Kumbh Sankranti 2025: कब है कुंभ संक्रांति? जानें डेट और सूर्य देव को प्रसन्न करने की सही विधि और उपाय
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Kumbh Sankranti 2025: कब है कुंभ संक्रांति? जानें डेट और सूर्य देव को प्रसन्न करने की सही विधि और उपाय

Kumbh Sankranti 2025 Date: ग्रहों के राजा सूर्य देव की कृपा पाने के लिए कुंभ संक्रांति बेहद शुभ मानी गई है. इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा-अर्चना करने और उन्हें विधिपूर्वक अर्घ्य देने पर हर प्रकार की कामना पूर्ण होती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि कुंभ संक्रांति कब है और इस दिन भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए.

 

Kumbh Sankranti 2025: कब है कुंभ संक्रांति? जानें डेट और सूर्य देव को प्रसन्न करने की सही विधि और उपाय

Kumbh Sankranti 2025: हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य कुंभ राशि में गोचर करते हैं, जिनके स्वामी शनि देव हैं. इस दिन विशेष रूप से लोग भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करते हैं. कुंभ संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पितरों का तर्पण करने से शुभ फल मिलते हैं. इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने से शनि के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है. इस साल यह पर्व 12 फरवरी को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और सूर्य को अर्घ्य देने की विधि.

कुंभ संक्रांति कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन भगवान सूर्य कुंभ राशि में गोचर करेंगे, यानी कुंभ संक्रांति 12 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन पुण्य काल दोपहर 12:35 बजे से लेकर शाम 6:09 बजे तक रहेगा. महा पुण्य काल शाम 4:18 बजे से लेकर शाम 6:09 बजे तक रहेगा. इस समय में गंगा स्नान, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं.

कुंभ संक्रांति पर ऐसे करें सूर्य देव को प्रसन्न

कुंभ संक्रांति के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में सूर्य देव को अर्घ्य दें. दूध, जल, तिल, गुड़ और रोली से सूर्य देव को अर्घ्य दें.
भगवान सूर्य को प्रणाम करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें. सूर्य देव की चालीसा का पाठ करें. धूप, दीप और कपूर से सूर्य देव की आरती करें. इसके बाद सूर्य भगवान को फल, मिठाई और घर पर बने प्रसाद का भोग अर्पित करें. पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें. जल चढ़ाते वक्त लोटे को सिर से नीचे रखें. लाल वस्त्र पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करें. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें.

इन मंत्रों से करें भगवान सूर्य की पूजा 

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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