान के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, देश कई बड़े शहरों में औसतन मासिक वेतन में किराए पर घर मिलना भी मुश्किल हो चुका है.
ईरानी मुद्रा की गिरावट
ईरानी करेंसी रियाल में भारी गिरावट दर्ज की गई है. शुक्रवार को यह 6 फीसदी गिरकर प्रति डॉलर 9,28,000 रियाल पर पहुंच गई. मुद्रा की इस गिरावट ने महंगाई और मुद्रास्फीति को और बढ़ा दिया है. ईरान का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चुका है, जिससे आयात प्रभावित हुआ है. इस वजह से जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं और जनता को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
बावजूद इसके जब वहां कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस के अकूत भंडार हैं और ईरान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस भंडार है. जबकि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ( OPEC ) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. इतना ही नहीं ईरान दुनिया के तेल उत्पादन में देशों में इस वक्त सातवें नंबर पर है.
अमेरिका-ईरान के बीच बातचीत की संभावना
डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए थे कि वह ईरान के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह बिना जंग के समझौता करना चाहते हैं. दूसरी तरफ, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ किसी भी वार्ता का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत कोई समझदारी भरा कदम नहीं होगा. हालांकि, उन्होंने वार्ता पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश नहीं दिया है.
ईरानी सरकार की प्रतिक्रिया
वहीं, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि मौजूदा आर्थिक चुनौतियां सरकार के तत्काल कंट्रोल से बाहर हैं, लेकिन वह अपने नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. हालांकि, इस संकट से उबरने के लिए ईरान को कड़े फैसले लेने होंगे और इंटरनेशनल कम्युनिटी के साथ बेहतर रिश्ते बनाने होंगे.