Moon Mission: चांद पर जा रहा चॉपर, इंसानों के पहुंचने से पहले खोजेगा पानी; बस पाएगी इंसानी बस्ती?
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Moon Mission: चांद पर जा रहा चॉपर, इंसानों के पहुंचने से पहले खोजेगा पानी; बस पाएगी इंसानी बस्ती?

Flying Robot in Moon: चीन ने पिछले साल चांग ई-6 (Chang E6) मून मिशन लॉन्च किया था. वो चांद के सुदूरवर्ती हिस्से से 2 किलोग्राम की चट्टान लेकर धरती लौटा था. स्टडी में चांद का एक रहस्य का पता लगा था. जबकि उससे काफी पहले चंद्रमा पर अपने कदम रख चुका अमेरिका वहां लैंडिग के अलावा कुछ ठोस नहीं दिखा सका है.

Moon Mission: चांद पर जा रहा चॉपर, इंसानों के पहुंचने से पहले खोजेगा पानी; बस पाएगी इंसानी बस्ती?

Science News in Hindi: चीनी वैज्ञानिकों ने पिछले 30 साल में ऐसे-ऐसे करिश्मे किए हैं कि दुनिया हैरान हैं. नकली सूरज (Artificial Sun) का निर्माण हो या स्पेस स्टेशन उसके प्रोजेक्ट्स शानदार हैं, कई परियोजनाएं तो डेडलाइन से काफी आगे चल रही हैं. उसके अप-नेक्स्ट इवेंट्स की बात करें तो चीनी रिसर्चर्स का फोकस चांद (Moon) पर बना हुआ है. चंद्रमा के सुदूर हिस्से में जमे पानी की खोज के लिए चीन, उड़ने वाला रोबोट भेजने जा रहा है. उसका ये फ्लाइंग रोबोट भविष्य में चंद्रमा से जुड़े अनसुलझे रहस्यों की खोज में सबसे बड़ा, अहम और कामयाब कदम साबित हो सकता है.

क्या करने जा रहा चीन?

चीन, अपना महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोग्राम तेजी से आगे बढ़ा रहा है. अब अगले साल उसका रोबोटिक 'फ्लाइंग डिटेक्टर' चीन के चांग-7 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तैनात किया जाएगा, जिसके शोध का मकसद 5 साल के भीतर चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने लायक माहौल बनाना है.

चीन ने खुद को अंतरिक्ष में एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करने के लिए ये शुरुआत की है. वो ऐसे डोमेन पर काम कर रहा है, जिसमें अमेरिका समेत कई देश न सिर्फ वैज्ञानिक लाभ, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नंबर वन होना चाहते हैं.

चांद में पानी है या सिर्फ बर्फ?

इससे पहले पिछले साल, चीनी वैज्ञानिकों ने चांद से आए सैंपल की जांच यानी मिट्टी के नमूनों में पानी पाया था. कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि वहां पानी नहीं केवल बर्फ है, जो चंद्रमा के दूर के गड्ढों में गहराई तक संरक्षित है. चंद्रमा के उस पार की गतिविधियों का पता लगाने के बाद ही भविष्य के मून मिशन को मानवों के लिए सुरक्षित बनाया जा सकेगा. इससे पहले चांद में पानी और बर्फ को लेकर अंधेरे में तीर चलाए जाते थे.

चांद के साउथ पोल में रिसर्च बेस

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हाल ही में स्टेट मीडिया ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी को बताया कि चांद में बर्फ की खोज, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रिसर्च बेस बनाने की चीन की तैयारी का हिस्सा है. चीन के मून रिसर्च विंग प्रोजेक्ट के हेड डिजाइनर वू वीरेन के मुताबिक, 'चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कुछ बहुत गहरी गुफाएं हैं और हमें लगता है वहां पानी हो सकता है. उम्मीद है कि हमारा फ्लाइंग डिटेक्टर लैंडिंग के बाद एक या दो गुफाओं में ऑन-साइट निरीक्षण करके एक्यूरेट रिपोर्ट दे सकता है.'

चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि बर्फ के भंडार की खोज से भविष्य में चंद्रमा पर मानव जीवन की संभावनाओं को तलाशने में मदद मिलेगी. प्रोजेक्ट की कामयाबी से चीन के अगले स्पेस मिशन के प्रोजेक्ट्स की लागत में कमी आएगी. दरअसल अभी तक साइंटिस्ट ये नहीं पता लगा पाए हैं कि क्या चंद्रमा पर फसल उगाई जा सकेगी या वहां पीने योग्य पानी का इंतजाम हो पाएगा या नहीं. फ्लाइंग रोबोट रिसर्च में वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश करेंगे कि चांद पर कितना पानी है और वो किस चीज में मिलकर कैसा रासायनिक रूप लेगा.

कैसा होगा फ्लाइंग रोबोट?

चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने हाल के वर्षों में तेजी से जटिल रोबोटिक चंद्र मिशनों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया है. चीन, चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने वाले देशों की सूची में जगह बनाने की कोशिश कर रहा है. चीन का पहला ह्यूमन मून मिशन साल 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है.

फ्लाइंग रोबोट के जरिए 2026 में शुरू होने वाले चांग'ई- 7 मिशन का मकसद ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर और फ्लाइंग डिटेक्टर के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का सबसे विस्तृत सर्वेक्षण करना है. चीनी साइंटिस्ट ने बताया कि उसका फ्लाइंग रोबोट अपने पैरों को मोड़ सकेगा और ऊंचाई से कूदने वाले इंसानों की तरह ही जमीन पर उतर सकता है. हालांकि रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं किया गया है कि उसके कितने पैर हैं.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि उसका फ्लाइंग रोबो,  सूरज की रोशनी वाले क्षेत्रों से छाया वाले गड्ढों तक कम से कम तीन छलांग लगा सकता है. इतने में उसकी सेफ लैंडिंग हो जाएगी. स्टडी से पता चला है कि चांद पर बर्फ उसके ध्रुवों पर सबसे अंधेरे और सबसे ठंडे क्षेत्रों में है. उन  गड्ढों की छाया में बर्फ है, जहां चंद्रमा की धुरी के झुकाव के कारण सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती है. चांग'ई -7 मिशन के डिजाइन डिपार्टमेंट के डिप्टी हेड तांग युहुआ ने कहा, 'चांद का मुश्किल वातावरण और कठोर परिस्थितियां ही उनके रोबोट की ताकत की परीक्षा लेंगी, क्योंकि वहां विपरीत परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करना एक बड़ी चुनौती होगा.'

चांद का चैंपियन चीन?

बीते 30 सालों में चीन के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेक्टर में पड़ोसी चीन ने अपना निवेश बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ाया है. R&D में चीन आज दुनिया में दूसरे पायदान पर है. चीन ने अपने स्पेस रिसर्च में सबसे ज्यादा खर्च किया है. चीन ने पिछले साल चांग ई-6 मून मिशन (Chang E 6 moon mission) लॉन्च किया था. जो चंद्रमा के सुदूर हिस्से से 2 किलोग्राम चट्टान का सैंपल लेकर धरती पर लौटा था. 2024 में उसकी स्टडी में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के एक रहस्य का पता लगाया. इस तरह चीन के वैज्ञानिक पहली बार चंद्रमा के दूर वाले हिस्से पर ज्वालामुखी विस्फोटों की सटीक उम्र मापने में सक्षम हुए थे.

उस स्टडी में पाया गया कि चंद्रमा के दूर हिस्से पर मौजूद सबसे पुराना और सबसे गहरा गड्ढा जहां है, 2.8 अरब साल पहले वो सक्रिय ज्वालामुखी था. इसके पहले अपोलो, लूना और चांगई-5 मिशनों के सैंपल के रिसर्च में पता चला था कि वो ज्वालामुखी 4 अरब वर्ष पहले था. हालांकि उन अभियानों से जुड़े सैंपल, चंद्रमा के धरती से नजदीक वाले हिस्से से जुटाए गए थे.

अमेरिका दशकों पहले चीन पर अपने यात्री उतार चुका था, तब से उसने कोई ठोस तरक्की नहीं की है. ऐसे में चीन इसी स्पीड से चांद के सब राज जानकर अपना परचम लहरा देता है,  तो यकीनन वो ही चांद का चैंपियन कहलाएगा.

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